रोगनाशक शिवसाधना


हरेश तंत्र शक्ति साधना केन्द्र


रोग नाशक शिव साधना


ये साधना की शक्ति से आप किसी भी प्रकार की बीमारी को ठीक कर सकते है
छोटी मोटी मर्ज , दर्द ,तो तुरन्त ही बन्द हो जाता है

गम्भीर बीमारी का मंत्र का सवालाख का अनुष्ठान कर सकते है
100% आराम आता है

यदि मरीज करने की हालत मे हो तो वो स्वंय करे
नही तो किसी और से संकल्प लेकर  कराये

बस मंत्र मे मरीज का नाम लेलें



ये साधना  सोमवार रात को या सुबह प्रातः काल नहा धोकर काले वस्त्र पहन कर
काले आसन पर बैठकर करनी है

ये साधना अमृत के चौघडिया मे शुरू करनी चाहिये


गुरू गनेश इष्ट कुलदेव पितरो का पूजन करके
शिवजी का पूजन करें


संकल्प लें
मंत्र का सवालाख जाप करने का संकल्प लें लें
या
बीमारी रोग के छोटा होने पर  दस हजार के संख्या का संकल्प कर सकते है


रूद्राक्ष की माला से जाप करना है
सामने कलश को पानी से भरकर रखना है उस पर नारियल स्थापित करना

दिशा उत्तर की रहेगी

नियम से जाप पूजा करने पर निश्चित रूप से आराम होता है चाहे बीमारी कैसी भी हो


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हनुमान बाल रूप साधना


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हनुमान बाल रूप साधना




ये साधना मंगल वार को रात दस बजे से शुरू करनी है
नहा धोकर उत्तर मुख होकर साधक लाल आसन पर बैठे
सामने हनुमान जी की मूर्ति या तस्वीर जो खडी हो उसे स्थापित करें
हो सके तो मूर्ति या तस्वीर हनुमान जी के बाल रूप की लें


चारो ओर सुरक्षा कवच बना लें

प्राथमिक पूजन गुरू गणेश आदि का करके भगवान राम सीता का पूजन करें

सभी से साधना की आज्ञा लें

जमीन पर एक सिन्दूर से त्रिभुज बनाये छोटा सा उसके बीच मे सरसो के तेल का दीपक जलाये

फिर हनुमान जी का आवाहन करें
प्रणाम करें
पैर धोये वस्त्र दें
सिन्दूर से तिलक लगाये हनुमान जी के और बाद मे अपने लगाये

धूप लगाये
दीप लगाये
पुष्प दें
सिन्दूर चडाये

भोग मे
लौग का जोडा बताशा चडाये
बूंदी के लड्डू चडाये
तुलसी के पत्ते चढाये
जल दें


पूजन के बाद एक माला गुरूमंत्र का करें
फिर एक माला राम नाम की करें

फिर हनुमान जी के मंत्र का पॉच  माला जाप करें
तुलसी , लालमूगां , रूद्राक्ष जो मिल जाये उससे जाप करें

कृपा प्राप्ति के लिये 21 दिन करें
प्रत्यक्ष दरसनो के लिये 41 दिन करें

अऩ्तिम दिन दाल चूरमे का भोग लगाये
सिद्धि के बारे मे किसी को ना बताये

साधक पूर्ण ब्रहमचर्य का पालन करें
जमीन पर सोये
मॉस मछली शराब को हाथ से छूना भी नही है
खाना हो सके तो स्वंय बनाकर खाये
घर मे स्त्री के रजस्वला होने पर उससे दूर रहे
उसके हाथ से बना  ना तो खाना खाये ना ही पानी पिये
साधना के बाद पवित्र रहने की सुविधा हो वो ही ये साधना करें
स्त्री वर्ग को माता बहन पत्नी को दिल ना दुखाये
पूर्ण विश्वास से श्रदा रखकर साधना करें
प्रत्यक्ष होने पर जो वचन लेना हो वो लेसकते है

ये साधना कभी निष्फल नही होती हनुमान जी साधक की मनोकामना अवश्य पूर्ण करते है

इस साधना काल मे साधक किसी भी सूतक वाले घर मे ना जाये
ना जननसूतक ना मरणसूतक मे
ना ही इनके घर का खाना खाये

हनुमान जी जिनके इष्ट है उने ये साधना अवश्य करनी चाहिये

साधना के दौरान जाप मे कुछ डरावना अनुभव हो सकता है भय ना करें
चाहे जो दिखे या सुनाई दें
शान्ति से बैठे रहे जाप मे ध्यान लगाये
जाप ऑख खोलकर करें
आपको कुछ नही होगा
गुरू के वचनो का विश्वास करें


साधना के बाद हनुमान जी से गलत कार्य ना लें
यदि येसा करते है तो ये याद रखे कार्य तो पूर्ण हो जायेगा
लेकिन उसका परिणाम बहुत बुरा भोगना होगा

अकेली ये साधना करने के बाद साधक को कुछ और करने की आवश्यकता नही रहती
वह बहुत कुछ कर सकता है

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Website:- www.hareshtantra.com

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पूजन के बाद चढाये हुये भोग , सामग्री का क्या करें

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पूजन के बाद चढाये हुये भोग, बताशे सामग्री का क्या करें

साधना और पूजन में जिस मिठाई के पीस को बताशे को 
देव , परी, अप्सरा , प्रेत आदि को चडाते है 
उसे दूसरे दिन किसी पंछी को , गाय को , कुत्ते को खिलादें , 
किसी बिना पानी के कुये मे , किसी चलती नदी मे बहा देना चाहिये 
ये उस पीस की बात हो रही है जिसे चढाया जाता है 
चडाये हुये पीस को खाया नही जाता है 

याद रखें देव साधना मे जैसे हनुमान , काली , भैरव ,शिवजी आदि के जाप पूजन साधना में जब काफी अधिक यानि एक पीस से अधिक मिठाई का भोग लगाते है तो उस मिठाई को पूजा जाप के बाद घर परिवार मे बच्चो को प्रसाद रूप मे बॉट सकते है 
या स्वंय खा सकते है 
भूत प्रेत यक्षणी जिन्न परी आदि को चडाये भोग नही खाये जाते है अन्य पूजन सामग्री जैसे इत्र का फाया , पुष्प , रोली , कलावा आदि सामग्री किसी बहते पानी मे डाल दें या किसी अन्य स्थान पर डाल दें या इकट्ठा करके दस बारह दिन मे डाल सकते है