वशीकरण कर्म के नियम

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वशीकरण कर्म


षट् कर्मो मे दूसरे नम्बर पर आता है वशीकरण
यानि किसी को भी अपने वश मे करना
आज मे वशीकरण के नियम बता रहा हू जिनके पालन करने से वशीकरण के प्रयोग सफल होते है और ना करने पर असफल

वशीकरण की देवी सरस्वती है

वशीकरण पूर्व या उत्तर मुख होकर किया जाता है

वशीकरण के लिये वसन्त रितु उत्तम मानी जाती है

वशीकरण दशमी एकादशी , प्रतिपदा ,अमावस्या को शुभ होता है

वशीकरण शुक्रवार शनिवार को किया जाता है

ज्येष्ठा , उत्ताषाढ ,अनुराधा , रोहिणी ये माहेन्द्र मण्डल के नक्षत्र है इनमे वशीकरण करना चाहिये

मीन मेष कन्या धनु लग्न मे वशीकरण करना चाहिये

वशीकरण अग्नि तत्व के उदय मे करने चाहिये

वशीकरण आकर्षण के लिये देवता को लोहित वर्ण मे ध्यान करना चाहिये

वशीकरण भद्रासन मे करना चाहिये

मेढा के आसन पर बैठकर वशीकरण करे या लाल कम्बल पर


वशीकरण मे पाश मुद्रा का प्रयोग किया जाता है

वशीकरण मे देवता को सुन्दर रूप का ध्यान किया जाता है

वशीकरण मे पीतल का कलश रखा जाता है

वशीकरण रूद्राक्ष या स्फटिक माला प्रयोग करनी चाहिये

आकर्षण मे घोडे के पूछ के बालो से माला तैयार करनी चाहिये

वशीकरण के लिये योनि जैसी आकृति वाले कुण्ड मे वायव्य कोण की तरफ मुह करके हवन करना चाहिये

चमेली के फूलो से , वशीकरण कर्म मे हवन करना चाहिये

आकर्षण कर्म मे ईशान कोण मे स्थित अग्नि की स्वर्ण वर्णा  हिरण्या नामक जिह्वा की जरूरत होती है


वशीकरण मे पूर्ण आहुति के समय अग्नि के कामद नाम का उच्चारण करना चाहिये


वशीकरण मे मंत्र के अंत मे स्वाहा लगाकर होम किया जाता है


अगली पोस्ट विद्वेषण पर  होगी

इनमे दी गयी सारी जानकारी प्रयोग करते समय पालन करने से प्रयोग निष्फल नही होता

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पीर गौस पाक साधना

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पीर गौस पाक साधना



ये साधना किसी भी माह के गुरू वार से शुरू की जाती है
इसमे गौस पाक जी साधक को दर्शन देते है

रात दस के बाद साधक हरे आसन पर पश्चिम मुख होकर बैठे
सर पर टोपी लगा ले
सफेद कपडे पहने

घी का दीपक लगा ले पॉच अगरबत्ती और थोडी सी लोबान सुलगा लें

गुरू इष्ट का पूजन करके पीर साहब को सादर बुलाये और उनका पूजन करे
गुलाब के फूल , चंदन , इत्र , सफेद मिठाई आदि से पूजा करे

फिर तशबी या सफेद हकीक माला से 1111 बार मंत्र का जाप करें

मंत्र जाप के बाद उसी कमरे मे सो जाये

दूसरे दिन मिठाई सामग्री को किसी बहती नदी या किसी कुये मे डाल दे ये सब ना हो तो पंछी को खिला दें

ऐसा लगातार 21 दिन करें
21 वें दिन जब गौस पाक जी दरशन दे तो उनसे वचन ले ले या जो इच्छा हो वो मॉग ले

साधना किसी को नही बतानी है
साधना के दौरान कुछ अनुभव होते है उनसे डरना नही चाहिये

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मधुमती योगिनी साधना

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मधुमती योगिनी साधना


प्रति पदा तिथि से ये साधना शुरू की जाती है
किसी भोजपत्र पर देवी की आकृति बना कर पूजन करे

योगिनी का पत्नी रूप मे ध्यान पूजन करना है

प्रात दोपहर और संध्याकाल मे पूजन ध्यान करें
और एक एक हजार का जाप करें तीनो संध्या में

देवी का पंचोपचार पूजन करें

तीसवें दिन अखण्ड दीपक जलाये

देवी के दर्शन देने पर पत्नी रूप मे सिद्ध होने का वचन लेले

दीपक घी का जलाना
उत्तर मुख होकर जाप करना है
माला रूद्राक्ष की ले लेना
कम्बल के आसन पर बैठकर जाप करना है


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शान्ति कर्म के नियम

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षट् कर्म विधान


आज मे शान्ति कर्म के बारे   मै बता रहा हू उसकी दिशा आसन विधि और अन्य नियम जिनका पालन करने से कार्य शीघ्र फलदायी होता है
और जिनके अभाव मे असफल हो जाता है
कल वशीकरण के बारे मे बताया जायेगा



शान्ति कर्म

शान्ति कर्म के लिये रति देवी का पूजन करे

शान्ति कर्म ईशान दिशा या पूरब की ओर मुह करके करना चाहिये

शान्ति कर्म हमेशा हेमंत रितु मे करना चाहिये

शान्ति कर्म हमेशा द्वितीया , तृतीया पंचमी , सप्तमी , तिथियो को करने चाहिये

दिन बुधवार , गुरवार सोमवार को करना चाहिये

ऩक्षत्र  स्वाति , हस्त , मृगशिरा , चित्रा , उत्तराफाल्गुनी , पुष्य , पुनर्वसु   ये सात नक्षत्र अग्नि मण्डल के है इनमे करने चाहिये

शान्ति प्रयोग  मेष , कन्या , धनु , मीन ,लग्न मे करने  ठीक रहते है

जल तत्व के उदय में शान्ति कर्म करना चाहिये है

शान्ति कर्म मे देवता का ध्यान श्वेत वर्ण के रूप मे करना चाहिये

शान्ति कर्म स्वस्ति कासन मे बैठ कर करना चाहिये

लाल कम्बल पर बैठ कर साधना करनी चाहिये

पध्म मुद्रा मे शान्ति कर्म करना चाहिये

शान्ति कर्म करते समय देवता का सुन्दरी के रूप मे गहनो से सजे हुये के रूप मे ध्यान करना चाहिये

शान्ति कर्म मे ताबे या सोने या चादी का कलश का स्थापन करना चाहिये

रूद्राक्ष की 108 दानो की माला से शान्ति कर्म करना चाहिये है

शान्ति कर्म मे अगूठे के अगले भाग से माला को चलाना चाहिये

शान्ति कर्म पूर्व या उत्तर या ईषान दिशा की ओर करके करने चाहिये

शान्ति कर्म मे उपांशु जप करना चाहिये

हवन भी पूर्व या उत्तर की ओर मुह करके करना चाहिये

शान्ति कर्म के लिये दूध घी पीपल के पत्ते सरसो तिल गिलोय खीर , दूध वाले वृक्ष की समिधा से हवन करना चाहिये

दरिद्रता की शान्ति के लिये दही और घी से हवन करना चाहिये

शान्ति कर्म मे पश्चिम दिशा मे स्थित लोहित रंग की सुप्रभा नामक अग्नि की जिह्वा की जरूरत होती है

हवन सामग्री ना हो तो केवल घी से हवन करना चाहिये

शान्ति कर्म मे मंत्र के अंत मे नमः स्वाहा लगाकर हवन करना चाहिये


कल वशीकरण कर्म की जानकारी दी जायेगी


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वशीकरण मंत्र साधना

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वशीकरण मंत्र साधना

कई साधको की मॉग पर एक वशीकरण मंत्र दे रहा हू लेकिन इसका  दुरूपयोग मत करना

बहुत जरूरत होने पर ही प्रयोग करना और किसी अन्य व्यक्ति को तो हरगिज नही बताना

वशीकरण का काम करने से पहले ये जान लेना भी जरूरी होता है कि सामने वाले की क्या हैसियत है उसके पास किसी पीर फकीर देव या देवी आदि की सिद्धि या कृपा  तो नही है

और सबसे जरूरी कि उसके ऊपर पहले से किसी ने कुछ वशीकरण तो नही कर रखा है या कुछ खिला पिला तो नही रखा है

ये  सारी बातो को ध्यान मे रखकर यै प्रयोग करना सफलता अवश्य मिलेगी
मेरा अनुभूत प्रयोग है
अपने पर्सनल के लिये उपयोग करना किसी और से पैसे के लालच मे इसका प्रयोग मत करना


विधि

ॐ क्लीं अमुक मम् वश्यं कुरू कुरू स्वाहा

इस मंत्र का पहले दस हजार बार जाप करना है
शुक्रवार से प्रातकाल मे शुरू करना है पूर्व की ओर मुह करके सफेद कपडे पहन कर जाप करना है माला स्फटिक की या रूद्राक्ष की ले लेना
जाप कितने भी दिन मे पूरा कर सकते है

जाप पूरा होने के बाद
इसका प्रयोग करना है

प्रयोग विधि


क्सी भी मंगलवार शनिवार या अमावस्या को शुरू करे

कुम्हार के घर से मिट्टी लाकर उसकी मूर्ति बनाये लाल रंग के कपडे पहना दें
वशीकृत स्त्री है तो श्रंगार कर दे पुरूष हो तो तिलक लगा दे पुतले को

हो सके तो जिसे वश मे करना है उसके दाये पैर की स्त्री है तो उसके बाये पैर की मिट्टी को भी पुतला बनाते समय मिला देना चाहिये
यदि उसके पहने हुये कपडे मिल जाये तो पुतले को वही कपडे पहनाने चाहिये छोटे छोटे करके
यदि बाल मिल जाये तो बालो को भी पुतले उन अंगो पर लगा देना चाहिये जिन अंगो के बाल है

मूर्ति जैसी बन जाये बना लेना जरूरी नही कि वह सुन्दर ही बने

फिर उसे किसी परात मे खडा कर देना चाहिये
कागज या भोजपत्र पर मंत्र को नाम सहित लिखकर चिपका देना चाहिये कपडो के नीचे सीने पर

घी का दीपक जलाय
लाल रंग का आसन प्रयोग करे
धूप बत्ती जलाय

पुतले को सबसे पहले पंचाृत से स्नान करवाना है
कपडे से पुतला साफ कर दीजिये
फिर उसे कपडे पहनाने है
पंचोपचार पूजन करे
मिठाई पान का भोग दें


मंत्र का जाप करें  25 माला का
 गलती के लिये छमा मॉगे

दूसरे दिन पंचामृत का केवल पुतले के पंजो  को धो कर ही काम चल जाता है

ये साधना 11 से 21 दिन मे वशीकरण कर देती है यदि मंत्र सिद्धि न कर रखा हो तो चालीस दिन ये प्रयोग करते रहने पर सफलता मिल जाती है

पुतले पर लगे हुये सिन्दूर काजल आदि को अपने माथे पर लगाकर उसके सामने जाने पर जल्दी वशीकरण हो जाता है

यदि किसी को किसी से अलग करके किसी के वश मे करना हो तो दो पुतले बनाये जाते है एक पर वशीकरण किया जाता है दूसरे पर उच्चाटन प्रयोग किया जाता है
सारी क्रिया यही रहती है
बस उच्चाटन के लिये परात लोहे की ली जाती है और वशीकरण के लिये पीतल या स्टील की
उच्चाटन वाले पुतले की छाती मे सेही का कॉटा या गूलर की चार अंगुल की लकडी की कील घुसेड देते है
और उसे काले कपडे पहनाये जाते है

उच्चाटन का मंत्र है
ॐ ऐं यं अमुक अमुक उच्चाटनाय फट् स्वाहा

अमुक की जगह पर दोनो का नाम लेना चाहिये जिनमे उच्चाटन कराना है
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मन को एकाग्र करनी की विधि

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मन एकाग्र करनै की विधि



हम जाप करते समय हमेशा मन के एकाग्र नही होने की शिकायत करते है और ये जानना चाहते है कि ये एकाग्र केसे हों

मे आपको एक अपनी प्रक्टीकली अचूक विधि दे रहा हू जिससे मन एकाग्र होगा और जप मे आनंद भी आयेगा


विधि

भगवान शिव का पंचोपचार पूजन करे
 गुरू गणेश पूजन करना चाहे तो कर सकते है

हाथ मे पानी और चावल लेकर संकल्प लें कि में मन एकाग्र करने के लिये ॐ नमः शिवाय मंत्र का 51 माला जाप करने का संकल्प ले रहा हू

फिर पूर्व मुख होकर बैठे और मंत्र का जाप करें
मंत्र जाप के साथ साथ कुम्भक क्रिया करतै रहे यानि पूरी सॉस लेकर उसे वही रोककर मंत्र का जाप करें
फिर सॉस रोके और मंत्र जाप करे कोशिश करें कि मात्र दो बार सॉस लेने मे ही पूरी माला हो जाये या दो कुम्भक मे ही माला पूरी हो जाये
पूरा जाप इसी तरह से कर दीजिये
मन अपने आप एकाग्र हो जायेगा
आपको करने की जरूरत नही होगी


इससे तीव्र क्रिया भी है
आप सॉस को बाहर निकाल कर भी जाप कर सकते है
यानि पूरी सॉस बाहर छोड दै फिर मंत्र का जाप करे
पूरा जाप येसे ही करें
कोशिश करें कि दो बार की सॉस मे ही पूरी माला हो जाये
मन अपने आप एकाग्र हो जायेगा
कुछ अनुभूति होना शुरू हो जायेगा
जप मे एक अजीब सा आनंद आयैगा जिसका  अनुभव यकीनन आपने नही किया होगा

ये क्रिया 21 दिन तक करें
आप चाहे तो इसे आगे भी जारी रख सकते है
यकीनन आप का मन एकाग्र होगा और साधनाओ में सफलता मिलने लगेगी

 इस पूरी प्रकिया मे मात्र एक घंटा लगेगा लेकिन ये एक घंटा आपका जीवन बदल देगा

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सट्टे का मंत्र


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सट्टे का मंत्र



सट्टा द्वारा धन प्राप्त करना बहुत सरल है इससे साधक बहुत कम समय मे धन प्राप्त कर लेता है और धनवान हो जाता है
कर्ज मुक्ति के लिये सट्टे से बेहतर कोई विकल्प है ही नही

नीचे जो साधना दे रहा हू वो जरूरत मंद व्यक्ति कर सकता है और लाभ ले सकता है




सट्टा मंत्र

दुर्गा माता तू जग देनी सिह चढी लटकाइ बेनी तेरे चेला एक सौ साठ विधा मॉगे, , , , , , , , , , , , , , , , , , , ,      ,,,,      ,,,    ,  ,,             ,, ,  , , ,   जिन्नात मेरा बडा भाई
दुर्गा माता आ कंठ बैठ बतलाय ( दिल्ली के सट्टे के ) भूले अक्षर कल लगै परसो आये वो अक्षर मोकू बतलाय दुर्गा माता तोय मेरे गुरू का वाचा मेरे गुरू का शब्द है सॉचा दुर्गा माता तू जग देनी सिह चडी लटकाइ बेनी


दो माला का जाप करना शुक्रवार से पंचोपचार पूजन देकर पश्चिम मुख होकर
चालीस दिन
नम्बर सपने के माध्यम से मिलते  है

बाकी नियम अन्य साधनाओ की तरह ही है


इसमे दुर्गा माता की जगह पर काली सरस्वती या किसी अन्य देवी का नाम ले सकते है
जो तुम्हारी इष्ट देवी हो या कुलदेवी

जिन्नात मेरा बडा भाई की जगह पर भैरव , नारायण या किसी अन्य अपने देव का नाम ले सकते है

मंत्र कॉपी पेस्ट के चोरो के कारन अधूरा दें रहा हू

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शिवरात्रि पूजन विधि


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शिवरात्रि पूजन विधि



सुबह नहा धोकर भगवान शिव का पूजन करे पंचोपचार पूजन करे
फिर शिवरात्रि का व्रत करने का  संकल्प लें
संकल्प में स्पष्ट कहै कि व्रत जलाहार फलाहार या निराहार जैसे रहना हो कहे

दिन भर भजन सिमरन करते रहे

शाम होने पर फिर से शिव जी का पंचोपचार पूजन करे


फिर रात मे प्रथम प्रहर होने पर शिवजी का पूजन चन्दन चावल काले तिल कमल और कनेर के फूल से करें

ॐ भवाय नमः
ॐ शर्वाय नमः
ॐ रूद्राय नमः
ॐ पशुपताय नमः
ॐ उग्राय नमः
ॐ महानाय नमः
ॐ भीमाय नमः
ॐ ईषानाय नमः

इन आठ नामो का जाप करें

नैवेध मे पकवान अर्पित करें
नारियल और पान के साथ अर्घ्य दें

ॐ नमः शिवाय मंत्र का जाप करे


दूसरे प्रहर  लगने पर शिवजी का तिल जौ कमल पुष्प विल्वपत्र द्वारा पूजन करें
खीर का नैवेध प्रदान करें

बिजौरा नीबू  के साथ अर्घ्य दें

ॐ नमः शिवाय का प्रथम प्रहर की अपेक्षा दुगना मंत्र जाप करें


तीसरे प्रहर होने पर फिर से शिव जी का गैहू आक के फूल कमल पुष्प विल्व पत्र तिल द्वारा पूजन करे

पुऐ का नैवेध शाक अर्पित करें
कपूर से आरती करें
अनार के फल के साथ अर्घ्य दें

ॐ नमः शिवाय का दूसरे प्रहर की अपेक्षा दुगने मंत्र का जाप करें


तीसरा प्रहर होने पर शिवजी का उडद कागनी मूगं सप्त धान शंखी के पुष्प विल्व पत्र से पूजा करें

उडद के बडै मिठाई का नैवेध प्रदान करे

केले के साथ अर्घ्य दें

तीसरे प्रहर की अपेक्षा ॐ नमः शिवाय का दुगने मंत्र का जाप करें

फिर सुबह होने तक जाप भजन करते रहे

सुबह फिर भगवान शिव का पूजन करें
और पूजन का विसर्जन करें


शिवलिंग पर पूजा करने वाले साधक प्रत्येक पूजा मे शिवलिंग को दूध दही घी गंगाजल छाछ गन्ना का रस पानी शहद आदि से स्नान कराये या जो सुलभ हो जाये उससे करा लें

पूजन मे कोई सामग्री ना मिले तो जो मिल जाये उसी से पूजन करे


प्रथम प्रहर मे जाप उतना ही करे जितने का चौथे प्रहर मे आठ गुना जाप कर सके

किसी कामना के लिये पूजन करना चाहता है तो संकल्प में स्पष्ट बोल दें शिव जी की कृपा से वो कामना अवश्य ही शीघ्र पूरी हो जायेगी


प्रत्येक प्रहर मे धूप दीप अवश्य दें

शिवरात्रि का पूजन आप परिवार सहित करे
पत्नी के साथ करने पर मनोकामना अवश्य पूरी होती है


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ध्यान केसे करें कहॉ लगा़ये


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ध्यान


ध्यान एक चुंबकीय शब्द है  जिसे हम बचपन से सुनते आ रहे है कि ध्यान से  पढो , ध्यान से बैठो , ध्यान से चलो , ध्यान से ये करो , ध्यान से वो करो , कुछ भूलने पर हम कहतै है कि रूको जरा ध्यान करके बताताहू
छोटे से छोटा काम भी बिना ध्यान के नही कर सकते

तो तंत्र मे हम केसे मान लेते है कि ये बिना ध्यान के हो जायेगा

ध्यान का मतलब ऑख बन्द करकै किसी चक्र पर ध्यान लगाना मे नही कह रहा हू
मे चाहता हू कि आप ध्यान को समझे कि केवल ऑख बन्द करना ही ध्यान नही होता हमारे चारो ओर जो हो रहा है वो सब ध्यान से हो रहा है

राजस्थान मे स्त्रिया अपने सर पर कई कई  मटके रख कर बहुत आसानी से नाच लेती है
केसे
ध्यान से
कोई चमत्कार नही है उनके पास । स्थूल रूप से उन घडो को किसी ने नही पकड रखा है लेकिन सूक्ष्म रूप से ध्यान नै उने पकड रखा है
ध्यान से वो घडे चिपके रहते है और नाचने पर  गिरतै नही है
उस स्त्री ने अपने ध्यान को केन्द्रित करके उन मटको मे डाला हुया है नतीजा वो स्थिर रहते है

तंत्र की भाषा में इसे सिद्धि पाना कह सकते हो

आप लोगो ने  सडको पर रस्सियो के ऊपर चलते कूदते हुये कई बच्चे देखे होगें
उनकी उम्र महज सात आठ साल होती है
सोचिये कि केसे एक बच्चा रस्सी पर बिना परेशानी के उछल कूद कर लेता है
उत्तर एक ही होगा ध्यान से
उसने काफी धयान से अभ्यास किया और नतीजा रस्सी उसके लिये पथ का काम करने लगी
महज कुछ वर्षो मे ही उसने रस्सी पर चलना सीख लि़या

तंत्र की भाषा में कह सकतै है कि उसे रस्सी पर चलने की सिद्धि प्राप्त है

हम लोग जिस कार्य को ध्यान से करते है वो हमें सिद्धि प्रदान करता है और फिर हम वो आसानी से कर लेते है
आपका चलना भी बहुत होश पूर्ण है किसी को शक हो तो दसवीं मजिंल पर खडे होकर ऊपर की बाउड्री पर चल कर देख ले पता लग जायेगा कि हमारा ध्यान चलते समय कहॉ है

ध्यान  का मतलब है अपनी चेतना को उसके साथ जोड देना

जैसे साइकिल चलाते समय हम हाथो को हैडिल पर से हटा लेते है लेकिन हम ध्यान से उसे पकडे रहते है


यदि हमारे पैर के अगूँठे से  हमारा ध्यान पूरी तरह से हट गया है तो उसे काटने पर हमे दर्द का अहसास नही होगा
क्यो
क्योकि शरीर मे चेतना हमारे ध्यान से ही फैली है जहॉ से हम ध्यान हटा देगे चेतना सिमट कर वहॉ से हट जायेगी
येसे ही जहॉ हम ध्यान लगा देगे वहॉ हमारी चेतना पहुच जायेगी
यानि उस वस्तु , या क्रिया मे जान आ जायेगी
चेतना ही जीवन है या कहे कि कहे कि जीवित है जिसके कारण यह मृत शरीर हिल डुल रहा है वरना यह बैजान है
इसी चेतना को ध्यान के द्वारा हम एकाग्र करके चमत्कार दिखा सकते है
इसी को प्राण प्रतिष्ठा के समय मूर्ति मे डालकर उसे जीवित करने की कोशिश की जाती है

तो जब हम मंत्र का जाप करते है और हमारा ध्यान कही और होता है तो वो मंत्र बेजान होकर बेकार हो जाता है येसे बेजान मंत्रो का जाप आप लाखो करोडो बार करो मंत्र जाग्रत नही होगा
हमारी जो समस्या है कि हमने जाप किया हमे फल नही मिला तो उसका मूल कारण यही होता है

मंत्र जाप के समय यदि हम मंत्र की तरफ ध्यान दें तो हमारी ध्यान देते ही मंत्र मे चेतना जाना शुरू हो जाती है और वो मंत्र सजीव होकर कार्य करता है किसी  को बॉधने का मंत्र उसे बॉधता है वशीकरण का उसे वश में करता है  , बचाने का बचाता है ,
और मारण का मारता है

मंत्र जप के समय हम जैसे ही मंत्र की तरफ ध्यान देते है वो जाग्रत होना शुरू हो जाता है यदि हम पूर्ण एकाग्रता रखकर पूरा ध्यान मंत्र मे लगा दें तो मुह से निकल कर वह मंत्र इस ब्रम्हाण्ड मे घूमेगा और उस देवता को आपके सामने लाकर खडा करेगा जिसे आप भज रहे हो

अब यदि इस ध्यान के साथ साथ देवता से प्रेम और श्रद्धा विश्वास भी हो तो क्या कहने
क्योकि सबसे अधिक शक्तिशाली आपके प्रेम के विचार होते है

हमारी ये चेतना विचोरो के रूप मे नष्ट होती रहती है जो हम हमेशा करते रहते है
हमे उन विचारो को रोकना है और जो शक्ति विचारो मे नष्ट हो रही है उसे किसी कार्य मे लगाना है

सवा लाख उस समय की एक संख्या थी कि उतनी संख्या होने पर उस समय का साधक मंत्र मे चेतना डालकर उसे चैतन्य कर लेता था और सिद्धि पा लेता था

ध्यान वो है जिसे जहॉ लगा दोगे तो वो जाग्रत हो जाता है चेतन हो जाता है अब ये आपके ऊपर है कि इसे कहॉ लगाते हो
पढने मे लगाते हो तो पढने लगोगे
कुछ करने मे लगाओगे तो करने लगोगे
साइकिल चलाने मे लगाओगे तो चलाने लगोगे

तर्क करने मे लगाओगे तो तर्क शील बन जाओगे
गायन मे लगाओगे तो गायक बन जाओगे

किसी केन्द्र मे लगाओगे उसे जाग्रत करने मे तो वो केन्द्र चेतन हो कर जाग जायेगा

मंत्र मे लगाओगे तो वो चेतन होकर काम करने लगेगा

यंत्र मे लगा दोगे तो वो भी चेतन होकर काम करेगा

ध्यान