पूजन की विधि संस्कृत में/ Pujan ki Vidhi Sanskrit Main

  

हरेश तंत्र शक्ति साधना केन्द्र 

पूजन की विधि संस्कृत में

आज मे आपको प्राथमिक पूजन की विधी बता रहा हू 
कुछ भाई पूजन विधि जाने बिना ही साधना करते है 
नतीजा साधना सफल नही होती 

विधि 
१ सबसे पहले नहा धोकर साफ कपडे पहने फिर आसन पर ये मंत्र एक बार पढकर बैठे 
मन मार मैदान करू करू मे चकना चूर ।
पॉच महेश्वर आज्ञा करो तो बैठू आसन पूर ।।

२ बैठने के बाद पवित्री करण करे इस मंत्र से 👇 बाये हाथ मे जल ले उसमे दाये हाथ की पाचो उगली डालकर मंत्र बोले 
ॐ अपवित्र पवित्रो वा सर्वेस्थाम गतोअपि ।
स्मेरेत पुडिरीकाक्षः सः बाह्म्भयंतर शुचि ।
ॐ पुनात पुडंरीकाक्षाय ॐ पुनात पुडंरी काक्षाय ॐ पुनात पू ।।
फिर पानी को सर पर , पूजन सामग्री पर छिडक दें 

३ फिर आचमन करो तीन बार मंत्र बोले 
ॐकेशवाय नमः ॐमाधवाय नमः ॐ नारायणाय नमः
मंत्र बोलकर दाये अगूठे से दो बार होठ पोछकर हाथ धोले

 ४ फिर प्राणायाम करे तीन बार एक नथुने से सॉस ले थोडी देर रोके और दूसरे से निकाल दे फिर जिससे सॉस निकाली है 
उससे सॉस ले थोडी देर रोके दूसरे नथुने से निकाल दें 

५ फिर दीपक निम्न मंत्र बोलकर जलाये 
ॐ ज्योत ज्योत महा ज्योत सकल ज्योत जगाये 
तुमको पूजे सकल संसार ज्योत माता तू ईश्वरी 
तू हमारी धरम की माता हम तेरे धरम के पूत 
ॐ ज्योति पुरूषाय धीमहि तन्नो ज्योत निरंजन प्रचोदयात

६  फिर दो अगर बत्ती लगाये
 ७  फिर गुरूजी का पूजन करे 
८  फिर गणेश जी का पूजन करे 
९  फिर इष्ट देव का पूजन करे 
१० फिर कुल देव का पूजन करे 
११ फिर पितरो का पूजन करें
१२ फिर स्थान देव का पूजन करे 

*पूजन विधि* 

जिसका पूजन करना है उसका आवाहन करे दाये हाथ मे चावल पानी ले मंत्र बोले 
*अहम् त्वाम ( श्री गुरूभ्यो ) आवाहनम् करिष्ये इहागच्छ तिष्ठ इदम आसनम समर्पियामि* 
( कोस्टक मे आप जिस गुरू या देव या देवी को बुलारहे हे उसका नाम ले ) चावल आसन या जमीन पर छोड दें हाथ से बैठने का इशारा करे
 2 फिर देवताओ के पैर धुलने के लिये एक चम्मच पानी कटोरी मे या किसी अन्य पात्र मे डालें और बोले हे महाराज मै आपके पैर धुल रहा हू 

फिर वस्त्र के रूप मे कलावा , मौली भेंट करें और बोले 
इदम् वस्त्रम् समर्पियामि
 
फिर चन्दन दें *इदम् चंदनम समर्पियामि*

फिर चावल दें *इदम् अक्षतम् समर्पियामि*

फिर फूल या इत्र दे *इदम् सुगन्धि समर्पियामि*

अगरबत्ती की तरफ हाथ से इशारे करे बोले *इदम् धूपम् घ्रहणयामि*

फिर दीप दिखाये *इदम् दीपम् दर्शयामि*

फिर मिठाई या बताशा दें  बोले *इदम् नैवेध निवैदयामि* 

जल दें *इदम् जल समर्पियामि*

 येसे ही सभी शक्तियों का क्रम से पूजन करते जाये गुरू गनेश इष्ट कुल देव पितर और स्थानदेव कापूजन रोज करना है  सुबह और शाम 

*पूजन विसर्जन विधि* 

अब आता है जब हमारी पूजा पूरी हो गयी है और देवो को विसर्जित करना है तो ये उसकी की विधि है हाथ मे थोड़े से चावल लेकर

 निम्न मंत्र बोलें 
मंत्र हीनं  क्रियाहीनं भक्तिहीनं सुरेश्वर ।
 यत्पूजितं माया देवं परिपूर्ण तदस्तु मे ।।
 आवाहनं न जानामि न जानामि विसर्जनम ।
 पूजनम न जानामि क्षमस्व परमेश्वर।। 
निज मन्दिरम गछ गछ परमेश्वरा ।
निज मन्दिरम गछ गछ परमेश्वरी ।।

ये दो बार बोलना है फिर वो चावल जमीन पर डाल दें फिर खडे हो
 जाये



पंचोपचार पूजन विधि संस्कृत में

 


पूजन की विधि संस्कृत मे

हरेश तंत्र शक्ति साधना केन्द्र
 *पूजन की विधि संस्कृत में* 
आज मे आपको प्राथमिक पूजन की विधी बता रहा हू कुछ भाई पूजन विधि जाने बिना ही साधना करते है नतीजा साधना सफल नही होती
 विधि 
१ सबसे पहले नहा धोकर साफ कपडे पहने फिर आसन पर ये मंत्र एक बार पढकर बैठे
 *मन मार मैदान करू करू मे चकना चूर पॉच महेश्वर आज्ञा करो तो बैठू आसन पूर* 
२ आसन पर बैठने के बाद पवित्री करण करे इस मंत्र से 👇 बाये हाथ मे जल ले उसमे दाये हाथ की पाचो उगली डालकर मंत्र बोले *ॐ अपवित्र पवित्रो वा सर्वेस्थाम गतोअपि स्मेरेत पुडिरीकाक्षः सः बाह्म्भयंतर शुचि ॐपुनात पुडंरीकाक्षाय ॐपुनात पुडंरी काक्षाय ॐपुनात पू* फिर पानी को सर पर , पूजन सामग्री पर छिडक दें

 ३ फिर आचमन करो 
आचमन के लिये तीन बार मंत्र बोले ॐकेशवाय नमः ॐमाधवाय नमः ॐ नारायणाय नमः मंत्र बोलकर दाये अगूठे से दो बार होठ पोछकर हाथ धोले
 ४ फिर प्राणायाम करे तीन बार 
दाये  नथुने से सॉस ले थोडी देर रोके और बाये नथुने  से निकाल दे फिर जिससे सॉस निकाली है उससे सॉस ले थोडी देर रोके दूसरे नथुने से निकाल दें 
५ फिर दीपक निम्न मंत्र बोलकर जलाये
 *ॐ ज्योत ज्योत महा ज्योत सकल ज्योत जगाये तुमको पूजे सकल संसार ज्योत माता तू ईश्वरी तू हमारी धरम की माता हम तेरे धरम के पूत* *ॐ ज्योति पुरूषाय धीमहि तन्नो ज्योत निरंजन प्रचोदयात* ६ फिर दो अगर बत्ती लगाये 

७ फिर गुरूजी का पूजन करे
 ८ फिर गणेश जी का पूजन करे 
९फिर इष्ट देव का पूजन करे 
१०फिर कुल देव का पूजन करे 
११ फिर पितरो का पूजन करें 
१२ फिर स्थान देव का पूजन करे 
*पूजन विधि* 
जिसका पूजन करना है उसका आवाहन करे दाये हाथ मे चावल पानी ले मंत्र बोले अहम् त्वाम ( श्री गुरूभ्यो ) आवाहनम् करिष्ये इहागच्छ तिष्ठ इदम आसनम समर्पियामि ( कोस्टक मे आप जिस गुरू या देव या देवी को बुलारहे हे उसका नाम ले ) चावल आसन या जमीन पर छोड दें हाथ से बैठने का इशारा करे

 2 फिर देवताओ के पैर धुलने के लिये एक चम्मच पानी कटोरी मे या किसी अन्य पात्र मे डालें और बोले हे महाराज मै आपके पैर धुल रहा हू 
फिर वस्त्र के रूप मे कलावा , मौली भेंट करें और बोले इदम् वस्त्रम् समर्पियामि फिर चन्दन दें इदम् चंदनम समर्पियामि 
फिर चावल दें इदम् अक्षतम् समर्पियामि 
फिर फूल या इत्र दे इदम् सुगन्धि समर्पियामि
 अगरबत्ती की तरफ हाथ से इशारे करे इदम् धूपम् घ्रहणयामि 
दीप दिखाये इदम् दीपम् दर्शयामि 
फिर मिठाई या बताशा दें इदम् नैवेध निवैदयामि
 जल दें इदम् जल समर्पियामि 
येसे ही सभी शक्तियों का क्रम से पूजन करते जाये गुरू गनेश इष्ट कुल देव पितर और स्थानदेव का करना है 
सुबह और शाम दोनो समय पंचोपचार पूजन करें 

 *पूजन विसर्जन विधि* 
अब आता है जब हमारी पूजा पूरी हो गयी है और देवो को विसर्जित करना है तो ये उसकी की विधि है 
हाथ मे थोड़े से चावल लेकर निम्न मंत्र बोलें 
*मंत्रहीनं क्रियाहीनं भक्तिहीनं सुरेश्वर* 
*यत्पूजितं माया देवं परिपूर्ण तदस्तु मे* 
*आवाहनं न जानामि न जानामि विसर्जनम* 
*पूजनम न जानामि क्षमस्व परमेश्वर।।'* 
*निज मन्दिरम गछ गछ परमेश्वरा*
 *निज मन्दिरम गछ गछ परमेश्वरी*
 ये दो बार बोलना है फिर वो चावल जमीन पर डाल दें 
फिर खडे हो जाये
अपना आसन को फोल्ड कर दें 

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माला संस्कार करने की विधि / Mala Sanskar Ki Vidhi

माला संस्कार की विधि प्राण प्रतिष्ठा करने की विधि 

प्राण प्रतिष्ठा हमारे जीवन मे धर्म का महत्व है 
और धर्म मे अपने अपने धर्मो के हिसाब से देवी देवता है 
जिनकी पूजा की जाती है पूजा के लिये मूर्ति माला यंत्रो आदि की जरूरत होती है और इन सबको मूर्ति माला यंत्रो मे प्राण प्रतिष्ठा की जाती है 
 इस दुनिया मे सारी चीजे बेजान ,निर्जीव और मृत है 
यहॉ तक की हमारा शरीर भी मृत है लेकिन ये कार्य कर रहा है क्योकि इसमें प्राण ऊर्जा है जो चैतन्य ऊर्जा है 
केवल यही जाग्रत ,चैतन्य और जीवित है बाकी सब इसके कारण ही जिन्दा है चैतन है 
इसे हम प्राण ऊर्जा ,चैतन्य ऊर्जा ,चित शक्ति आदि नामो से जानते है जब हम प्राण प्रतिष्ठा करते है तो इसी ऊर्जा को हम उस वस्तु मे ट्रान्सफर करते है या डालते है और वो वस्तु मे चेतना आती है 
ये हमारे प्राण ऊर्जा के कारन होता है और वो वस्तु चैतन कहलाती है मूर्ति मे भी यही प्राण प्रतिष्ठा की जाती है और उसके पूजन पाठ से हमारी मनोकामना शीघ्र पूरी होती है 
यदि येसी प्राण प्रतिष्ठित माला से जाप किया जाता है तो फल कई गुना बढ जाता है 
येसे ही यंत्रो को यदि प्राण प्रतिष्ठित कर लिया जाता है तो उनका प्रभाव भी बहुत बढ जाता है 
 प्राण प्रतिष्ठित करने की विधि दे रहा हू इसके द्वारा आप किसी भी माला यंत्र मूर्ति आदि को चैतन्य कर सकते है यंत्र को , या माला को , या मूर्ति को जिसकी प्रतिष्ठा करनी हो उसे 
 पहले दूध गंगाजल सादे पानी से अच्छी तरह धो लेना चाहिये 
आप चाहे तो पंचगव्य से भी धो सकते है 
 उसके बाद उसे पोछकर साफ करके माला को दोनो हाथो मे पकडे , यंत्र कर रहे है तो यंत्र के मध्य भाग पर अगूंठा रखे और 
मूर्ती कर रहे है तो मूर्ति के सीने पर अपने दाये हाथ के अगूठे से टच करे और निम्न मंत्र का जाप करें मंत्र 
ॐ सुहंसाय विद्यमये प्राण प्राणाय धीमहि।
 तन्नो ज्योति निरंजनि प्रचोदयात ।।
 ज्योति निरंजनि के स्थान पर उस देवता का नाम लेना है 
जिसकी स्थापना कर रहे है 
 जैसे *ॐ सुहंसाय विद्यमये प्राण प्राणाये धीमहि तन्नो शिव प्रचोदयात* 
 जितना अधिक चैतन्य करना हो उतने मंत्र का जाप करते रहिये इसमे कोई संख्या निश्चित नही है आप 108 , 1008 , 10008 जितना चाहे उतना जाप कर सकते है 
पूरे जाप मे अगूठा वही टच रहेगा और भावना करनी है कि हमारे शरीर की प्राण ऊर्जा इस अगूठे द्वारा इस मे प्रवेश कर रही है 

तंत्र भाव प्रधान है ये याद रखे
श्रदा विश्वास से ही ये फलता फूलता है 
हमारे शास्त्रो मे भी इसके मंत्र दे रखे है आप उसके द्वारा भी प्राण प्रतिष्ठा कर सकते है 
 मंत्र 
ॐ मनोजुस्तिजुस्तमयजस्य बृहस्पति यज्ञ समिमं दधातु विस्वे देवा इहा माद्यंत्यामो प्रतिस्ठितः
 अस्यै प्राणः प्रतिष्ठन्तु अस्यै प्राणाक्षरन्तु च
अस्यै वैषत्वमर्चायै मामहेति च कश्चन 
इसी प्रकार मंत्र जाप कै समय मंत्र में ध्यान देकर मंत्र मे भी प्राण ऊर्जा डाली जाये तो मंत्र भी चैतन्य हो जाता है* 
 इस प्रकार से चैतन्य माला द्वारा जाप करने से चैतन्य मूर्ति का , चैतन्य यंत्र का पूजन करने पर चमत्कार बहुत जल्द होते है 
और मंत्र जल्दी फलित होता है ये मंत्र , मूर्ति , यंत्र , माला को प्राण प्रतिष्ठित करने की विधि दी गयी है 
ठीक से पढें और समझें और एक तात्रिक विधि भी होती है 
जिसमे गौ मूत्र से , रक्त से माला को संस्कार किया जाता है* 
जन सामान्य को वो विधि देना उचित नही है 
किसी भाई को यदि माला संस्कार गौ मूत्र से करवाना हो तो पर्सनल सम्पर्क करें आपको माला संस्कारित करके दे दी जायेगी गो मूत्र से संस्कार करने की दक्षिणा 1100/ 
रक्त से संस्कार करने की दक्षिणा 2100/ जिस किसी भाई को करवाना हो पर्सनल बता दें 

 हरेश तंत्र शक्ति साधना केन्द्र








मेरा अनुभव / Mera Anubhav

हरेश तंत्र शक्ति साधना केन्द्र

मेरा अनुभव 
एक दिन मै अपने गुरूदेव जी के शरण मे था 
और तंत्र पर चर्चा हो रही थी तो मेरे गुरूदेव ने मुझसे कहा कि हरीश भगवान बारह मिनट में आ सकते है
 तो मै चौंक गया बडा खुश होकर मेने पूछा केसे तो उन्होने कहा 
ये सीखने में बारह साल लग जाते है और 
उस दिन में तंत्र के बहुत बडे राज को समझ चुका था 
क्या आप समझे ? 
सच मैं भगवान तो बारह ही मिनट में आ जाते है 
 मगर हमें उने बुलाने में बारह साल लग जाती है 
 शक्तियॉ तो मिनटों में हाजिर हो जाये मगर हम अपनी योग्यता साबित ही नही कर पाते 
और कभी तंत्र को , कभी गुरू को , कभी शक्तियों को कोसने लगते हैं 
जबकि असली कमी हमारे अपने अन्दर होती है 
हम ना तो तंत्र सीखना चाहते है 
 ना तंत्र समझना चाहते है हम सीधा करना शुरू कर देते है 
नतीजा हमे कुछ नही मिलता हम लोग तंत्र में शरीर से काम लेते है जबकि तंत्र में सफलता मन से काम लेने में मिलती है
माला फेरत जग मुआ मिटा का मन का फेर । 
कर का मनका डाल दें मन का मनका फेर ।। 

तंत्र मे सफलता असफलता का सारा राज इनी चार लाइनों में छुपा है 
 हरेश तंत्र शक्ति साधना केन्द्र
















जाप के प्रकार और साधना के परहेज / Jaap Ke Prkar Or Sadhna ke Parhej

हरेश तंत्र शक्ति साधना केन्द्र 

जाप के प्रकार और साधना के परहेज क्या है

 जाप तीन प्रकार का होता है 
1. मानसिक - जो केवल मन मे होता है जीभ भी स्थिर हो जाये 

2. उपांशु-  जो कि आपके अलावा कोई न सुन सके न समझ सके बुदबुदाना

3.बाचिक - जोर जोर से बोलना जिसे दूर बैठा सुन सके कथा वाचक की तरह 

केवल गुरुमंत्र आंखे बंद करके मानसिक होगा
बाकी सभी मंत्र जाप खुली आँखों से उपाशुं करने हैं 
लाइट बन्द रहेगी दीपक का प्रकाश पर्याप्त है 
ये नियम केवल साधना और कवच सिद्ध के समय रखने है गुरुमंत्र या नित्य पंचोपचार पूजन में नही 

साधना करते समय आपको ये चार नियमों का पालन करना है 

1* ब्रह्मचर्य का पालन करना है स्वप्नदोष से कोई दिक्कत नही है 
2* शराब या भांग या कोई भी ऐसा नशा जो आपके दिमाग को कंट्रोल करें व नहीं करना हैं 
3* अंडा ,मांस, मछली का प्रयोग नही करना है 
4* पूरे साधना काल मे उसी कमरे में जमीन पर बिस्तर लगाकर सोना हैं 

 *ये कुछ जरूरी वस्तुएं हैं जो प्रत्येक साधक के पास होनी आवश्यक हैं* 
 रुद्राक्ष माला, सफेटिक माला, काली हकीक माला, हरि तस्वी माला, 
गौ मुखी, आसन लाल , आसन के कपड़े, काले ,पिले, सफेद, हरे,  रोली ,कलावा, सुगंधित इत्र, अगरबत्ती या धूपबत्ती भोग में बतासे, मिश्री, या जो हो साधना में मिठाई

साधना की तैयारी केसे करें / Sadhna ki Tayari Kese Karen

हरेश तंत्र शक्ति साधना केन्द्र

*साधना की तैयारी*


बहुत से साधक येसे है जो साधनाये  तो करते है मगर सफल नही होते उनकी सबसे मैन कमी ये होती कि वो लोग साधना को बिना तैयारी के करते है नतीजा ये होता है कि साधना असफल हो जाती है और वो लोग अपनी कमी देखने के बजाय तंत्र को दोष देने लग जाते है
आज मै आपको साधना की तैयारी के बारे मे कुछ जानकारी दे रहा हू ध्यान से पढें और करें आपको सफलता अवश्य मिलेगी

१. सबसे पहले योग्य गुरू से साधना का विधि विधान प्राप्त करें
२. *साधना कम से कम साधना वाले दिन से दस बारह दिन पहले लेनी चाहिये ताकि तैयारी कर* सकें
३. मंत्र को अच्छी तरह ये याद कर लेना चाहिये अटक अटक कर जाप किया मंत्र निष्फल हो जाता है
४. पूरी सामग्री ताजा, शुद्ध , और पूरी मात्रा मे खरीद कर रख लेनी चाहिये ताकि बीच में दिक्कत ना हो
५.  फल , फूल , मिठाई , दूध , दही वगैरह उसी दिन ताजी खरीद कर लाना चाहिये
६. तन , मन , धन से तैयारी करनी चाहिये साधना पूरे मन से , पूरे विश्वास से , पूरी श्रदा  के साथ करनी चाहिये बिना इनके साधना कभी सफल नही होती
७. *तंत्र को ,  मंत्र को , गुरू को  , इष्ट को , किसी शक्ति को* *आजमाने  के लिये साधना मत कीजिये क्योकि आपका* *अनुष्ठान बेकार तो जायेगा ही आपको नुकसान भी उठाना पड सकता है*
८. जल्दबाजी मे कोई भी साधना मत कीजिये क्योकि जल्दबाजी मे कोई काम सफल नही होता
तो साधना कैसे सफल होगी
९. अपनी हार को , परेशानी को , साधना के ऊपर हावी मत होने दें
नही तो आपको कुछ नही मिलेगा
१०. जाप के वक्त आपका ध्यान पूरी तरह से अपने मंत्र मे या उस मंत्र के देव मे होना चाहिये जिसका जाप कर रहे हो फिर चाहे वो मंत्र देव का हो या इतर योनि का हो
११.  साधना की पूरी प्रकिया को अच्छी तरह से समझ लेना चाहिये
तब साधना शुरू करनी चाहिये
१२. साधना हमेशा प्रेम से , शान्ति से करनी चाहिये हडबडी  नही करनी चाहिये
१३. *सबसे जरूरी बात जिस गुरू *से आपने साधना ली है उस पर पूरा विश्वास करना चाहिये*
*क्योकि सबसे पहले पूजा गुरू की की जाती है और यदि उस पर भरोसा ही नही है केवल पूजा की  फार्मल्टी  कर रहे हो तो आप* *सारी जिन्दगी पूजा जाप करते रहो कभी सफल नही हो सकते क्योकि गुरू ही साधना मे सफलता की कुंजी होता है* *इसलिये गुरू पूजन सबसे पहले किया जाता है और यदि हमने* *उसका पूजन ही मन से नही किया तो बाकी कोई भी शक्ति तुम्हारे* *आवाहन पर नही आयेगी ये ध्यान रखना*