गुरू शिष्य संवाद पार्ट 2

हरेश तंत्र शक्ति साधना केन्द्र

गुरू शिष्य संवाद  2


 Q.  गुरू जी सम्प्रदायै से दीक्षित होने पर ही साधना सफल होती है

Ans. हॉ आपको सम्प्रदाय का नाम नही देने के पीछे मेरा यही उद्देश है

तंत्र किसी की बापौती नही है

वेसे नाथ अघोर रामानंदी वैष्णव गिरि पुरी भारती ये सभी साधुओ के सम्प्रदाय है
ये उनके लिये है जिन्होने ग्रहस्थ छोड दिया है

लेकिन आज सब गलत हो रहा है
हर सम्प्रदाय अपने आप को बढाने के लिये ग्रहस्थी को दीक्षा दे रहे है ये गलत है
तुम ग्रहस्थी हो तो केसे नाथ केसे अघोरी
दीक्षा के समय पिंडदान करवाते थे मुंडन होता है नाम बदला जाता है क्यो क्योकि तुम ग्रहस्थी नही रहे अब मर चुके हो
दीक्षा के बाद का जीवन दूसरा होता है
नया होता

तुमे ग्रहस्थी रहना है तो मे तुमे सम्प्रदाय के नाम का ढोंग नही करवाना चाहता
तंत्र को कोई भी सीख सकता है
तुम साधक बन जाते हो बस तुम्हारा मुंडन नही होता
तुम्हारी पहचान नही छीनना चाहता मे
तुम जो हो जहॉ हो जैसे हो वही पर अपने इष्ट को  समर्पित हो जाओ  बस तुम साधक हो


इसलिये स्वतंत्र रहो क्योकि तंत्र किसी सम्प्रदाय ने खरीद नही रखा है

किसी सम्प्रदायै मे दीक्षित होकर तंत्र साधना करना बढे सौभाग्य की बात है

ग्रहस्थी होकर गलत बात है
जब सौप दिया तो सौप दिया

नही तो नही

इसल्ये
मस्त रहो अपने परिवार के साथ हसते खिलखिलाते जीवन गुजारो क्योकि यदि परिवार नही तो इस दुनिया मे कुछ नही


Q. गुरु जी नमन...जय हो गुरुदेव....पर गुरु जी ...अगर...यह सब गृहस्त को नहीं..दी जाती तो..जो आज गृहस्त के नाम पर...अघोरी या गिरी..या नाथ..लगा के बैठे है उन्हें यह विद्या फलीभूत कैसे होती है?


Ans.  मेने कहा है ना कि तंत्र किसी की बापौती नही है
जो समर्पित हो जाता है उनका घडा भर जाता है
भरने के लिये घडे को नीचे पानी मे डूबना पडता है
यानि जो जहॉ झुक जाता है प्रकृति उसे वही भर देती है

Q.  ji...samjha..ache se samjha.

Ans.  ये समझना बिना प्रेम के खतरनाक होता है ज्ञान के साथ साथ मनुष्य को  प्रेम भी आना चाहिये
जितना ज्ञान हो उतना ही प्रेम से भरो
नही तो बिनाप्रेम के ज्ञान तुमे अंहकार से भर देगा
जो गलत है

यानि बिना प्रेम का ज्ञान तुमे अंहकार से भर देता है

जितना भरो उतना झुकते चलेजाओ तो समझो कि ज्ञान आ रहा है
झुके बिना जो ज्ञान है वो बहुत खतरनाक होता है
वो एक दिन तुमे ले डूबेगा

जिस डाली पर फल होते है वो बिना फल वाली डाली से झुकी रहती है
झुके ना तो समझ लो कुछ गलत हो रहा है
झुकना कमजोरी नही प्रेम की निशानी होती है


Q. guru ji...navraatre mein nav deviyon ka pujan kiya jaata hai
aur hum 10 mahavidaayon ki bhi upasana aur sadhna karte hein
To devi k 9 swarup hai yaa 10


Ans.  देवी और दसमहा विधा अलगअलग है

Q.  parbrahm aur trimurti ka kya koi relation hai guru ji....

Ans.  नही केवल उतना जितना तुम्हारा है

Q.  AUR agar trimurti bhi dev hein toe anya dev aur trimurti mein kya bus itna he farq hai ki trimurti head hai

Ans.  हॉ सही है

Q.  गुरु जी आपने 1 बार कहा था कि देव भी इंसान से डरते हैं...तोए क्या इंसान भी अपने कर्मों से देव बन सकता है ?

Ans.  भाई आप लोग समझते ही नही हो
इंसान ही देव बनता है
गधे घोडे बनता है भूत प्रेत बनता है
और वापस इंसान बनता है
जैसे हम किसी दूसरे लोक मे स्वर्ग मे भोग भोगने जाते है
प्रेत लोक मे प्रेत बनकर
यक्ष लोक मे यक्ष बनकर
येसे ही अभी भी हम केवल कर्मो को ही भोगने मुनष्य बने है
पृ्थ्वी लोक मे आये है कुछ दिन यहॉ रहेगे फिर किसी अन्य लोक मे अन्य रूप आकार मे रहेगे
ये सब येसे ही चलता रहता है अनंत काल सेचल रहा है

Q.  गुरुदेव आवाहन का अर्थ-किसी देवता को बुलाना होता है.क्या

Ans.   हॉ देवता को बुलाना ही आवाहन कहलाता है

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दिव्य दृष्टि दिव्या यक्षिणी साधना

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दिव्य दृ्ष्टि यक्षिणी साधना


इस साधना के बाद साधक किसी भी मनुष्य के बारे मे आखे बन्द करके ही सब कुछ जान लेता है
वो जहॉ भी हो एकदम साफ साफ देख लेता है

कि सामने वाला क्या कर रहा है किस हाल मे है
योगी ध्यानी इसका अधिक प्रयोग करते है
ये प्रयोग पूर्ण रूप से गोपनीय है
मे इसे पहली बार आपलोगो के समक्ष पेश कर रहा हू
ये बहुत दुर्लभ साधना है


पूर्णिमा की रात नहा धोकर
साधक लाल वस्त्र पहने
लाल आसन पर बैठे
उत्तर मुख होकर
सामने यक्षिणी के लिये एक थाल रखे जिसमे सिन्दूर से स्वास्तिक बना ले
लाल कपडे की पट्टी जिसे आखो पर लपेट कर बाधॉ जा सके उतनी बडी होनी चाहिये
गुरू गणेश इष्ट कुल देव स्थान देव की पूजा दे
माता दुर्गा की पूजा दे
शिव पार्वती की पूजा दे
सभी से साधना मे सफलता का आशिर्वाद ले

फिर हाथ मे चावल लेकर दिव्या यक्षिणी का आवाहन करे

चावलो को थाल मे छोडे
फिर धूप दीप पुष्प गंध चन्दन इत्र सिन्दूर मिठाई कुमकुम आदि से पूजा करे

यक्षिणी का देवी रूप मे ही आवाहन पूजन करे
कोई सम्बंध ना बनाये
दिव्य दृष्टि के  लिये ही केवल संकल्प लें

पूजन करके
उस लाल पट्टी को आखो पर बॉध ले फिर
एक माला गुरू मंत्र की करे फिर 21 माला मंत्र स्फटिक की माला  से जाप करे
जाप उपांशु करे

जाप के बाद पट्टी खोल कर वही रख दे

जाप के बाद छमा याचना करे
वही कमरे मे ही सोये

येसा लगातार 15 दिन करे
पन्द्रहवे दिन अमावस्या को जाप करके उस पट्टी को आखो पर बॉध ले और फिर खोले नही लगातार तीन दिन तक बंधी रहने दे

साधना के बीच मे ही आपको रोशनी दिखाई देगी फिर वो साफ होकर चित्र रूप मे दिखने  लगेगा

येसा होने पर साधना सिद्ध मानी जाती है

इसमे यक्षिणी दर्शन भी दे सकती है और वो सिर पर हाथ रखकर भी दिव्य दृष्टि खोल सकती है

इसमे यक्षिणी का दर्शन होना जरूरी नही है
तीन दिन पट्टी बॉधते वक्त अपने साथ किसी और को रख लेना जो दैनिक कार्यो मे मदद करेगा

या जो लोग पट्टी को तीन दिन लगातार नही बाध सकते वो साधना लगातार पूरे एक महीने तक विधिवत करे
यानि पूर्णिमा तक तो बीच मे ही दिव्य दृष्टि खुल जाती है

येसा होने पर पूजन का विसर्जन करे

यक्षिणी दर्शन दे तो ये समय की मॉग करती है तो जितने वर्ष के लिये दिव्य दृष्टि रखनी हो जैसे बीस साल तीस साल उतने दिन का बोल दे


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पूजन की विधि संस्कृत मे

हरेश तंत्र शक्ति साधना केन्द्र *पूजन की विधि संस्कृत में* आज मे आपको प्राथमिक पूजन की विधी बता रहा हू कुछ भाई पूजन विधि जाने बिना ही साधना करते है नतीजा साधना सफल नही होती विधि १ सबसे पहले नहा धोकर साफ कपडे पहने फिर आसन पर ये मंत्र एक बार पढकर बैठे *मन मार मैदान करू करू मे चकना चूर पॉच महेश्वर आज्ञा करो तो बैठू आसन पूर* २ बैठने के बाद पवित्री करण करे इस मंत्र से 👇 बाये हाथ मे जल ले उसमे दाये हाथ की पाचो उगली डालकर मंत्र बोले *ॐ अपवित्र पवित्रो वा सर्वेस्थाम गतोअपि स्मेरेत पुडिरीकाक्षः सः बाह्म्भयंतर शुचि ॐपुनात पुडंरीकाक्षाय ॐपुनात पुडंरी काक्षाय ॐपुनात पू* फिर पानी को सर पर , पूजन सामग्री पर छिडक दें ३ फिर आचमन करो तीन बार मंत्र बोले ॐकेशवाय नमः ॐमाधवाय नमः ॐ नारायणाय नमः मंत्र बोलकर दाये अगूठे से दो बार होठ पोछकर हाथ धोले ४ फिर प्राणायाम करे तीन बार एक नथुने से सॉस ले थोडी देर रोके और दूसरे से निकाल दे फिर जिससे सॉस निकाली है उससे सॉस ले थोडी देर रोके दूसरे नथुने से निकाल दें ५ फिर दीपक निम्न मंत्र बोलकर जलाये *ॐ ज्योत ज्योत महा ज्योत सकल ज्योत जगाये तुमको पूजे सकल संसार ज्योत माता तू ईश्वरी तू हमारी धरम की माता हम तेरे धरम के पूत* *ॐ ज्योति पुरूषाय धीमहि तन्नो ज्योत निरंजन प्रचोदयात* ६ फिर दो अगर बत्ती लगाये ७ फिर गुरूजी का पूजन करे ८ फिर गणेश जी का पूजन करे ९फिर इष्ट देव का पूजन करे १०फिर कुल देव का पूजन करे ११ फिर पितरो का पूजन करें १२ फिर स्थान देव का पूजन करे *पूजन विधि* जिसका पूजन करना है उसका आवाहन करे दाये हाथ मे चावल पानी ले मंत्र बोले अहम् त्वाम ( श्री गुरूभ्यो ) आवाहनम् करिष्ये इहागच्छ तिष्ठ इदम आसनम समर्पियामि ( कोस्टक मे आप जिस गुरू या देव या देवी को बुलारहे हे उसका नाम ले ) चावल आसन या जमीन पर छोड दें हाथ से बैठने का इशारा करे 2 फिर देवताओ के पैर धुलने के लिये एक चम्मच पानी कटोरी मे या किसी अन्य पात्र मे डालें और बोले हे महाराज मै आपके पैर धुल रहा हू फिर वस्त्र के रूप मे कलावा , मौली भेंट करें और बोले इदम् वस्त्रम् समर्पियामि फिर चन्दन दें इदम् चंदनम समर्पियामि फिर चावल दें इदम् अक्षतम् समर्पियामि फिर फूल या इत्र दे इदम् सुगन्धि समर्पियामि अगरबत्ती की तरफ हाथ से इशारे करे इदम् धूपम् घ्रहणयामि दीप दिखाये इदम् दीपम् दर्शयामि फिर मिठाई या बताशा दें इदम् नैवेध निवैदयामि जल दें इदम् जल समर्पियामि येसे ही सभी शक्तियों का क्रम से पूजन करते जाये गुरू गनेश इष्ट कुल देव पितर और स्थानदेव का करना है सुबह और शाम *पूजन विसर्जन विधि* अब आता है जब हमारी पूजा पूरी हो गयी है और देवो को विसर्जित करना है तो ये उसकी की विधि है हाथ मे थोड़े से चावल लेकर निम्न मंत्र बोलें *मंत्रहीनं क्रियाहीनं भक्तिहीनं सुरेश्वर* *यत्पूजितं माया देवं परिपूर्ण तदस्तु मे* *आवाहनं न जानामि न जानामि विसर्जनम* *पूजनम न जानामि क्षमस्व परमेश्वर।।'* *निज मन्दिरम गछ गछ परमेश्वरा* *निज मन्दिरम गछ गछ परमेश्वरी* ये दो बार बोलना है फिर वो चावल जमीन पर डाल दें फिर खडे हो जाये

कुंजिका स्त्रोत साधना

कुंजिका स्त्रोत साधना विधि


हरेश तंत्र शक्ति साधना केन्द्र

नवरात्रै  माता दुर्गा जी की साधना करने के लिये उपयुक्त होते है माता की कृपा प्राप्तिमे इनका भीबहुत महत्व है

 नवरात्रो मे करने के लिये साधना दे रहा हूँ
 विधि वत साधना करे इस साधना को करने से आप लोगो के कष्ट दूर कर सकते है माता की विशेष कृपा प्राप्त होती है किसी भूत प्रेत पीडित का इलाज कर सकते है कि सी भी प्रकार का दर्द दूर कर सकते है

करने को तो षट् कर्म भी कर सकते है लेकिन लोक हित मे  उनकी विधि  बताना उचित नही है

नार्मल वशीकरण मे कुछ खाने पीने की वस्तु को अभिमंत्रित करके खिलवा दे

और इससे बहुत चमत्कारी कार्य किये जा ते है

विधि           -------           सिध्द कुंजिका स्त्रोत साधना म




आप सुबह नहा धोकर स्वछ वस्त्र पहने पूरब की ओर मुह करके बैठे
सामने माता जी की फोटो या मूर्ति रखे  

सिध्दि प्राप्त करने के लिये संकल्प करे
 संकल्प मे स्पष्ट रूप से अपनी इच्छा  रखे
धन , मान. ,यश ,वशीकरण मोहन जो आप चाहे

 साधना नियत समय नियत स्थान पर करे
आप ये प्रयोग रात को भी कर सकते है

प्राथमिक पूजन करे जैसे गुरू पूजन ,गणेश ,इष्ट पूजन ,कुलदेव   पूजन ,    पितर पूजन ,   स्थान देव पूजन ,लोकपाल दिक्पाल पूजन , व ग्रह पूजन   आदि  सभी का पंचोपचार पूजन करे

उसके बाद माता का पूजन करे
कृपा प्राप्ति की प्रार्थना करे श्री सिध्द कुंजिका स्त्रोत का  108 पाठ एक आसन से दे


जो माता के भक्त है उनको  माता की कृपा से जल्दी लाभ  मिलता है

आप इसका प्रयोग धन प्राप्ति के लिये भी कर सकते है  जो इच्छा हो वो संकल्प ले
नौकरी व्यवसाय इंटरव्यू मे सफलता के लिये भी ये प्रयोग कर सकते है माता जी की
कृपा से सब कार्य सिद्ध होगे

सिध्द कुंजिका स्त्रोत से आप बहुत कुछ कर सकते हो

नव रात्रि मे सबसे बेहतर करने कि लिये यदि कुछ है तो वो है कुंजिका स्त्रोत

इसके द्वारा समस्त कार्य समस्त इच्छाये पूरी हो जाती है
कुंजिका स्त्रोत का संकल्प आप किसी भी कैसी भी इच्छा के लिये ले सकते है

कुंजिका स्त्रोत के 108  प्रतिदिन किये जाते है पूरे नौ दिन तक
नौवे दिन यथा शक्ति हवन कर लें
वेसे तो आप किसी के लिये भी संकल्प ले सकते है लेकिन मे चाहता हू कि आप गृह शान्ति , रक्षा , सुरक्षा , भूत बाधा को नष्ट करने के लिये संकल्प ले

मे कुंजिका स्त्रोत का मूल पाठ दे रहा हू
साधको को भ्रम रहता है कि कितना पाठ करना है
तो नीचे दे रहा हू


सबसे पहले निम्न मंत्र की एक माला जाप करें
या पाठ के साथ साथ एक एक पाठ करते रहे
यदि पाठ का संकल्प 108 से कम का लिया है तो पहले मंत्र का एक माला जाप कर ले
फिरपाठ कर ले


ॐ एें ह्रीम क्लीं चामुंडायै विच्चै ॐ ग्लौ हूं क्ली जूं सः ज्वालय ज्वालय ज्वल ज्वल  प्रज्वल प्रज्वल ऐं ह्रीं क्लीं चामुंडायै विच्चै ज्वल हं सं लं क्षं फट् स्वाहा


इसके बाद पाठ बोले

नमस्ते रूद्ररूपिण्ये नमस्ते मधुमर्धिनी
नमः कैटभहारिणी नमस्ते महिषार्दिनी
नमस्ते शुम्भहन्त्र्य़ै च निशुम्भासुरघातिनी
जाग्रतं हि महादेवि जपं सिद्धं  कुरूष्व मे
ऐंकारी सृष्टिरूपायै ह्रींकारी प्रतिपालिका ।।
क्लींकारी कामरूपिण्यै बीजरूपे नमोस्तुते ।
चामुण्डा चण्डघाती च यैकारी वरदादिनी ।।
विच्चे चाभयदा नित्यं नमस्ते मंत्ररूपिणि ।
धां धीं धूं धूर्जटेः पत्नी वां वीं वूं वागधीश्वरी ।।
क्रां क्रीं क्रूं कालिका देवि शां शीं शूं मे शुभं कुरू ।
हुं हुं हुंकाररूपिण्यै जं जं जं जम्भनादिनी ।।
भ्रां भ्रीं भ्रूं भैरवी भद्रे भवान्यै तै नमो नमः ।
अं कं चं टं तं पं यं शं वीं दुं ऐं वीं हं क्षं ।।
धिजाग्रं धिजाग्रं त्रोटय त्रोटय दीप्तं कुरू कुरू स्वाहा ।
पां पीं पूं पार्वती पूर्णा खां खीं खूं खेचरी तथा ।।
सां सीं सूं सप्तशती देव्या मंत्रसिद्धि कुरूष्व मे ।

बस यही तक जाप करना है

जाप के बाद पाठ माता के बाये हाथ मे समर्पित करे
छमा याचना कर प्रणाम करे

जो साधक ना  हो वो साधारण गृहस्थी हो वे 11 , 21 पाठ ही करे केवल
माता के भक्तो के लिये कोई लिमिट नही है

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जंगल देव साधना टोटका

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जंगल देव की साधना


टोटके प्रत्येक धर्म मे सम्प्रदाय मे किये जाते है और किये जाते रहेगे
ज्योतिष मे टोटको द्वारा समस्याओ का निवारण किया जाता रहा है
हमारे तंत्र मे भी टोटके किये जाते है
ये सभी तरह के होते है
रोग निवारक और रोग प्रदायक
ये करने मे सरल होते है कम समय के होते है इसलिये टोटको का तंत्र मे विशिष्ट स्थान है
कई टोटको के द्वारा देवो का प्रत्यक्षी करन भी होता है
मे आज येसे ही एक सरल टोटके को आप लोगो को बता रहा हू
जिसे आप लोग सावधानी से करे और सफलता प्राप्त करे

इसके लिये आप किसी निर्जन जगह मे किसी ,,,,,,,   वृक्ष को देख कर आये

नयपहनने के सफेद कपडे खरीदे
 एक नयी चारपायी खरीदे
या जमीन मे सोये तो
चादर वगैरह लेले
शुक्रवार को सुबह नहाकर
कलावा , हल्दी के रंगे पीले चावल लोभान साथ ले जाये
पेड के पास जाकर उसे प्रणाम करे
जंगल के राजा के नाम से उने निमंत्रण ( न्योता ) दै
कलावे को डाल से बॉध दें नीचे लोभान जलाये

चुपचाप बिना पीछे मुडे वापस घर आ जाये
घर तक आने पर चाहे जो हो जाये किसी से बोलना नही  है और पीछे मुडकर नही देखना है

दूसरे दिन शनिवार को शाम को रात 8 बजे जाकर उस डाल को तोड लाये और जंगल के राजा को साथ चलने के लिये कहे
और डाल लेकर चुपचाप बिना पीछे दैखे घर वापस आ जाये

घऱ आकर डाल को तकिये के नीचे रख कर पूजा दे
चारपायी की 7 परिक्रमा करे पंचोपचार पूजन करे
और वही चारपायी पर ही सो जाये
सात दिन तक लगातार यही पूजन परिक्रमा करते रहे
बीच मे किसी भी दिन देव दर्शन देकर इच्छा पूछेगा तो डरें नही वचन लेले
वचन के बाद साधना सफल हो जायेगी

इसमे बहुत भय लग सकता है सोच विचार कर करे
देव के आने पर वो चाहे जो प्रलोभन दे चारपायी से नीचे नही उतरें

याद रखे ये टोटके है थोडी चूक बहुत नुकसान कर देती है

कपडे सातो दिन रात को नये ही पहन कर सोये और उने धोना नही है
बिस्तर पर कोई दूसरा नही बैठना चाहिये
कमरा एकान्त हो

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गुरू शिष्य संवाद पार्ट 1

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गुरू शिष्य संवाद 1

Q.  Guruji suna hai ki gomukhi nahi hone se mantra jaap ka phal sayad danav le jate hai mantra ka jaap phal nahi mil pata

Ans गलत बात है

Q Guruji mantra jaap wali mala apne saath rakh sakta hai jaise gale me pehen sakta hai ya apne pujan sthan par rakhe

Ans कुछ विशेष साधना मे नियम होता है तो पहनी जाती है नार्मल नही पहनी जाती वेसे जाप की माला गल मे नही पहनी जाती

Q Guruji hamara guru mantra koi bada siddh purush pata laga sakta hai kya
guruji jaise hamne mala pehen liya to koi us mala ke jareye hamara guru mantra jaan sakta hai kya

Ans जब तक तुम कोई क्लू यानि इशारा ना करो
जैसे अपने इष्ट का नाम बताना , मंत्र के अक्षरो की संख्या बताना
इऩसे सामने वाला अंदाजा लगा लेता है कि गुरूमंत्र क्या हो सकता है

Q  गुरूजी ये समाज में लोग
लॉक लगाने वाली बात बोलते है
उसके विषय में कुछ बताइये सिद्धियो का लॉक

Ans. गुरू लगा देता है

Q. Guruji moksh prapti  ka koi marg to hoga

Ans गुरूमंत्र करो


Q. Guruji mala jaap karte hai to index finger ko touch kyo nahi kiya jata

Ans.  वो मारण मंत्र मे काम आती है इसलिये

Q      गुरूजी अप्सरा गंधर्व यक्ष की साधना में गुलाब की जगह दूसरे फूल चढा सकते है

Ans.  हॉ

Q. तो प्राथमिक पूजा विधि के अनुसार सबसे पेलहे पंचोपचार पूजन करना चाहिये
या जप के बाद पंचोपचार पूजा देनी चाहिये

Ans. सबसे पहले हमेशा पूजन दो फिर जाप

Q. Damar tantra keelit ha kya

Ans. कुछ कीलित नही है हम कीलित बस
Q. Tamsik na kare to satvik se sab kuch possible hai kya

Ans.  हॉ
बिना नुकसान के

Q. Guruji sev sampradaya or vaishnav sampradaya ka marg alag alag hai kya ya manzil ek hi h

Ans. मंजिल एक ही है

Q.  Guruji 84 lakh yoniyo ka kese Decide hota hai janm lena

Ans. तुम्हारे कर्मो से
चौरासी लाख मे गधे घोडे ही नही आते देवता यक्ष गन्धर्व भी आते है देवता बनना भी चौरासी का फेर है और गधा घोडा बनना भी

Q. Agar karm dono hi prakar ke hai to kya phir bhi in sabhi yoniyo se hokar gujarnana padata h

Ans.  हॉ जिसका कर्म प्रबल होगा पहले वो योनि फिर उसके बाद दूसरी


Q.  Kyoki phir hame bhi bhugatna padta hai mriyu ke baad bahut bura hota hoga na

Ans.  नही अच्छा बुरा होना कर्मो पर है जैसे यहॉ सभी मनुृष्य है कोई अमीर कोई गरीब लेकिन है सभी मनुष्य ही
येसे ही वहॉ पर भूत प्रेत होते है

Q यानी तॉत्रिक  की बुरी गति नहीं होती...

Ans   किसी की नही होती केवल बुरे  कर्मो की बुरी गति  होती है बुरे किये है तो होगी चाहे वो कोई हो


Q यानी मेरे कहने का मतलब था कि कोई पीर फकीर की सिध्दी के बल पर सात्विक तरीके से बडे से बडे भुत प्रेत का इलाज हो सकता है क्या गुरजी

Ans.  हर चीज मे बल काम करता है भूत ताकत वर हुया तो नही होगा और देव ताकत वर हुया तो इलाज हो जायेगा

Q. Guruji bhoot ki variety hoti hai kya uski takat kis adhar par decide hoti hai

ans
वैराइटी होती है लेकिन किस आधार पर होती है ये नही पता सायद कर्मो के आधार पर होती है

Q.  Guruji jinnat siddh hone par apne ko nuksan pahuchate hai kya Matlab siddh karne wale ko

 ans    नहीकोई नही पहुचाता है नियम तोडे तो कोई भी छोडता नही है

Q.  Guruji ek chachaji hai ve market me daily ate hai logo ka paise me kam karte hai cycle laga kar bethte hai to vo bata rahe the ki unhe jinn siddh hai or usne pata nahi kisi baat par unke 2 ladko ko maar diya ek ki to gardan khuma kar hamare age ke the

Ans येसा ही होता है जब बाजार मे बैठ कर प्रचार करेगा तो और क्या होगा
याद रखो तंत्र पूर्ण रूप से गुप्त रखा जाता है

Q. Guruji jinn par bharosa kiya ja sakta hai kya kyoki mene pada hai ki jinn apne sadhak se jhut bhi bol dete hai agar usko koi kaam diya to uske bare me balki humzaad apne sadhak se kabhi jhut nahi bolte aisa mene pada hai :: jinn ke bhi apne pariwar hota hai unhe apni duniya chodkar ana padta ha

Ans. हॉ सही है उनका परिवार है
जिन्न पर क्या सभी देवो पर भरोसा किया जा सकता है
रही झूठ की बात तो वो तो वक्त पर सभी बोलते है
रावण के खराब संमय पर सभी ने साथ छोड दिया था


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जिन्न साधना

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जिन्न साधना


जिन्न सिद्धि के बाद साधक अलौकिक कार्य करने मे सक्षम हो जाता है
सबसे पावर फुल और  एक सिद्धि करने के बाद कई सारे काम करने के लिये केवल एक जिन्न साधना है
शून्य साधना की सिद्धि जिन साधक को येसे ही प्राप्त हो जाती है

ये साधना शुक्रवार रात दस बजे से की जाती है
इसके लिये आटे या मिट्टी से जिन्न की मूर्ति बनाया जाती है इसे आप एक दो दिन पहलै भी बना कर रख सकते है जिससे मूर्ति ठीक से सूख जाये

हरे आसन पर पश्चिम मुख होकर वज्रआसन मे बैठना है
सामने मूर्ति स्थपित कर लें
रक्षा घेरा खींच लें
फिर गुरू इष्ट मुहम्मदसाहब , जिन्नो के बादशाह , यदि घर मे कोई पीर फकीर है तो उसकी पूजा करें , सभी का पंचोपचार पूजन करें
लोभान की धूप , घी का दीपक , मिठाई , चंदन , फूल , इत्र आदि से पूजन करें

साधना सुरू करने से पहले
किसी मजार पर जाकर चादर चढाकर आये और जिन्न साधना की आज्ञा लें


फिर जिन्न का आवाहन करें मूर्ति मे
और पूजन करें

मित्र के रूप मे उसे बुलाये और पूजन दें

फिर तशबी या हकीक माला से मंत्र का दो हजार दोसौ बाईस बार 2222 मंत्र का जाप करें

जाप के समय आवाजे ,या कुछ दिखाई दे तो उससे डरे नही
जाप करते रहे

जाप के बाद पूजन सफल होनी की प्रार्थना करके
वही कमरे मे जमीन पर सो जाये

ये साधना सात दिन का है सातवें दिन जिन्न के प्रकट होने पर जब वो वचन दे तो उससे तीन वचन ले ले और साधना का समापन करें

बातचीत के दौरान ही वो सब बता देगा कि केसे उसे बुलाना है और वो क्या भोग लेगा क्या काम करेगा

बस आपकी साधना सफल


मंत्र छोटा है पूरी साधना मे दो घऩ्टे से भी कम समय लगता है

जिनको ये साधना करनी हो वो
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साधना के समय की जानकारी

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साधना के समय की जानकारी


साधना करते समय हमेशा सुरक्षा कवच कर लें
बिना कवच के घर से बाहर , समशान मे , या कोई भी उग्र साधना नही करनी चाहिये

घर मे नार्मल साधना करते समय कवच ना करो तो कोई दिक्कत नही है
घर मे पितरो कुलदेव आदि की शक्ति अधिक होती है
ऩार्मल साधना हो जाती है

बाकी प्रत्येक साधना मे कवच जरूरी है

और साधना करते समय सारी पूजन सामग्री घेरे के अन्दर ही रखनी चाहिये और सारे भोग घेरे के अन्दर ही देने चाहिये


कवच के अन्दर
देवता केसे भोग लेगा ये तुम्हारा सिरदर्द नही है
बस किसी भी कीमत पर घेरे से बाहर नही जाना है

साधना के दौरान जो अनुभव हो वो किसी को नही बताये जाते
कुछ देव या शक्तिया गुरू को भी बताने से मना करती है तो यदि नार्मल बात है तो ना बताओ कोई दिक्कत नही है
कुछ बाते गुरू से प्राइवेट रखी जाती है
साधक इसे गलत नही समझना
मे शक्तियो के द्वारा की जाने वाली हरकतो आदि की कह रहा हू
जैसी अप्सरा आदि शरीर के साथ छेडखानी वगेरह करती है
ये बाते गुरू को नही बतानी चाहिये
उचित नही है

गुरू को सब कुछ पता रहता है
उनसे कुछ छिपा नही है उने पता है साधना मे क्या होता है
बस अपने मुह से कुछ ना कहे

लेकिन किसी भी नाजायज मॉग रखने पर तुरन्त गुरू से सलाह लेनी चाहिये

जैसे जिन्न अपनी जाति का परिचय अपने साधक के सिवा किसी दूसरे के सामने जाहिर करने पर नाराज हो जाते है
गुरू से भी


साधना सिद्ध करने के बाद अधिक सावधानी रखी जाती है
यहॉ वहॉ शक्ति का प्रदर्शन नही करना चाहिये
चमत्कार बहुत आवश्यक हो तो ही दिखाये जाते है
नार्मल साधारण रहो
लेकिन यदि कभी कोई गुरू ,इष्ट या तंत्र  को दोष दे तो दिखाना भी आवश्यक हो जाता है

याद रखे तब जब पानी सर सर से ऊपर चला जाये तब दिखा देना चाहिये कि तुम किस गुरू के लाल हो

याद रखे सहन शक्ति अच्छी चीज है लेकिन इसे अपनी कमजोरी मत बनने देना

तंत्र तुमे शक्ति देता है
कमजोर नही बनाता

किसी देव के कहने पर गुरू से कुछ प्राइवेट बाते छुपाना अलग बात है लेकिन जानबूझ कर गुरू को धोखा देना
बाते छुपाना झूठ बोलना बहुत गलत है

याद रखो किसी को गुरू मत बनाओ बना लो तो शक मत करो
करो
यदि किसीठग के चक्कर मे हो  तो साफ साफ बोलकर गुरू से बाते कर के मना कर दीजिये
औऱ कोई दूसरा योग्य गुरू तलाश कीजिये

ये कोई नियम नही है कि किसी बेबकूफ  को गलती से गुरू मान लिया तो उसी के चक्कर मे चौरासी लाख योनियो मे मिलने वाला ये मनुष्य जन्म बेकार कर दिया जाये ये कह कर कि एक ही गुरू बनाया जाता है

मे ये नही मानता हम जीवन मे ना जाने कितनो से सीखते है
और मरते दम तक सीखते रहते है
और मानो तो वो गुरू है ना मानो तो नही

आजकल तो लीला न्यारी है बाकी यही कहूगा कि तुम आजाद हो अपने आप को बाधो मत

जब तक योग्य गुरू नही मिल जाता तब तक कोशिश करो


तंत्र गलत नही है बस इसका प्रयोग सावधानी से किया जाये तंत्र के द्वारा गलत न किया जाये तो ये बहुत उत्तम और सर्वश्रेष्ठ विधा है

हॉ इसका प्रयोग आजकल ठगी के लिये  लोगो को बेबकूफ बनाने के लिये ज्यादा किया जा रहा है ये अलग बात है


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