साधना मे असफलता के कारण /Sadhna Main Asaflta Ke karan

हरेश तंत्रशक्ति साधना केन्द्र



साधना मे असफलता के कारण


आज में  आपको ये बताता हू कि साधक साधना करता है
पूरे तन मन से फिर भी कई बार साधना निष्फल हो जाती है
जिसका कोई प्रत्यक्ष कारण दिखाई नही देता

तो आज मैं उनी कारणो को आप लोगो को बता रहा हू
आप सभी ध्यान से पढें और समझे


१. साधक ने जिस मंत्र का अनुष्ठान किया है वो गुरू से प्राप्त ना होकर किताब वगैरह से होता है
तो साधना निष्फल चली जाती है
जबकि सफलता के लिये साधक के पास गुरू से मंत्र लेना प्रथम शर्त है

२. जिस मंत्र का जाप कर रहें है उस मंत्र पर पूरा विश्वास ना होना
या उस देव पर पूरा विश्वास ना होना
या अपने गुरू पर पूरा विश्वास ना होना

३. साधना करते समय सही सामग्री का अभाव होना

४. मंत्र का जाप करके समय ध्यान ना लगना प्रमुख कारण होता है

५. सही विधि विधान का पालन ना करना

६. अपने मन से ही पूजा पाठ करना

७. बिना संकल्प जाप करना

ये वो कारण है जो असफल साधक मे पाये जाते है
जिने यदि साधक चाहे तो इन नियमो को  ठीक करके सफलता पा सकता है


अब येसे  कारण बताता हू जिनका कभी किसी को पता नही चलता

१.  घर के किसी पितर ने साधना की शक्ति को रोक दिया हो
जिसके कारण वो प्रत्यक्ष नही हो पा रही है

२.  घर के कुल देव ने शक्ति को रोक रखा हो
जिसके कारण भी असफलता का मुह देखना पडता है

३. स्थान देव ने रोक रखा हो
इसके कारण भी असफलता मिलती है

४. कभी कभी किसी का इस्ट ही नही चाहता कि उसे सिद्धी प्राप्त हो

जैसे किसी के इष्ट शिवजी है
और वो उनका अच्छा भक्त है
और यदि वो प्रेत साधना करना चाहता है तो मर कर उस साधक को भी प्रेत बनना पडेगा

तो कई बार इष्ट यदि तुमे प्रेत नही बनने देना चाहता तो भी वो साधना मे सहयोग नही करते जिस कारण भी साधना असफल हो जाती है

५.  जिस लोक के प्राणी की हम साधना करना चाहे वो हमें स्वीकार नही करें
तो भी साधना निष्फल हो जाती है
जैसे प्रेत साधना करने केसमय  यदि प्रेतराज हमें स्वीकार नही कर रहा है तो भी हमें प्रेत सिद्ध नही होगा
ये से ही सभी योनियो  का समझ लें

६.   कभी कभी किसी बाहरी शक्ति के हस्तक्षेप से भी साधना सफल नही होती
जैसे किसी ने घर पर कुछ करवा रखा है तो भी सफलता नही मिलती

७.  कभी कभी भूत या प्रेत निम्न जाति का हो और साधक उच्च जाति का हो तो पितर उसे स्वीकार नही करते
जैसे साधक ब्राह्मण हो और किसी निम्न जाति का प्रेत सिध्द करें तो नही होगा

८. साधक के पास गुरू बल , इस्ट बल , मनोबल का कमजोर होना भी साधना मे असफलता दिलाता है

९.  किसी बडी शक्ति को सिद्ध करने पर वो शक्ति वहॉ बैठे बैठे ही सारा पूजन खा जाती है और हमारा मंत्र बल कमज़ोर होने के कारण वो सिद्ध नही होती
जैसे किसी नये साधक द्वारा बैताल सिद्ध करने का प्रयास करने पर असफलता का कारन यही होता है

१०. येसे ही किसी नये साधक द्वारा दस महाविद्या को प्रत्यक्ष सिद्ध करने का प्रयास भी व्यर्थ चला जाता है

११. देव योनि की साधना करनेपर साधक को यदि दर सन नही हुये तो कम से कम उनकी कृपा तो मिल ही जाती है
जिससे साधक के कार्य बनने लगते है
जैसे चालीस दिन हनुमान जी की प्रत्यक्ष दरसनो  के लिये यदि साधक मेहनत करता है तो दरसन ना होने पर उनकी कृपा मिल जाती है

१२. लेकिन निम्न योनि भूत, प्रेत, जिन्न ,बेताल ,अप्सरा , परी की साधना करने पर ये सा नही होता

ये अनुष्ठान पूरा ही बेकार चला जाता है

इने आप ये से भी समझ सकते है कि देव साधना दस नम्बर का प्रश्न है जिसमे कुछ सही होने पर कुछ ना कुछ नम्बर मिल जाते है

और निम्न योनि की साधना एक नम्बर का पेपर है जिसमे मिला तो पूरा  एक मिलता है नही तो जीरो
मिलता है


ये से बहुत से कारण होते है जिनके कारण साधक की साधना पूर्ण रूप से सफल नही हो पाती
और साधक तंत्र को दोष देने लग जाता है
जबकि सच्चाई कुछ और होती है

इसलिये साधना करें
लेकिन असफलता मिलने पर निराश नही हों
दुबारा तिबारा  पूरे तन मन से साधना का प्रयास करते रहें
जब तक कि सफलता मिल ना जाये
बहुत लोगो ने तंत्र से सफलता पायी है

तुमको भी मिलेगी
तुम करके देखो तो सही
विश्वास से तो भगवान भी मिल जाते


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गुरू शिष्य संवाद पार्ट ५

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गुरू शिष्य संवाद


प्र.  गुरूजी हमारे अन्दर आत्मा कब आती है जब हम जन्म लेते है


उ.   नही मनुष्य के वीर्य मे जो शुक्राणु होता है वही आत्मा होती है
जो स्त्री के अन्डे मे प्रवेश करके जीवन धारण करती है

अन्डा  मृत होता है
लेकिन शुक्राणु के मिलन से वो जीवित हो जाता है

अन्डा  प्रकृति और शुक्राणु ईश्वर कहलाता है
यही ईश्वर का प्रकृति के साथ मिलन कहलाता है
जिससे नयी सृष्टि का जन्म होता है


प्र.   गुरूजि तो मनुष्य की जो ऊर्जा होती है तो वो उसके वीर्य से ही आती है

उ.   हॉ शरीर मे अन्तिम रूप से वीर्य ही बनता है

प्र.   मतलब हम जितना वीर्य बचाएंगे तो उतना ऊर्जा बढेगा🙏


उ.    हॉ साधना मे ब्रह्मचर्य इसीलिये रखा जाता है

प्र.  गुरूजि तो हमे अगर कोई साधना शुरू करनी है तो अगर हम उसके 2 दिन पहले
से ब्रह्मचर्य रहेंगे तो साधना सफल होगी कि नही क्यों कि अगर 2 दिन पहले कोई साधक संबंद बनाता है अपनी पत्नी के साथ तो उसकी ऊर्जा तो बोहोत कम होजाती होगी ना तो उसे सफलता मिलेगी की नही🙏

उ.  तंत्र मे सफलता कई चीजों पर निर्भर करती है
अकेले ब्रह्मचर्य पर नही

प्र. गुरूजि अगर हम गुरुमंत्र का 21 माला 21 दिन प्रेत सिद्धि के लिए संकल्प लेके करेंगे तो क्या प्रेत आएगा🙏


उ.    हॉ  हो जायेगा
गुरू मंत्र से हर सिद्धी मिल सकती है
बस क्रिया बदलनी  होगी


प्र.  गुरूजि जो योगी ओर ऋषि मुनि होते है उन्हें हिमालय की बर्फ से ठंड क्यों नही लगती


उ.  शरीर मे कोशिका पायी जाती है उसके अन्दर एक माइट्रो कान्ड्रिया पाया जाता है
जो विद्युत का पावर हाउस होता है
नार्मल वो बिजली या कहो कि शरीर को जरूरत होती है उतनी ही गरमी पैदा करता है जिससे शरीर का तापक्रम ठीक रहे

कभी कभी किसी कारन से वो खराब बो जाता है तो ज्यादा मात्रा मे गरमी पैदा करता है
जिसे बुखार आना कहते है

तो योगी लोग इस शक्ति पर नियंत्रण कर लेते है
और बर्फ मे रहते हुये उतनी गरमी पैदा करते है जितने की उने जरूरत होती है

कई योगी इस क्रिया को ज्यादा करते है तो बरफ के ऊपर बैठे रहने पर भी उनका शरीर गरमी से पसीने से तर बतर हो जाता है


प्र.  मैं खुद साइंस स्टूडेंट हु पर येसी  बात नही जानता था🙏🙏☺

उ.  जिस दिन तंत्र का साइंस अपनी ऑखो से देख लोगे
ये साइंस भूल जाओगे


प्र.  गुरूजि हम साइंस में पड़ते है कि सबसे पहले जीवन पानी से जन्मा ओर सबसे पहले हम बंदर थे और करोर ओ साल बाद हम इंसान बने पर मैं इसे  नही मानता हु,गुरूजि ये दुनिया मे तो सबसे पहले देवी देवता आये तो इसका सच क्या है🙏


उ.   साइंस की विकास वाद की थ्योरी गलत है
डार्विन ने इसे जोड तोड कर पेश किया है
इस धरती पर इतने जीव है कि उने आपस मे जोडा जा सकता है
लेकिन केवल शारीरिक संरचना को
जबकि मनुष्य का आचार विचार स्वभाव रहन सहन
किसी भी तरह से मेल नही खाता


बन्दर तो छोडो
नेपाल  चीन के मनुष्य कभी भी लम्बे कद के नही हो सकते चाहे कितना विकास हो जाये

जैसे अन्य जीव है वेसे ही हम भी केवल एक जीव ही है
और कुछ नही

बस हमने भाषा सीख ली और उने जानवर कहने लगे

हम हमेशा से ही पृथ्वी पर रहे थे
हॉ विकास हुया है
हमारी रहन सहन का
खान पान का
व्यवहार का
सामाजिकता का
समाज का

लेकिन हम केवल मनुष्य से ही पैदा हो सकते है
बन्दरो से नही

इस दुनिया मे ये सा कभी नही होगा कि गधा विकास करते करते घोडा बन जाये

पहले तो साइंस ने कहा कि एक अमीबा व्हेल मछली जितना विशाल हो गया
फिर कहा कि अब वो घटने लगा है
हाथी की ऊचाई घट रही है
मनुष्य की घट रही है

हम सायद फिर कुछ सालो मे अमीबा बन जायेंगे


लेकिन क्या जो अन्य जीव है वो क्यो नही बन रहे

पिछले हजारो साल के इतिहास मे एसी कोई योनि नही जो मनुष्य के देखते देखते किसी और मे बदल गयी है

और तो और बन्दर मनुष्य नही बने
बन्दर ही रह गये

डार्विन की ये विकास वाद की थ्योरी का मे सख्त विरोध करता हू



प्र.    गुरूदेव जो यानी देवी देवता ने सबसे पहले इंसान बनाया है जिसे हम आज है मैं भी हमेशा से यही सोच त था कि हम सब अलग अलग बने है ना कि बंदर थे पहले🙏☺


उ.   नही हमें देवताओ ने नही बनाया
देवताओ को भी किसी ने बनाया है
हमे उसी ने बनाया है
देवता भी एक योनि है केवल
हमारी तरह ही

प्र.  तो हमारा धर्म तो कहता है कि आदि शक्ति ने दुनिया बनाई है ना


उ.  गलत है
दुनिया मे तीन सौ धर्म है और सबके देव है
और सब ये कहते है कि ये दुनिया उसके देव ने बनायी है
सब कल्पना करते है
और अपने देव को बडा चडा कर लिखा है सबने


प्र.  तो तभी साई बाबा कहते है कि सबका मालिक एक है ना
वो मालिक कौन है फिर


उ.  इस दुनिया मे जितने भी बल्ब है पंखे है कूलर है वो सब किससे चलते है
बिना बिजली चल सकते है क्या
नही
क्या बिजली दिखती है
नही
यदि मेरे घर कोई पंखा चालू है तो वो बिजली घर से सीधा जुडा रहता है या नही
हॉ रहता है
और यदि मेरे गॉव के पंखे कूलर चल रहे है तो वो सब आपस मे जुडे रहते है या नही

हॉ जुडे रहते है

ये से ही हम सबके अन्दर जो बिजली है जिससे हम चल रहे है
हिन्दू मुस्लिम सिख सभी
वो बिजली का नाम ईश्वर है

कोई उसे खुदा कहता है
कोई कुछ और

लेकिन हम सब उस एक बिजली से ही चल रहे है
जिसे शास्त्रो  मे चेतना कहा गया है

वो चेतना तुम मे है मुझ मे है राम मे है कृष्ण मे है
चीटी मे है हाथी मे है
सब मे बराबर होती है
वो कम ज्यादा नही होती
उस चेतना को ही ईश्वर कहा जाता है
सब उसी से जुडे है
सब उसी से पैदा है
सब उसी से स्थित है
सब उसी मे लीन हो जायेंगे
वही है सबका मालिक एक

जैसे सभी इलेक्ट्रॉनिक उत्पादों का भगवान बिजली होती है

ट्रान्सफार्मर तो केवल उसे नियत्रित करते है

अब कोई उस ट्रान्सफार्मर को  ही भगवान मान ले तो क्या करें


ये से ही चेतना ही ईश्वर  है
देवता तो केवल इसे नियंत्रित करते है
लेकिन लोगो ने देवताओ को ईश्वर मान लिया है


प्र.   देवता कौन है

उ.   देवता एक योनि है बस
जैसे गधे घोडे मनुष्य चीटी  हाथी
सब अलग अलग योनि है
येसे ही जिन्न भूत प्रेत यक्ष गन्धर्व  देवता  राक्षस पिशाच
ये सब भी अलग अलग योनि है

सबकी दुनिया अलग ह
खानपान अलग है
रहन सहन अलग है
सब कुछ अलग है

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प्रेतनी साधना /Pretni Sadhna

प्रेतनी साधना
आज मे आप को एक प्रेतनी सिद्ध करने की विधि बता रहा हू
प्रेत योनि मे जो स्त्री वर्ग होता है वही प्रेतनी कहलाती है
प्रेत साधना थोडा सावधानी से की जाती है इसमे रोने चिल्लाने की आवाजे सुनायी पडती है
लेकिन उनसे डरने की जरूरत नही है ये सब एक भ्रम होता है
जो साधना बन्द करने या साधक की परीक्षा हेतु किया जाता है
आवाजे आना , रोना ,चिल्लाना. , तेज हवा आधी जैसी आना , पेड की डालि़यॉ लगे जैसे गिरने वाली हो , किसी मनुष्य का दिखना , या उनकी बातचीत सुनायी पडना
ये सब होता है प्रेत साधना मे इसे ही प्रेतलीला कहते है
प्रेतनी को भी प्रेतो की तरह ही सिद्ध किया जाता रहा है
और ये मनुष्य के बहुत कार्य करती रही है
इनकी शक्ति से आप बहुत चमत्कार दिखा सकते है
और परोपकार भी कर सकते है
साधना विधि
ये साधना किसी येसी प्रेतनी की है जो हाल मे ही मरी स्त्री हो
हाल मरी स्त्री के प्रेत को सवा महीने तक आसानी से इस विधि से सिद्ध किया जा सकता है
साधक रात को समसान मे जाकर दक्षिण मुख होकर बैठे गुरू इस्ट पूजन दें
शमसानेश्वर को शराब का भोग दें और साधना की आग्या लें
उस स्त्री के फोटो को लेकर सामने  रखें उस स्त्री का नाम लेकर आवाहन करें
दो फूल चडाये पॉच अगर बत्ती तेल का दीपक सफेद बरफी का भोग देना है
और एक स्पेशल सेन्ट आता है उस सेन्ट के रूई मे भिगोकर पॉच फोये दें
और उसके नाम का जाप करें जब प्रेतनी उपस्थित हो तब उससे तीन वचन लेकर माला गले मे डाल दें बस आपको प्रेतनी सिद्ध हो गयी है ये साधना सफेद कपडे पहन कर करनी है
गुलाब की माला तैयार ऱखनी है
ये साधना पूर्ण तह गुप्त रखनी है किसी को नही बताना है कि मुझे प्रेतनी सिद्ध है
सिध्दी के बाद जितना हो सके लोगो का परोपकार करने पर जीवन सहज हो जाता है
मान सम्मान मिलता है
परेसानी नही आती

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दान का महत्व /Dan Ka Mehtav

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दान


आज मे आप लोगो को दान के बारे मे जानकारी दे रहा हू कि दान कैसे करना चाहिये
क्यो करना चाहिये
किसे करना चाहिए


हम लोग यदि किसी को दान करते है तोउस दान का हमें कुछ पुन्य प्राप्त होता है
दान का सबसे बेहतर तरीका यही है कि जो वस्तु हम दान करना चाहते है उसके निमित्त संकल्प लिया जाये बिना संकल्प के दान करना बेकार है

संकल्प मे साफ साफ ये बताइये कि ये वस्तु किसके निमित्त दान की जा रही है और इसका क्या फल चाहिये और कब और किसको चाहिये

मान लीजिये कि आपने दो किलो गैहू को दान कर दिया बिना संकल्प तो इससे पुन्य तो मिलेगा लेकिन इसका फल कब मिलेगा किसे मिलेगा ये निश्चित नही है
 तो हो सकता है कि इस दान के बदले वो तुमे , या पत्नी को या बच्चो को इसका फल दें

अब मान लीजिये कि आपने अपने पितरो को कपडे देने है तो संकल्प करके किसी भी इंसान को कपडे दे दीजिये आपके पितर जिसके नाम से संकल्प लिया है वो तुरन्त दान होते ही कपडे पहन लेते है

स्त्री की साडी वगैरह किसी स्त्री को ही भेंट दी जानी चाहिये

दान आप चाहे जिसे दे सकते है जरूरत मंद को दान करना ज्यादा बेहतर है

घर मे कोई बीमार है उसे ठीक करने हेतु सूर्य को गैहू का  दान कर रहे हैं तो संकल्प बोलिये कि मे अमुक के स्वास्थ के लिये ये दान सूर्य को कर रहा हू
अमुक को जल्दी से लाभ हो

ये कह कर जब दान करोगे तो वह दान सीधा सूर्य देव को प्राप्त होगा और वो उस मरीज को  जल्दी स्वस्थ करेगें

दान ज्यादर ब्राह्मण को किया जाता है
लेकिन आप किसी भी अन्य जाति को भी दान कर सकते है इससे भी आपको दान का पूरा पूरा फल मिलता है

उग्र कर्म , उग्र ग्रहो का दान मेहतरो को करना बेहतर होता है

 दान की गयी वस्तु तुरन्त , दान किये गये देव को प्राप्त हो जाती है
ज्यो की त्यो

हमे अपने जीवन मे हमेशा दान करते रहना चाहिये खास तौर पर पितरो के निमित्त दान करते रहना चाहिये घर की रोज मर्रा की वस्तु , कपडे , खाने पीने की वस्तु ,

 खाना हमेशा बना बनाया ही दान करना ज्यादा बेहतर होता है जैसे खीर पूडी फल आदि दान करना ज्यादा बेहतर होता है

घर मे पितर दोष होने पर पितरो के निमित्त वस्तुये , कपडे खाने  पीने की वस्तु दान करने पर निश्चित रूप पर तुरन्त लाभ मिलता है

कई लोगो के पितर बिना कपडो के नंगे ही घूमते रहते है येसे मे उने कपडे दान करने पर उने शान्ति मिलती है

कपडे हमेशा सिले सिलाये दान करने चाहिये बिना सिले कपडे दान करने पर वो उने पहन नही पाते वो उनके पास रखे रह जाते है

देवियो के निमित्त श्रंगार की वस्तु दान करने पर अच्छा फल मिलता है
उनको साडी वगैरह दान करनी है तो ये वस्तु हमेशा किसी गरीब को दान करनी चाहिये

ताकि एक तीर से दो निशाने लगें वस्तु को दान करने पर वस्तु के सूक्ष्म रूप को पाकर देव पितर प्रसन्न होते है
और वस्तु   को पाकर गरीब की जरूरत पूरी होती है वो भी दुआ देता है

जिससे भला होता है जरूरत मंद को जरूरत की वस्तु दान करने पर बहुत अधिक शुभ फल प्राप्त होता है

आप प्रेतो , यक्षो , यक्षणी , योगिनी , अप्सरा , जिन्नो , पीरो फकीरों ,  अपने पितरो , नव ग्रहो , किसी भी देव देवी , इस्ट देव , कुलदेव कुलदेवी के निमित्त दान कर सकते

दान की वस्तु पाकर देव धन्य होते है और दानी को आशिर्वाद देते है जिससे उसके संसारिक कार्य सही रूप से निर्विघ्न पूर्ण होते है अतएव हम सबको जब जितना जो बन सके दान अवश्य करना चाहिये

आप सभी को दान करने का महत्व समझ मे आ गया होगा

विशेष तिथि यो मे दान करने पर अधिक पुन्य की प्राप्ति होती है

जरूरी नही आपके पास लाखो रूपये हो तभी दान करोगे

आप गुरू के पास रहकर उनकी सेवा कर सकते हो
उनके आश्रम का ,घर के कार्यो मे हाथ बटा सकते हो

गुरू को दिये दान का अनन्त गुना फल होता है

किसी मन्दिर मे जाकर सेवा कर सकते हो
झाडू वगैरह लगा कर सेवा दे सकते हो

किसी धार्मिक अनुष्ठान मे जाकर श्रम दान कर सकते हो

किसी जीव को , पंछी को ,मछलियों को ,चीटियो को चारा पानी देकर भी आसानी से पुन्य कमाया जा सकता है

तो बहाने मत बनाइये कि मेरे पास देने के लिये कुछ नही है
हर मनुष्य यदि देना चाहे तो उसके पास बहुत होता है

हॉ देना ना चाहे तो अलग बात है


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अश्विनी कुमार साधना /Ashwani Kumar Sadhna

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नासत्य और दस्त्र साधना



आप लोगो ने सूर्य के पुत्र दो अश्वनी कुमारो के बारे मे शास्त्रो मे पढा होगा

इनके नाम थे नासत्य और दस्त्र

ये आयुर्वेद के प्रख्यात आचार्य है
ये आधे मनुष्य और आधे घोडे के रूप मे है
इनका नीचे का धड मनुष्य का और सिर घोडे का होता है

यदि मनुष्य इने सिद्ध करले तो वो आयुर्वेद का प्रख्यात आचार्य बन सकता है

बडी से बडी बीमारी जैसे कैंसर एड्स जैसी बीमारी को चुटकी मे ठीक कर सकता है
आगे आप खुद समझदार है




साधना विधि


ये साधना पूर्णिमा की प्रातकाल चार बजे सुरू करनी है

पूरब मुख होकर बैठकर करनी है

सफेद वस्त्र पहन कर करे


सामने अश्वनी कुमारो के फोटो को फ्रेम करवा कर स्थापित करें

सबसे पहले गुरू गनेश इष्ट कुलदेव पितरो स्थानदेव इन्द्र सूर्य भगवान का पूजन करें
गन्धर्व राज तुम्बरू का पूजन करें


सबसे साधना मे सफलता का आशिर्वाद लें

 दोनो अश्वनी कुमारो का नाम लेकर आवाहन करें
नासत्य और दस्त्र के नाम से


दोनो को पंचोपचार पूजन दें
घी का दीपक लगाये
गुलाब के , चमेली के जो मिल जाये सुगन्धित पुष्प दें

इत्र दें
मिठाई का भोग दें पानी दें

दिन मे जाकर नित्य किसी घोडे को चारा दाना खिलाकर आये


फिर रूद्राक्ष की माला से एक माला गुरू मंत्र करें

फिर 21 माला का जाप करें

जाप के बाद छमा मॉगे


वही कमरे मे ही जमीन पर सोयें


येसा नित्य 31 दिन करने पर अन्तिम दिन दोनो अश्वनी कुमार सामने आते है
उनसे हमेशा साथ रहकर आयुर्वेद मे मदद करने का वचन  मॉग लें


इसके बाद तुम एक सफल चिकत्सक बन जाओगे



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चॉदी के सिक्के मिलने की साधना / Chani Ke Sikke Milne ki Sadhna

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चॉदी  के सिक्के


 आज मैं  आप सबको एक बहुत ही दुर्लभ और गोपनीय प्रयोग दे रहा हू
ये प्रयोग बहुत कम लोगो को पता है
और बहुत कम लोगो ने इससे लाभ पाया है

मेरे गुरूदेव जी ने ये प्रयोग सिद्ध किया था उनका आजमाया हुया प्रयोग है


ये मुस्लिम प्रयोग है

इस प्रयोग को सिद्ध करने पर मनुष्य के जीवन से दरिद्रता हमेशा के लिये चली जाती है

ये प्रयोग पूर्ण रूप से गोपनीय है ध्यान रखना




इस प्रयोग के सिद्ध होने पर आपको नित्य चॉदी  के छ सिक्के मिला करेंगे

जिनको आपको नित्य ही खर्च कर देना है
अपने पास नही रखना है
जब तक तुम रोज सिक्के बेच दोगे तब तक तुमे सिक्के मिलते रहेंगे

जिस दिन एक भी सिक्का तुमने अपने पास रखा उसी दिन से सिक्के मिलने बन्द हो जाते है
बस इस बात का ध्यान रखें 

बाकी ये प्रयोग सात्विक है किसी भी तरह का कोई डर भय इसमें नही है

साधना विधि


ये प्रयोग मुस्लिम है तो सभी मुस्लिम नियमो का पालन करना अनिवार्य है

नौचन्दी  के गुरू वार से रात दस बजे से ये साधना सुरू करना है
हरा आसन पर सफेद कपडे पहन कर पश्चिम मुख होकर बैठे


सामने पॉच अगरबत्ती जला कर घी का दीपक जला लें
सफेद मिठाई
चंदन गुलाब के फूल
जन्नते  फिरदौस  का इत्र दें


उस्ताद का पूजन दें
फिर सर जमीं के सभी बुजुर्गो का पूजन दें

उसके बाद  सच्चे मन से अल्लाह से अपनी गरीबी दूर करने के लिये दुआ मॉगे
और गैब से मदद करने की दुआ मॉगे

फिर मंत्र का दो माला का जाप
तसबी माला से करें  करें
हरे रंग  की तसबी माला लें
प्लास्टिक या रेडियम वाली




और वही कमरे मे ही बिस्तर लगाकर जमीन पर सोये
तकिया सिरहाने लगाकर सोये
और रोज तकिया के नीचे देखे
जिस दिन वहॉ सिक्के मिलना सुरू हो जाये उने खर्च करना शुरू करे

ये प्रयोग चालीस दिन का
लगातार पूरे श्रदा विश्वास से करने पर अवश्य सफलता मिलती है

अपना रहन सहन सात्विक तरीके से रहें
प्याज. लहसुन ना खायें

इस्तिजॉ करें

खडे होकर पेसाब  नही करें

यदि कोई बहता हुया पानी हो तो वहॉ जाकर नित्य प्रसाद डालें और थोडा सा आटे  की गोली बनाकर ले जाकर मछलियों को खिलाये

विसर्जन की जगह और स्थान एक ही रखें ध्यान दें

बहता पानी ना हो तो चीटियो को आटा भूनकर बूरा मिलाकर नित्य का खिलाये  पूरे चालीस दिन
बिना नागा कें

आप पर अल्लाह की मेहर होगी और आप की दरिद्रता हमेशा के लिये मिट जायेगी
प्रयोग पूरी तौर से गुप्त रखें

रोज गैब से धन प्रदान करने के लिये अल्लाह से दुआ मॉगे

बस ये प्रयोग करें
और चमत्कार देखें

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माहेन्द्री यक्षणी साधना/ Mahendri Yakchni Sadhna

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माहेन्द्री यक्षणी साधना




धन प्राप्ति के लिये माहेन्द्री यक्षणी साधना बहुत बेहतर होती है

इसके द्वारा आप भूत प्रेतो का इलाज भी कर सकते है
इससे आपके शत्रु का निवारण भी हो जाता है
आपके शत्रु सदैव आपसे भयभीत रहते है


साधना विधि


ये साधना किसी शुक्रवार से रात दस बजे से सुरू करनी है
नहा धोकर साफ कपडे पहने
किसी भी कलर के
लाल आसन पर उत्तर मुख होकर बैठे


सामने स्टील की थाली मे घी का दीपक जलायें

गुलाब की अगरबत्ती जलायें

सबसे पहले गुरू गनेश इष्ट कुलदेव पितरो स्थानदेव कुबेर जी  का पूजन करें

उसके बाद संकल्प लें कि में माहेन्द्री यक्षणी को मॉ के रूप मे सिद्ध करने के लिये ये साधना कर रहा हू

फिर हाथ मे चावल लेकर माहेन्द्री यक्षणी का आवाहन करें
सामने एक सफेद आसन बिछा कर रखे उस पर वो चावल छोड दें

उसके बाद माता को  थोडे से पानी मे चन्दन मिलाकर अर्घ दे

उसके बाद वस्त्र , धूप दीप फूल ,
चन्दन , सफेद मिठाई जल
इत्र आदि से पूजन करें


उसमे बाद गुरूमंत्र की एक माला का जाप करें
फिर स्फटिक माला से मंत्र की 21 माला जाप करें

जाप के बाद वही कमरेमे सोयें

येसा लगातार 21 दिन करें

21 वे दिन माता के प्रकट होने पर पानी मे चन्दन मिलाकरअर्घ दें

और वचन लेलें


आपकी साधना पूरी हुयी
फिर जैसा माता कहें वैसा करें


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उर्वशी अप्सरा साधना / Urvasi Apsra Sadhna

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उर्वशी अप्सरा साधना

सभी अप्सरा ओ मे खूबसूरत और जल्दी सिद्ध होने वाली जो अप्सरा है वो है उर्वशी अप्सरा
ये अपने साधक से प्रेम करती है
इस विधान के द्वारा मेने कई शिष्यों को अप्सरा सिद्ध करवायी है
सभी आज मस्त रह रहे है
नीचे इसका विधान दे रहा हू
जिस विधि से मेने साधना करवायी है


साधना विधि



शुक्रवार रात नो बजे नहा धोकर  आसन पर उत्तर मुख होकर बैठे

 सामने जमीन पर ही
सफेद  वस्त्र पर  पीले चावल से यंत्र  बनाये

पहले गुरू ,गणेश  , इष्ट देव  ,कुल देव , पित्र देव   ,
स्थान देव ,लोकपाल ,दिक्पाल  ,  देवराज इद्र देव का  पूजन करे

सभी से मानसिक आर्शिवाद और साधना की आज्ञा लें

संकल्प लें


उसके बाद उर्वशी अप्सरा का आवाहन करे  ( उसे बुलाये )  आसन दे ,  चावल.  , धूप, दीप , चंदन  , सेन्ट ,मिठाई ,एवं जल से पूजन करे
गुलाब के फूल दे

सामने बायी तरफ एक लाल रंग का आसन बिछाकर उसपर बैठने के लिये कहे

फिर यंत्र का पूजन करे

अप्सरा को प्रेमिका का सम्बोधन करें
प्रेमिका से जैसे बात करते है वैसे ही इससे बाते करें
इने तारीफ सुनना पसंद है तो इनकी तारीफ अवश्य करें


उसे ना तो मॉ कहे ना देवी का सम्बोधन दें
ना पूजन मे उसके पैर धोये



फिर गुरू गणेश को याद करकेएक माला गुरू मंत्र का जाप करें फिर अप्सरा  मंत्र का २१ माला जाप करे

इसी विधान से यदि सा बरी मंत्र से करना चाहते है तो मंत्र का पॉच माला जाप किया जाता है
बाकी सब यही विधि रहती है केवल मंत्र बदल जाता है

जाप मे दसवी माला से अनुभव होना सुरू हो जाते है



जप के बाद वही कमरे मे सो जाय
ये साधना २१ दिन लगातार करें
यंत्र को नित्य सही कर लिया करें


प्रतक्ष्य होने पर गुलाब की माला पहना कर वचन लेले कि जब बुलाऊ आकर मेरा काम कर देना


ये साधना मे कवच नही किये जाते
सौम्य साधना है ये
इसमे किसी तरह का डर भय नही होता
कमरा एकान्त हो जिसमे कोई भी आये जाये नही


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हाफिज जिन्न/ Hafiz Jinn Sadhna

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हाफिज जिन्न साधना



जिन्नो  की कई तरह की प्रजाति होती है
उप जाति होती है

इनमे से ही एक पठानियॉ जिन्न होते है
ऐसे ही आज मे आपको हाफिज जिन्न की साधना दे रहा हू


हाफिज जिन्न पाक जिन्न होता है
ये सही गलत हर तरह का कार्य कर देता है
इसे आसानी से सिद्ध भी किया जा सकता है

इनका रूप इंसानी होता है और इनकी साधना मे इतना भय नही होता जितना की अन्य जिन्नो की साधना मे होता है

ये पलक झपकते ही हर कार्य कर सकते है

कोई भी वस्तु ला सकते है

तो आइये जानते है इनके विधान को


साधना विधि

हाफिज जिन्न शुक्रवार को रात दस बजे के बाद सिद्ध किया जाता
पश्चिम मुख होकर हरे आसन पर बैठकर इनकी साधना की जाती है

सबसे पहले उस्ताद का पूजन दें
फिर जिन्नो के बादशाह का पूजन दें
फिर जो पीर तुम्हारे एरिया मे आता हो या तुम जिस पीर के एरिये  मे आते हो उसका पूजन दें


उसके बाद हाफिज जिन्न को बुलाये
सामने हरे रंग का कपडा बिछाकर उसे आसन दें

मित्र रूप मे उसे सिद्ध करें

घी का दीपक लगाये
पॉच अगरबत्ती लोभान की या गुलाब की जलायें  जो साधना काल तक जलती रहे


ऊद का इत्र दें

काले रसगुल्ले , सूत की फेनी , भोग मे दें

उसके बाद मंत्र का तसबी माला से  ११ जाप करें

जाप के दौरान अनुभव होने पर डरें नही .
हिम्मत से काम लें

जाप के बाद वही कमरे मे सोये

ये प्रयोग सात दिन करें
सातवें दिन जिन्न के आने पर पानी का लोटा उसे पकड़ा कर वचन ले लें


और ये साधना के बारे मे किसी को नही बतायें
वरना बहुत नुकसान हो सकता है

जिन्न जो भी धन लाभ करावें
उससे पीर फकीर को भोजन करायें 

और शक्ति का दुरूपयोग नही करें


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अर्पणा अप्सरा साधना /Arpana Apsra Sadhna

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अर्पणा अप्सरा साधना



अप्सरायै वेसे सभी सुन्दर होती है
और सभी साधक की मनोकामना भी पूरी करती है
लेकिन अपना तन मन सब कुछ अर्पण करने वाली केवल एक ही अप्सरा है जिसका नाम है अर्पणा अप्सरा

आज मे आपको अर्पणा अप्सरा की साधना करने की विधि दे रहा हू

इसे करके आप लोग अपने भौतिक जीवन को खुशियो से भर  लेगे


साधना विधि


ये साधना चन्द्र ग्रहण , रवि पुष्य , गुरू पुष्य , या किसी भी शुक्ल पक्ष के शुक्र वार से शुरू कर सकते है

इस साधना  के लिये रात्रि काल दस बजे नहा धोकर सफेद वस्त्र पहन कर उत्तर मुख होकर लाल आसन पर बैठे


सामने घी का दीपक लगाये गुलाब की अगरबत्ती जला ये

 सबसे पहले गुरू गणेश इष्ट कुल देव पितरों स्थान देव को भोग दे पूजा दें
उसके बाद देवराज इन्द्र की पूजा दें
और सभी से सफलता की कामना करें

फिर दाहे  हाथ मे चावल लेकर अर्पणा अप्सरा का प्रेमिका रूप मे आवाहन करें
और बायी ओर लाल आसन पर उन चावल को छोड दें
उसे बैठने को कहें

फिर उसकी चन्दन ,धूप दीप गुलाब के पुष्प , गुलाब के इत्र से पूजा करें
सफेद मिठाई का भोग दें
पानी दें

फिर अप्सरा से बाते करें

उसके बाद शंख की माला से मंत्र का २१ माला का जाप करें

जाप के बाद वही कमरे मे सोये

ये सा लगातार २१ दिन तक करें

२१ वे दिन अप्सरा के प्रत्यक्ष होने पर माला पहना कर वचन लेले

इस साधना मे पहले दिन ही पॉचवी  माला से अनुभव होने शुरू हो जाते है
ये अनुभव गुप्त रखने चाहिये
अप्सरा सिद्ध करके आप उससे कैसा भी कार्य करवा सकते है जो सही हो पॉजिटिव हो





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लाल परी की साधना /Lal Pari Sadhna

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लाल परी साधना



मुस्लिम धर्म मे वेसे तो कई साधना है
इनमे से परी साधना बहुत ही रोचक और प्रेम से भरी साधना होती है

इसी कडी मे में  आपको आज लाल परी की साधना दे रहा हू

लाल परी बहुत ही सुन्दर रूप मे साधक के पास उपस्थित होती है

उसका पूरा परिधान लाल रंग का  होता है
उसका रंग पंख सब लाल होते है

दिखने मे बहुत खूबसूरत होती हैं


ये साधना आप प्रेमिका या मित्र या बहन के रूप मे कर सकते है
हम जिस रूप मे परी की साधना करते है लाल परी उसी के अनुरूप साधक की सहायता करती है


साधना विधि



ये साधना शुक्रवार रात दस बजे के बाद नहा धोकर लाल आसन पर  बैठकर लाल कपडे पहन कर  की जाती है

आसन हो सके तो वज्र आसन लगायें

पश्चिम मुख होकर बैठे


सामने अपनी बायी ओर लाल रंग का कपडा बिछा लें परी के आसन के रूप मे
सामने एक थाली मे लाल कपडा बिछाये

सबसे पहले अपने उस्ताद यानि गुरू का पूजन दें

फिर परीस्तान  के राजा का पूजन दें

उसके बाद सर जमीं के सभी बुजुर्गो के लिये पूजा दें

पूरा पूजन मुस्लिम तरीके से दें
पूजन विधि जानने के लिये पोस्ट पढें

उसके बाद लाल परी को प्रेमिका रूप मे बुलायें
 बैठने को आसन दें
फिर गुलाब के फूल से उसका स्वागत करें
उसके आसन पर डालें

कच्चे गुलाब का इत्र दें

चन्दन आदि से पूजा दें

लाल मिठाई का भोग दें
पानी दें
घी का दीपक , पॉच गुलाब की अगर बत्ती लगाये

उससे प्रेमिका मानकर बाते करें

फिर एक माला गुरू मंत्र की फिर २१ माला लाल परी के मंत्र की जाप करें

माला तसबी या लाल हकीक की लें

जाप के बाद वहीं कमरे मे सोये

पाक साफ रहें
ये प्रयोग २१ दिन लगातार करें
२१ वे दिन परी के हाजिर होने पर गुलाब की माला उसे पहना दें

और उससे बाते करके वचन लें लें

वचन के बाद लाल परी आपके साथ रहेगी
हमेशा धन मान सम्मान देगी


ये साधना पूरी तरह से गुप्त रखें

शादी शुदा लोग इसे बहन के रूप मे करें


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कमाल खॉ बाबा की साधना /Baba Kamal Khan Sadhna

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कमाल खॉ बाबा की साधना



मुस्लिम धर्म मे पीर फकीर सैय्यदो का बहुत बोल बाला है
इनमें से किसी की भी साधक पर कृपा हो जाये तो साधक हर परेशानी से बचा रहता है

वेसे तो बहुत सारे पीर मुस्लिम धर्म मे है
इनमें से एक है बाबा कमाल खॉ

इनकी दरगाह आगरा में  है

आगरा के आस पास के इलाके मे इनसे बडी कोई शक्ति नही है

इनके साथ ही बुलाखी वीर का स्थान है
जिसे लोग बुलाखी  मसान के नाम से भी जानते है


बाबा कमाल खॉ अपने आप मे बहुत बडी शक्ति है
जो साधक नियम से बाबा की चिरागी  करता है बाबा उसकी हर मुराद पूरी कर देते है


साधना विधि


ये साधना शुरू करने से पहले हो सके तो आगरा जाकर इनकी मजार पर चादर चढा कर मन्नत मॉग कर आये 

नही तो अपने आस पास की किसी अन्य मजार पर जाकर बाबा कमाल खॉ के नाम से हरेऱंग की चादर चढा कर आये
चिरागी करके आये



फिर घर आकर गुरूवार की रात से ही नहा धोकर रात दस बजे से शुरू करें

हरे रंग के आसन पर हो सके तो वज्र आसन पर बैठे
सफेद कपडें  पहने
पश्चिम मुख होकर बैठे

सामने हरे  रंग के कपडे  पर  बाबा को  बैठने का आसन दें


घी का दीपक जलाकर
पॉच अगरबत्ती लगायें

सबसे पहले अपने उस्ताद की पूजा करें

फिर सभी पीरो की पूजा करें
और साधना मे सफलता के लिये मन्नत मॉगे

उसके बाद  बाबा कमाल खॉ को बुलाये
बैठने को आसन दें
और गुलाब के फूल से स्वागत करें

घी की चिरागी  करें
पॉच अगर बत्ती लगाये
पॉच गुलाब के साबुत फूल दें
पॉच बूदीं के लड्डू का भोग दें

निम्न वस्तु मे से जो मिल जाये वो दें
सफेद सूत की फेनी मिठाई होती है वो दें , काले रसगुल्ले , कीवी का फल , गरमी हो तो दूध से बना रूहफजा तरबूज के टुकडे डालकर दें

जो मिल जाये वो दें
ये वस्तुये बाबा को बहुत पसंद है

इसके बाद मन्नत मॉगकर
मंत्र का ३३३ तीन सौ तैतीस  बार मंत्र का जाप करें

जाप के बाद वहीं
कमरे मे सो जाये

ये साधना कृपा के लिये २१ दिन करें
प्रत्यक्षीकरन के लिये ४१ इकतालीस दिन करें

जाप के लिये हरे रंग की प्लास्टिक की या रेडियम की बनी तसबी माला लें

बाबा को हर गुरूवार चादर चडाये

हर गुरूवार पॉच फकीरो को भोजन करायें 

सादा रहन सहन से रहें
पाक साफ रहें
बाकी के सभी मुस्लिम नियम का पालन करें




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भूत प्रेत का बन्धन करना/ Bhoot Pret Ka Bandhan Karna

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भूत प्रेत को बॉधना 



आज मे आपको भूत प्रेत का इलाज केसे किया जाता है वो बताता हू

वेसे तो इनका इलाज केस के ऊपर डिपेंड  होता है
शक्ति के ऊपर होता है कि कौन सी शक्ति है कितनी पावर फुल है

नार्मल आप अपने सामने मरीज को बिठा ये
ज्योत जला कर अपने मंत्रो से ज्योत करें

उसके बाद अपने इस्ट को भोग दें

यदि किसी के घर गये है तो उसके घर के देव और वहॉ के स्थान देव को भोग दें

फिर उस शक्ति को मरीज के ऊपर बुलाने की कोसिस करें
आ जाये तो उससे बात करके केस खतम कर लें

ना आये तो उसके ऊपर से उतारा करें
उतारे की पोस्ट दे रखी है पढें

https://hareshtantrakendra.blogspot.com/2017/09/blog-post_78.html?m=1




उसके बाद उसके शरीर का रक्षा मंत्रो से कीलन बन्धन कर दें
उसे धागे को अभिमंत्रित करके पहना दें

बस नार्मल छोटी मोटी शक्ति उससे रूक जायेगी



किसी के सरीर मे कही पर दर्द रहता हो तो उसे केवल झाडा देने से ही उसका इलाज हो जाता है

झाडा अपने सभी कवच कीलन के मंत्रो से देना चाहिये

तुरन्त आराम आ जायेगा

झाडा देते समय मरीज को बोल दो कि वो मन ही मन हनुमान जी से प्रार्थना करें कि मुझे ठीक कर दें


बाकी जब कभी आप किसी का इलाज करने बैठोगे तो शक्तियां आपको खुद गाइड करेगीं

और पूरा साथ देगीं 

अपने इष्ट और अपने मंत्रो पर पूरा विश्वास रखना चाहिये
आप एक सफल साधक बन जाओगे


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पंचागुली साधना / Panchanugli Sadhna

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पंचागुली साधना



आपने पंचागुली साधना के बारे मे पढा और सुना होगा
ये साधना काल ज्ञान के लिये सटीक होती है

ज्योतिषो  के लिये ये साधना किसी वरदान से कम नही होती

इस पंचागुली साधना के तंत्र मे कई प्रकार है
जिसमे से एक प्रकार ये है कि साधक जातक की कनिष्ठा अंगुली को पकड कर उसका भूत भविष्य वर्तमान सब बताता है

हाथ मे कनिष्ठा पंचम अंगुली होती है
इसलिये इस साधना को पंचागुली साधना कहते है


पंचागुली साधना सात्विक और तामसिक दोनो विधा नो से सिद्ध होती है
मे यहॉ पर सात्विक विधान दे रहा हू जिसे जातको का भूत भविष्य कथन करना हो वो ये साधना अवश्य करें




साधना विधि



ये साधना किसी भी शुक्रवार को रात को दस बजे नहा धोकर शुद्ध होकर सफेद कपडे पहन कर लाल आसन पर  पूरबमुुख बैठकर ये साधना करें


सामने एक भोजपत्र पर पंचागुली यंत्र को सफेद या लाल चंदन से बनाकर स्थापित
साधना के बाद ये यंत्र किसी ताबीज मे भरकर दायें हाथ या गले मे पहनना है

 संकल्प लेले कि मे ये साधना जात को के भूत भविष्य जानने के लिये कर रहा हू


पहले गुरू गणेश इष्ट कुल देव पितरों स्थान देव का पंचोपचार पूजन दे देना

उसके बाद माता सरस्वती का ॐ ऐं  सरस्वतयै नमः मंत्र से माता का पूजन करें

उसके बाद माता पंचागुली का आवाहन करें

सामने किसी थाली में  माता रूप मे पूजा दें

माता को सात्विक पूजा दें
मोगरा की या चमेली की धूप सुगन्धी पसंद है
इनी का इत्र दें सफेद फूल दें
यदि कमल के फूल मिल जाये तो क्या कहने


पूरा पूजन
देकर मंत्र का रूद्राक्ष की माला से पॉच हजार का जाप करें

साधना के दौरान केवल दूध पीकर रहें
एक समय भोजन करें
सात्विक तरीके से रहें
ये अनुष्ठान पूरे एक महीने तक करते रहें
अनुष्ठान के दौरान कुछ अनुभव हो सकते है
या नही भी होते
लेकिन एक माह ये साधना लगातार की जाती है
पूरे विश्वास और समर्पण से यदि ये साधना की जाये तो
पहली बार मे ही सफलता मिल जाती है
साधना के अन्तिम दिन जाप करके यंत्र को ताबीज  मे रखकर पहन लें

देवी या तो प्रत्यक्ष रूप से सिद्ध हो जाती है तो सब कुछ कान मे बताती रहती है
यदि कुछ कमी रह जाती है तो अप्रत्यक्ष रूप से देवी की कृपा मिलती है
जिससे साधक जातक का सब कथन सत्य सत्य कह देता है

इस साधना मे धैर्य , विश्वास और समर्पण की बहुत ज्यादा जरूरत होती है

ये साधना प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से सिद्ध होती ही है

काल ज्ञानियो के लिये ये साधना किसी वरदान से कम नही है



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केन्द्र के नियम और शर्ते / Kendra Ke Niyam

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नियम और शर्ते



आपको हरेश तंत्र शक्ति साधना केन्द्र की तरफ से  दीक्षा लेने पर बहुत बधाई

हमे ये जानकर बहुत खुशी है कि आप लोग हमारी प्राचीन विद्या को सीखना चाहते है

हमारे रिशी मुनियों की धरोहर आप संभाल रहे है ये अपने आप मे बहुत. बडी बात ह

हमारे केन्द्र के कुछ नियम है वो आप ठीक से जान लें

१. आप अपने गुरू मंत्र का जितना हो सके जाप करें

२.  किसी भी सवाल के लिये आप मेसेज छोड दें
समय मिलते ही आपको जबाब दे दिया जायेगा

३.बहुत आवश्यक होने पर ही कॉल करे


४.  कॉल  का समय सुबह दस  बजे से शाम के छ बजे तक रहेगा
जिसमे आप जो चाहे पूछ सकते है

५. व्यस्त होने के कारण कॉल पिक ना हो तो परेशान ना हो
मेसेज छोड दे देख कर समय दे दिया जायेगा

६.  रात दस के बाद वही लोग कॉल करेगे जो साधना कर रहे हो

७.   साधना करते समय रात को आप लोग कितने बजे भी कॉल कर सकते है कोई मना नही है

८.  गुरूजी के अलावा यदि किसी को पैसे देते हो तो उसके हानि लाभ के आप स्वंय जिम्मेदार होगे
केन्द्र की कोई जिम्मेदारी नही होगी
फिर चाहे वो कोई हों


९.  यहॉ मिलने वाली साधना को आप किसी को नही बताओगे
यदि ये सा करते हो तो आपको गुरू द्रोह लगेगा


१०. दोषी पाये जाने पर आपके साथ वैध कानूनी कार्यवाही की जा सकती है

११.  रात आठ से दस के बीच कोई कॉल नही करेगा क्योकि मे आपके साथ ग्रुप मे चैटिंग करता हू


१२.  यदि किसी भाई को हमारी किसी बात से आपत्ति है तो वो ये केन्द्र छोडकर जाने को स्वतंत्र है

१३.   आप यहॉ साधना सीखने अपनी मर जी से आये है किसी के दाब मे यहॉ साधना नही सीख रहे

 १४.  सभी साधक अपने अनुभव गुरूजी के पर्सनल नम्बर पर लिखकर बताये
प्रतिदिन बतायें ध्यान से ताकि आपकी ओर ध्यान दिया जाय

१५. ऑडियो मेसेज भेजने से बचें


१६.  मेने उपरोक्त शर्ते ठीक से पढ ली है और मे उने निभाने का वचन देता हू
मे केन्द्र की नीति और शर्तो से सहमत हू मे केन्द्र के उत्थान के लिये वचन बद्ध हू
मे वचन देता हू कि मे भक्ति की शक्ति का प्रयोग अपनी और समाज की भलाई के लिये  करूगॉ

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नित्य पूजन की विधि हिन्दी मे /Pujan Vidhi Hindi

हरेश तंत्र शक्ति साधना केन्द्र *पूजन की विधि हिंदी में* आज मे आपको प्राथमिक पूजन की विधी बता रहा हू जो आपको नित्य पूजन करने मे करना है विधि १ सबसे पहले नहा धोकर साफ कपडे पहने फिर आसन पर ये मंत्र एक बार पढकर बैठे मंत्र मन मार मैदान करू करू मे चकना चूर पॉच महेश्वर आज्ञा करो तो बैठू आसन पूर २ बैठने के बाद पवित्री करण करे इस मंत्र से 👇 बाये हाथ मे जल ले उसमे पाचो उगली डालकर मंत्र बोले ॐ अपवित्र पवित्रो वा सर्वेस्थाम गतोअपि स्मेरेत पुडिरीकाक्षः सः बाह्म्भयंतर शुचि ॐपुनात पुडंरीकाक्षाय ॐपुनात पुडंरी काक्षाय ॐपुनात पू फिर पानी को सर पर , पूजन सामग्री पर छिडक दें ३ फिर आचमन करो तीन बार मंत्र बोले ॐकेशवाय नमः ॐमाधवाय नमः ॐ नारायणाय नमः दाये अगूठे से दो बार होठ पोछकर हाथ धोले ४ फिर प्राणायाम करे तीन बार अगूठे से दाये नथुने को रोककर बाये से सॉस लें फिर उसे कुछ देर रोककर दीये नथुने से निकाल दें फिर दाये से सॉस लें रोककर बाये से निकाल दें येसे तीन प्राणायाम करने चाहिये ५ फिर दीपक निम्न मंत्र बोलकर जलाये मंत्र ॐ ज्योत ज्योत महा ज्योत सकल ज्योत जगाये तुमको पूजे सकल संसार ज्योत माता तू ईश्वरी तू हमारी धरम की माता हम तेरे धरम के पूत ॐ ज्योति पुरूषाय धीमहि तन्नो ज्योत निरंजन प्रचोदयात ६ अगर बत्ती लगाये दीपक जला लें फिर सबसे पहले गुरूजी का आवाहन करें हे गुरूदेव मे आपको सादर आमत्रित कर रहा हू आप यहॉ उपस्थित हो मेरी पूजा स्वीकार करें और पूजन की आज्ञा दें फिर गुरू जी का पूजन करें पहले उनके पैर धोये फिर उने वस्त्र के रूप मे कलावा, मौली दें फिर उने चन्दन भैंट करें अक्षत दे फिर यदि पुष्प है तो दें नही तो रहने दें फिर इत्र को रूई पर लगाकर भेंट करें फिर धूप दीप भेंट करें फिर नैवेद्य के रूप मे बताशा या मिठाई जो हो वो दें फिर पीने के लिये जल दें फिर स्तुति करें दोहा पढें पूजन करने की आज्ञा लें फिर गनेश जी का आवाहन करें हे गनेश जी मे आपको सादर आमत्रित कर रहा हू आप यहॉ उपस्थित हों मेरा पूजन स्वीकार करो मे आपके पैर धो रहा हू पैर धोये मे आपको वस्त्र दे रहा हू मौली दें मे आपको चन्दन दे रहा हू चन्दन दे मे आपको पुष्प दे रहा हू पुष्प दें मे आपको इत्र दे रहा हू इत्र दें मे आपको अगरबत्ती दे रहा हू अगरबत्ती की तरफ इशारा करें मे आपको दीपक दे रहा हू दीपक दें मे आपको भोग दे रहा हू भोग दे मे आपको जल दे रहा हू जल दें प्रार्थना करें येसे ही इस्ट का पूजन करे येसे ही कुलदेवता का करें येसे ही पितरो का करें येसे ही स्थानदेव का करे *पूजन बाद विसर्जन की विधि* *हिन्दी विसर्जन* अपने हाथ मे थोडे से चावल लें और बोले मैंने जैसे भी जो भी मंत्र का जाप किया है यथा सामग्री , जो भीे मैंने जाप, पूजा ,हवन ,किया है जिस भी उद्देश्य से उसका फल मुझे इस रूप में प्राप्त हो(धन,मान, वशिकरण इत्यादि) और इस कर्म में मुझसे जो भी गलती हुई हो उसके लिए में क्षमा मंगतां हूँ मुझे क्षमा करें मै आपको ना तो बुलाना जानता हू ना आपको भेजना जानता हू हे प्रभु मेरी गलती क्षमा करना हे प्रभु आप सभी अपने अपने निज धाम पर जाइए ये दो बार बोले बस फिर हाथ मे जल लेकर आसन के नीचे डाले और खडे हो जाये ये नित्य का पूजन है उम्मीद है सब कर लेगें