सम्पुट मंत्र प्रयोग

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सम्पुट प्रयोग


कुछ साधको ने सम्पुट प्रयोग के बारे में पूछा तो
आज सम्पुट प्रयोग के बारे में बता रहा हू

हमनै बहुत सै येसे मंत्र देखे होगें जिनमें शुरू मे जो बीज होते है वो अंत में भी  लगे होते है लेकिन उनका क्रम उल्टा होता है
या एक बीज जो मूल मंत्र के आगे और पीछे लगा होता है

जैसे ह्रीं ॐ नमः शिवाय ह्रीं

येसे प्रयोगो को ही सम्पुट प्रयोग कहते है
इसे ह्रीं का सम्पुट प्रयोग कहेगें

अपनी कामना पूर्ति के लिये आप अपने गुरू मंत्र का सम्पुट प्रयोग कर सकते है या इष्ट मंत्र का प्रयोग कर सकते है

पहले अपने मंत्र को लिखे फिर अपनी कामना फिर मंत्र को उल्टे क्रम से लिखे

जैसे
ॐ नमः शिवाय लक्ष्मी देहि देहि शिवाय नमः ॐ
या
ॐ नमः शिवाय धनम् देहि देहि शिवाय नमः ॐ

ये पंचाक्षरी  मंत्र का सम्पुट प्रयोग है


इस तरह से आप अपनी किसी इच्छा पूर्ति के लिये मंत्र तैयार कर सकते है
यदि आप अपने गुरू मंत्र का प्रयोग करते है तो सफलता निश्चित मिलती है

या जो भी मंत्र आपने सिद्ध किया हो या जो आपको गुरू मुख से मिला हो उस मंत्र का प्रयोग अपनी कामना पूर्ति के लिये किया जा सकता है
प्रत्येक प्रयोग में गुरू की आज्ञा का होना आवश्यक है
क्योकि तंत्र बिना गुरू के शुरू ही नही होता

कोई येसी इच्छा जो साधारण प्रयोग से सफल नही हो रही हो तो वो सम्पुट प्रयोग से मिल जाती है

वशीकरन , रोग शान्ति , धन प्राप्ति , विधा प्राप्ति , रक्षा  आदि के लिये ये सम्पुट प्रयोग सटीक रहते है

सम्पुट प्रयोग तॉत्रिक मंत्रो या बीज मंत्रो द्वारा किये जाते है
साबरी मंत्र के सम्पुट प्रयोग नही किये जाते


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