हरेश तंत्र शक्ति साधना केन्द्र
चौसठ योगिनी साधना
आज मे आपको चौसठ योगिनी की साधना बता रहा हू
इस साधना को करने के बाद साधक पर चौसठ योगिनी कृपा करती है
और एक दो योगिनी हमेशा साथ रहती है और कार्य करती है
ये साधना वीर भाव की है
माता के रूप मे सभी योगिनयो का ध्यान किया जाता है
इससे साधक के सभी बिगडे काम संवर जाते है
और सुख सौभाग्य मे वृद्धि होती है
साधक लम्बी आयु जीता है
और बहुत नाम और यश कमाता है
इस एक साधना को करने से ही मनुष्य सबकुछ पा लेता है
साधना विधि
किसी भी अमावस्या या पूर्णिमा को ये साधना शुरू करनी चाहिये
रात को दस बजे साधक नहा कर सफेद या लाल स्वच्छ कपडे पहने
लाल आसन पर बैठे
सामने जमीन पर चौसठ सुपारी को योगिनी मानकर रखें
सबसे पहले गुरू का पंचोपचार पूजन करें
उसके बाद माता दुर्गा का पूजन ध्यान करें
फिर अपने इस्ट का पूजन करें
योगिनी साधना मे कुल देव या कुल देवी का विशेष महत्व है
इसलिये इनका पूजन अवश्य दें
पितरो और स्थान देव का पूजन करें
इन सभी से साधना मे सफलता का आशिर्वाद लें
और साधना की आज्ञा मॉगे
संकल्प लेले
इसके बाद हाथो मे चावल लेकर
चौसठ योगिनियो का आवाहन करें
और उन चावल को सुपारियो पर डाल दें
सभी सुपारी पर रोली से टीका लगायें
सभी का एक साथ पूजन करें
फिर उनका माता के रूप मे पूजा करें
चंदन , धूप ,दीप घी का , रोली ,
फूल जो मिल जाये , चावल को लाल पीले कर लेना वो चडाना हल्दी रोली मिलाकर
,वस्त्र के रूप मे एक लाल रंग की साडी ,जिसे साधना के बाद मॉ को दे दें मॉ ना हो तो चाची ,दादी को दे दें ,लाल चूडी, चुनरी लाल रंग की ,ये सब मॉ को देदे साधना के बाद ,
कम से कम ढाई सौ ग्राम बडिया मिठाई का भोग लगायें
खीर और पॉच पूडी का भोग लगाये नित्य रोज
प्रतिदिन
पानी दे किसी लोटे मे पीने को
उसके बाद मंत्र का जाप करें और वहीं कमरे मे ही सोये
मंत्र का जाप रूद्राक्ष की माला से करें जाप इक्कीस माला का करना है रोज
ये प्रयोग लगातार इक्कीस दिन करें
इकीसवे दिन सभी योगिनयो का विसर्जन कर दें
और जो योगिनी प्रत्यक्ष हो उससे कृपा मॉग लें
और हमेशा साथ रहने का वचन मॉग लें
इस साधना से साधक पर हमेशा योगिनी की कृपा बनी रहती है और वो घर समाज मे सबका प्रिय और चहेता बना रहता है
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चौसठ योगिनी साधना
आज मे आपको चौसठ योगिनी की साधना बता रहा हू
इस साधना को करने के बाद साधक पर चौसठ योगिनी कृपा करती है
और एक दो योगिनी हमेशा साथ रहती है और कार्य करती है
ये साधना वीर भाव की है
माता के रूप मे सभी योगिनयो का ध्यान किया जाता है
इससे साधक के सभी बिगडे काम संवर जाते है
और सुख सौभाग्य मे वृद्धि होती है
साधक लम्बी आयु जीता है
और बहुत नाम और यश कमाता है
इस एक साधना को करने से ही मनुष्य सबकुछ पा लेता है
साधना विधि
किसी भी अमावस्या या पूर्णिमा को ये साधना शुरू करनी चाहिये
रात को दस बजे साधक नहा कर सफेद या लाल स्वच्छ कपडे पहने
लाल आसन पर बैठे
सामने जमीन पर चौसठ सुपारी को योगिनी मानकर रखें
सबसे पहले गुरू का पंचोपचार पूजन करें
उसके बाद माता दुर्गा का पूजन ध्यान करें
फिर अपने इस्ट का पूजन करें
योगिनी साधना मे कुल देव या कुल देवी का विशेष महत्व है
इसलिये इनका पूजन अवश्य दें
पितरो और स्थान देव का पूजन करें
इन सभी से साधना मे सफलता का आशिर्वाद लें
और साधना की आज्ञा मॉगे
संकल्प लेले
इसके बाद हाथो मे चावल लेकर
चौसठ योगिनियो का आवाहन करें
और उन चावल को सुपारियो पर डाल दें
सभी सुपारी पर रोली से टीका लगायें
सभी का एक साथ पूजन करें
फिर उनका माता के रूप मे पूजा करें
चंदन , धूप ,दीप घी का , रोली ,
फूल जो मिल जाये , चावल को लाल पीले कर लेना वो चडाना हल्दी रोली मिलाकर
,वस्त्र के रूप मे एक लाल रंग की साडी ,जिसे साधना के बाद मॉ को दे दें मॉ ना हो तो चाची ,दादी को दे दें ,लाल चूडी, चुनरी लाल रंग की ,ये सब मॉ को देदे साधना के बाद ,
कम से कम ढाई सौ ग्राम बडिया मिठाई का भोग लगायें
खीर और पॉच पूडी का भोग लगाये नित्य रोज
प्रतिदिन
पानी दे किसी लोटे मे पीने को
उसके बाद मंत्र का जाप करें और वहीं कमरे मे ही सोये
मंत्र का जाप रूद्राक्ष की माला से करें जाप इक्कीस माला का करना है रोज
ये प्रयोग लगातार इक्कीस दिन करें
इकीसवे दिन सभी योगिनयो का विसर्जन कर दें
और जो योगिनी प्रत्यक्ष हो उससे कृपा मॉग लें
और हमेशा साथ रहने का वचन मॉग लें
इस साधना से साधक पर हमेशा योगिनी की कृपा बनी रहती है और वो घर समाज मे सबका प्रिय और चहेता बना रहता है
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