कुंजिका स्त्रोत साधना विधि
हरेश तंत्र शक्ति साधना केन्द्र
नवरात्रै माता दुर्गा जी की साधना करने के लिये उपयुक्त होते है माता की कृपा प्राप्तिमे इनका भीबहुत महत्व है
नवरात्रो मे करने के लिये साधना दे रहा हूँ
विधि वत साधना करे इस साधना को करने से आप लोगो के कष्ट दूर कर सकते है माता की विशेष कृपा प्राप्त होती है किसी भूत प्रेत पीडित का इलाज कर सकते है कि सी भी प्रकार का दर्द दूर कर सकते है
करने को तो षट् कर्म भी कर सकते है लेकिन लोक हित मे उनकी विधि बताना उचित नही है
नार्मल वशीकरण मे कुछ खाने पीने की वस्तु को अभिमंत्रित करके खिलवा दे
और इससे बहुत चमत्कारी कार्य किये जा ते है
विधि ------- सिध्द कुंजिका स्त्रोत साधना म
आप सुबह नहा धोकर स्वछ वस्त्र पहने पूरब की ओर मुह करके बैठे
सामने माता जी की फोटो या मूर्ति रखे
सिध्दि प्राप्त करने के लिये संकल्प करे
संकल्प मे स्पष्ट रूप से अपनी इच्छा रखे
धन , मान. ,यश ,वशीकरण मोहन जो आप चाहे
साधना नियत समय नियत स्थान पर करे
आप ये प्रयोग रात को भी कर सकते है
प्राथमिक पूजन करे जैसे गुरू पूजन ,गणेश ,इष्ट पूजन ,कुलदेव पूजन , पितर पूजन , स्थान देव पूजन ,लोकपाल दिक्पाल पूजन , व ग्रह पूजन आदि सभी का पंचोपचार पूजन करे
उसके बाद माता का पूजन करे
कृपा प्राप्ति की प्रार्थना करे श्री सिध्द कुंजिका स्त्रोत का 108 पाठ एक आसन से दे
जो माता के भक्त है उनको माता की कृपा से जल्दी लाभ मिलता है
आप इसका प्रयोग धन प्राप्ति के लिये भी कर सकते है जो इच्छा हो वो संकल्प ले
नौकरी व्यवसाय इंटरव्यू मे सफलता के लिये भी ये प्रयोग कर सकते है माता जी की
कृपा से सब कार्य सिद्ध होगे
सिध्द कुंजिका स्त्रोत से आप बहुत कुछ कर सकते हो
नव रात्रि मे सबसे बेहतर करने कि लिये यदि कुछ है तो वो है कुंजिका स्त्रोत
इसके द्वारा समस्त कार्य समस्त इच्छाये पूरी हो जाती है
कुंजिका स्त्रोत का संकल्प आप किसी भी कैसी भी इच्छा के लिये ले सकते है
कुंजिका स्त्रोत के 108 प्रतिदिन किये जाते है पूरे नौ दिन तक
नौवे दिन यथा शक्ति हवन कर लें
वेसे तो आप किसी के लिये भी संकल्प ले सकते है लेकिन मे चाहता हू कि आप गृह शान्ति , रक्षा , सुरक्षा , भूत बाधा को नष्ट करने के लिये संकल्प ले
मे कुंजिका स्त्रोत का मूल पाठ दे रहा हू
साधको को भ्रम रहता है कि कितना पाठ करना है
तो नीचे दे रहा हू
सबसे पहले निम्न मंत्र की एक माला जाप करें
या पाठ के साथ साथ एक एक पाठ करते रहे
यदि पाठ का संकल्प 108 से कम का लिया है तो पहले मंत्र का एक माला जाप कर ले
फिरपाठ कर ले
ॐ एें ह्रीम क्लीं चामुंडायै विच्चै ॐ ग्लौ हूं क्ली जूं सः ज्वालय ज्वालय ज्वल ज्वल प्रज्वल प्रज्वल ऐं ह्रीं क्लीं चामुंडायै विच्चै ज्वल हं सं लं क्षं फट् स्वाहा
इसके बाद पाठ बोले
नमस्ते रूद्ररूपिण्ये नमस्ते मधुमर्धिनी
नमः कैटभहारिणी नमस्ते महिषार्दिनी
नमस्ते शुम्भहन्त्र्य़ै च निशुम्भासुरघातिनी
जाग्रतं हि महादेवि जपं सिद्धं कुरूष्व मे
ऐंकारी सृष्टिरूपायै ह्रींकारी प्रतिपालिका ।।
क्लींकारी कामरूपिण्यै बीजरूपे नमोस्तुते ।
चामुण्डा चण्डघाती च यैकारी वरदादिनी ।।
विच्चे चाभयदा नित्यं नमस्ते मंत्ररूपिणि ।
धां धीं धूं धूर्जटेः पत्नी वां वीं वूं वागधीश्वरी ।।
क्रां क्रीं क्रूं कालिका देवि शां शीं शूं मे शुभं कुरू ।
हुं हुं हुंकाररूपिण्यै जं जं जं जम्भनादिनी ।।
भ्रां भ्रीं भ्रूं भैरवी भद्रे भवान्यै तै नमो नमः ।
अं कं चं टं तं पं यं शं वीं दुं ऐं वीं हं क्षं ।।
धिजाग्रं धिजाग्रं त्रोटय त्रोटय दीप्तं कुरू कुरू स्वाहा ।
पां पीं पूं पार्वती पूर्णा खां खीं खूं खेचरी तथा ।।
सां सीं सूं सप्तशती देव्या मंत्रसिद्धि कुरूष्व मे ।
बस यही तक जाप करना है
जाप के बाद पाठ माता के बाये हाथ मे समर्पित करे
छमा याचना कर प्रणाम करे
जो साधक ना हो वो साधारण गृहस्थी हो वे 11 , 21 पाठ ही करे केवल
माता के भक्तो के लिये कोई लिमिट नही है
निशुल्क तंत्र मंत्र साधना करने सीखने हेतु सम्पर्क करै
हरेशतंत्र शक्ति साधना केन्द्र 9690988493
8384844021
हरेश तंत्र शक्ति साधना केन्द्र
नवरात्रै माता दुर्गा जी की साधना करने के लिये उपयुक्त होते है माता की कृपा प्राप्तिमे इनका भीबहुत महत्व है
नवरात्रो मे करने के लिये साधना दे रहा हूँ
विधि वत साधना करे इस साधना को करने से आप लोगो के कष्ट दूर कर सकते है माता की विशेष कृपा प्राप्त होती है किसी भूत प्रेत पीडित का इलाज कर सकते है कि सी भी प्रकार का दर्द दूर कर सकते है
करने को तो षट् कर्म भी कर सकते है लेकिन लोक हित मे उनकी विधि बताना उचित नही है
नार्मल वशीकरण मे कुछ खाने पीने की वस्तु को अभिमंत्रित करके खिलवा दे
और इससे बहुत चमत्कारी कार्य किये जा ते है
विधि ------- सिध्द कुंजिका स्त्रोत साधना म
आप सुबह नहा धोकर स्वछ वस्त्र पहने पूरब की ओर मुह करके बैठे
सामने माता जी की फोटो या मूर्ति रखे
सिध्दि प्राप्त करने के लिये संकल्प करे
संकल्प मे स्पष्ट रूप से अपनी इच्छा रखे
धन , मान. ,यश ,वशीकरण मोहन जो आप चाहे
साधना नियत समय नियत स्थान पर करे
आप ये प्रयोग रात को भी कर सकते है
प्राथमिक पूजन करे जैसे गुरू पूजन ,गणेश ,इष्ट पूजन ,कुलदेव पूजन , पितर पूजन , स्थान देव पूजन ,लोकपाल दिक्पाल पूजन , व ग्रह पूजन आदि सभी का पंचोपचार पूजन करे
उसके बाद माता का पूजन करे
कृपा प्राप्ति की प्रार्थना करे श्री सिध्द कुंजिका स्त्रोत का 108 पाठ एक आसन से दे
जो माता के भक्त है उनको माता की कृपा से जल्दी लाभ मिलता है
आप इसका प्रयोग धन प्राप्ति के लिये भी कर सकते है जो इच्छा हो वो संकल्प ले
नौकरी व्यवसाय इंटरव्यू मे सफलता के लिये भी ये प्रयोग कर सकते है माता जी की
कृपा से सब कार्य सिद्ध होगे
सिध्द कुंजिका स्त्रोत से आप बहुत कुछ कर सकते हो
नव रात्रि मे सबसे बेहतर करने कि लिये यदि कुछ है तो वो है कुंजिका स्त्रोत
इसके द्वारा समस्त कार्य समस्त इच्छाये पूरी हो जाती है
कुंजिका स्त्रोत का संकल्प आप किसी भी कैसी भी इच्छा के लिये ले सकते है
कुंजिका स्त्रोत के 108 प्रतिदिन किये जाते है पूरे नौ दिन तक
नौवे दिन यथा शक्ति हवन कर लें
वेसे तो आप किसी के लिये भी संकल्प ले सकते है लेकिन मे चाहता हू कि आप गृह शान्ति , रक्षा , सुरक्षा , भूत बाधा को नष्ट करने के लिये संकल्प ले
मे कुंजिका स्त्रोत का मूल पाठ दे रहा हू
साधको को भ्रम रहता है कि कितना पाठ करना है
तो नीचे दे रहा हू
सबसे पहले निम्न मंत्र की एक माला जाप करें
या पाठ के साथ साथ एक एक पाठ करते रहे
यदि पाठ का संकल्प 108 से कम का लिया है तो पहले मंत्र का एक माला जाप कर ले
फिरपाठ कर ले
ॐ एें ह्रीम क्लीं चामुंडायै विच्चै ॐ ग्लौ हूं क्ली जूं सः ज्वालय ज्वालय ज्वल ज्वल प्रज्वल प्रज्वल ऐं ह्रीं क्लीं चामुंडायै विच्चै ज्वल हं सं लं क्षं फट् स्वाहा
इसके बाद पाठ बोले
नमस्ते रूद्ररूपिण्ये नमस्ते मधुमर्धिनी
नमः कैटभहारिणी नमस्ते महिषार्दिनी
नमस्ते शुम्भहन्त्र्य़ै च निशुम्भासुरघातिनी
जाग्रतं हि महादेवि जपं सिद्धं कुरूष्व मे
ऐंकारी सृष्टिरूपायै ह्रींकारी प्रतिपालिका ।।
क्लींकारी कामरूपिण्यै बीजरूपे नमोस्तुते ।
चामुण्डा चण्डघाती च यैकारी वरदादिनी ।।
विच्चे चाभयदा नित्यं नमस्ते मंत्ररूपिणि ।
धां धीं धूं धूर्जटेः पत्नी वां वीं वूं वागधीश्वरी ।।
क्रां क्रीं क्रूं कालिका देवि शां शीं शूं मे शुभं कुरू ।
हुं हुं हुंकाररूपिण्यै जं जं जं जम्भनादिनी ।।
भ्रां भ्रीं भ्रूं भैरवी भद्रे भवान्यै तै नमो नमः ।
अं कं चं टं तं पं यं शं वीं दुं ऐं वीं हं क्षं ।।
धिजाग्रं धिजाग्रं त्रोटय त्रोटय दीप्तं कुरू कुरू स्वाहा ।
पां पीं पूं पार्वती पूर्णा खां खीं खूं खेचरी तथा ।।
सां सीं सूं सप्तशती देव्या मंत्रसिद्धि कुरूष्व मे ।
बस यही तक जाप करना है
जाप के बाद पाठ माता के बाये हाथ मे समर्पित करे
छमा याचना कर प्रणाम करे
जो साधक ना हो वो साधारण गृहस्थी हो वे 11 , 21 पाठ ही करे केवल
माता के भक्तो के लिये कोई लिमिट नही है
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Jai gurudev, bahut badhtya jankari di gai h
ReplyDeleteगुरुजी सादर प्रणाम, चरण स्पर्श,
ReplyDeleteमैं प्रणव पंचाल, गुजरात के नर्मदा जीले से।
आपने बिल्कुल सटीक स्तोत्र दिया है। मेरी दुविधा और शङ्का दूर कर दी आपने। केवल इतना ही स्तोत्र पढ़ा जाता है कुंजिका स्तोत्र को सिद्ध करने के लिए।