कनक धारा स्त्रोत / Kanak dhara Strotra

हरेश तंत्र शक्ति साधना केन्द्र


कनकधारा स्त्रोत




धन आज के जीवन की सबसे बडी आवश्यकता है
जिसके पास ये धन नही होता है उसका जीवन बहुत कष्टमय गुजरता है

जीवन मे धन की जरूरत सभी होती है
चाहे वो कोई भी हो

हमारे तंत्र मे धन के लिये बहुत से मंत्र , तंत्र , टोटके , स्त्रोत आदि दे रखे हैं


कनक धारा स्त्रोत माता लक्ष्मी को प्रसन्न करने का  सबसे सरल तरीका है

इसके मात्र जाप से लक्ष्मी माता प्रसन्न हो जाती है
 जिससेे धन की कमी पूरी होती है

साधक को आवश्यकता अनुरूप धन प्राप्त होता है

इसका मेने और मेरे शिष्यो ने प्रयोग किया और आशातीत सफलता पायी

इसके पाठ से आपके रूके हुये धन सम्बन्धित कार्य हो जाते है
कार्य व्यापार ठीक से चलने लगते है

आमद बढ जाती है

यदि इसे ठीक से सिद्ध कर लिया जाये तो अचानक से प्रचुर मात्रा मे धन प्राप्त हो जाता है




स्त्रोत




अंगं हरेः पुलक भूषणमाश्रयन्ती
भृगांगनेव मुकला भरणम् तमालम्

अगीं कृता अखिल विभूति रपांग लीला
मांगल्यदाsस्तु मम् मंगलदेवतायाः

मुग्धा मुहुर्विधती बदने मुरारे
 प्रेमत्रपा प्रिणिहितानि गताsगतानि

माला दृशोर्म धुकरीव महोत्पले या सामे श्रियं दिशतु सागर सम्भवाया


विश्वामरेन्द्रपद विभ्रम दान दक्षन्मानंद
हेतुरधिकं मुर विद्विषो sपि

ईषान्नि षीदतु मयि क्षणमीक्षणार्द्व
मिन्दीवरोदर सहोदर मिन्दीरायः


अमीऩिताक्ष माधिगम्य मुदा मुकन्द
मानन्द कन्द मनिमेष मनंग तंत्रम्

आकेकर स्थित कनीनिक पद्य नेत्रं
भूत्वै भवैत्रम भुजंग शयांगनायाः


बाह् वन्तरे मधुजितः श्रित कौस्तुभे या
हारावलीव हरिनीलमयी विभाति

कामप्रदा भगवती sपि कटाक्ष माला
कल्याण मावहतु मे कमलालयायाः

कालाम्वुदालि ललितोरसि कैटभारे
र्धाराधरे स्फुरति या तडिदंगनेव


मातुः समस्त जगतां महनीय मूर्ति
र्भर्दाणि में दिशतु भार्गव नन्दनायाः



प्राप्तं पदं प्रथमतः खलुयत् प्रभावान
मांगलय भाजि मधु मथिनि मन्मथेन


मय्या पतेत् तदिह मन्थर मीक्षणार्द्धम्
मन्दाsलसच्च मकरालय कन्यकायाः


दद्यात् दयानुपवनो द्रविणाम्बुधारा
मस्मिन्नकिच्चन विहंगशिशौ विषष्णे

दुष्कर्म धर्म मपनीय चिराय  दूरं दूरं
नारायण प्रणयिनी नयनाम्बुवाहः

इष्टा विशिष्ट मतयोsपि यथा दयार्द
दृष्ट़या त्रिविष्टप पदं सुलभं लभन्ते

दृष्टि प्रहष्ट कमलोदर दीप्ति रिष्टां
पुष्टिं कृपीष्ट मम् पुष्कर विष्टरायाः

गीर्देवतेति गरूड ध्वजसुन्दरीति
शकम्भरीति शशि शेखर बल्लभेति


सृष्टि स्थित प्रलय केलिषु  संस्थितायै
तस्यं ममस्त्रिभुवनैक गुरौस्तरूण्यै


श्रुत्यै नमोsस्तु शुभ कर्म फल प्रसुत्यै रंत्यै
नमोsस्तु रमणी़य गुणार्णवायै


शक्तयै नमोsस्तु शतपत्र निकेतनायै
पुष्ट्यै नमोsस्तु पुरूषोत्तम बल्लभायै


नमोsस्तु नालीक निभाननायै
नमोsस्तु दुग्धो दधि जन्म भूत्यै


नमोsस्तु सोमामृत सोदरायै
नमोsस्तु नारायण वल्लभायै



सम्पतकराणि सकलेन्द्रिय नन्द नानि
साम्राज्यदान विभवानि सरोरूहाक्षि


त्वद वन्दनानि हरिताहरणो द्यतानि
मामेव मातर निशं कलयन्तु मान्ये


यत्कटाक्ष समुपासना विधिः
सेवकस्य सकलार्थ  सम्पदः


सन्तनोति वचनाsगं  मानसै 
स्त्वां  मुरारि ह्रदयेश्वरी भजै

सरसिज निलये  सरोज हस्ते
धवलतमांशुक गंध माल्यशोभे

भगवति हरिवल्लभे  मनाज्ञे
त्रिभुवन भूतिकारी प्रसिद्ध मह्यम्


दिग्धस्तिभिः कनक कुम्भ सुखाव
सृष्ट
स्वर वाहिनी विमल चारू जलप्युतांगीम्


प्रातर्नमामि जगतां जननीमशेष
लोकाधिनाथ गृहिणो ममृताब्धिपुत्रीम्


कमले कमलाक्ष वल्लभे त्वं
 करूणापूर तरंगितैर पांगैः


अवलोकय मामकिंचनानां
प्रथमं पात्र कृत्रिम दयायाः


स्तुवन्ति ते स्तुतिभिरमु भिरन्वह
त्रयीमयी त्रिभुवन मातरं रमाम्

गुणाधिका  गुरूतर भाग्य भागिनो
भवन्ति ते भुवि बुधभाविताशयाः




ये है कनक धारा स्त्रोत

इसका जाप गुरूवार को प्रातकाल उत्तर मुख होकर लक्ष्मी कुबेर का पूजन करके करें



पूजन सामान्य पचोपचार दें
हो सके तो खीर का नैवेद्य प्रदान करें

जितने पाठ जाप करेगे आपको फल की प्राप्ति भी वेसे ही होगी

अनुष्टठान को कम से कम 11 से 21 दिन करना चाहिये

या हो सके तो नित्य पॉच पाठ सुबह पॉच पाठ शाम को करने चाहिये


पाठ से पहले संकल्प लेना चाहिये
संकल्प केसे ले उसके लिये संकल्प की पोस्ट पढे

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चौसठ योगिनी साधना /Chosath Yogini Sadhna

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चौसठ योगिनी साधना


आज मे आपको चौसठ योगिनी की साधना बता रहा हू
इस साधना को करने के बाद साधक पर चौसठ योगिनी कृपा करती है
और एक दो योगिनी हमेशा साथ रहती है और कार्य करती है

ये साधना वीर भाव की है
माता के रूप मे सभी योगिनयो का ध्यान किया जाता है

इससे साधक के सभी बिगडे  काम संवर जाते है

और सुख सौभाग्य मे वृद्धि होती है
साधक लम्बी आयु जीता है
और बहुत नाम और यश कमाता  है
इस एक साधना को करने से ही मनुष्य सबकुछ पा लेता है


साधना विधि



किसी भी अमावस्या या पूर्णिमा को ये साधना शुरू करनी चाहिये
रात को दस बजे साधक नहा कर सफेद या लाल स्वच्छ कपडे पहने
लाल आसन पर बैठे

सामने जमीन पर चौसठ सुपारी को योगिनी मानकर रखें

सबसे पहले गुरू का पंचोपचार पूजन करें
उसके बाद माता दुर्गा का पूजन ध्यान करें
फिर अपने इस्ट का पूजन करें
 योगिनी साधना मे कुल देव या कुल देवी का विशेष महत्व है
इसलिये इनका पूजन अवश्य दें
पितरो और स्थान देव का पूजन करें

इन सभी से साधना मे सफलता का आशिर्वाद लें
और साधना की आज्ञा मॉगे


संकल्प लेले

इसके बाद हाथो मे चावल लेकर
चौसठ योगिनियो का आवाहन करें
और उन चावल को सुपारियो  पर डाल दें

सभी सुपारी पर रोली से टीका लगायें
सभी का एक साथ पूजन करें

फिर उनका माता के रूप मे पूजा करें

चंदन , धूप ,दीप घी का , रोली ,
फूल जो मिल जाये , चावल को लाल पीले कर लेना वो चडाना  हल्दी रोली मिलाकर

,वस्त्र के रूप मे एक लाल रंग की साडी ,जिसे साधना  के बाद मॉ को दे दें मॉ ना हो तो चाची ,दादी को दे दें ,लाल चूडी, चुनरी लाल रंग की ,ये सब मॉ को देदे साधना के बाद ,

कम से कम ढाई सौ ग्राम बडिया मिठाई का भोग लगायें
 खीर और पॉच पूडी  का भोग लगाये नित्य रोज
प्रतिदिन
पानी दे किसी लोटे मे पीने को


उसके बाद मंत्र का जाप करें और वहीं कमरे मे ही सोये


मंत्र का जाप रूद्राक्ष की माला से करें जाप इक्कीस माला का करना है रोज

ये प्रयोग लगातार इक्कीस दिन करें
इकीसवे  दिन सभी योगिनयो का विसर्जन कर दें

और जो योगिनी प्रत्यक्ष हो उससे कृपा मॉग लें
और हमेशा साथ रहने का वचन मॉग लें

इस साधना से साधक पर हमेशा योगिनी की कृपा बनी रहती है और वो घर समाज मे सबका प्रिय और चहेता बना रहता है


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