हरेश तंत्रशक्ति साधना केन्द्र
साधना मे असफलता के कारण
आज में आपको ये बताता हू कि साधक साधना करता है
पूरे तन मन से फिर भी कई बार साधना निष्फल हो जाती है
जिसका कोई प्रत्यक्ष कारण दिखाई नही देता
तो आज मैं उनी कारणो को आप लोगो को बता रहा हू
आप सभी ध्यान से पढें और समझे
१. साधक ने जिस मंत्र का अनुष्ठान किया है वो गुरू से प्राप्त ना होकर किताब वगैरह से होता है
तो साधना निष्फल चली जाती है
जबकि सफलता के लिये साधक के पास गुरू से मंत्र लेना प्रथम शर्त है
२. जिस मंत्र का जाप कर रहें है उस मंत्र पर पूरा विश्वास ना होना
या उस देव पर पूरा विश्वास ना होना
या अपने गुरू पर पूरा विश्वास ना होना
३. साधना करते समय सही सामग्री का अभाव होना
४. मंत्र का जाप करके समय ध्यान ना लगना प्रमुख कारण होता है
५. सही विधि विधान का पालन ना करना
६. अपने मन से ही पूजा पाठ करना
७. बिना संकल्प जाप करना
ये वो कारण है जो असफल साधक मे पाये जाते है
जिने यदि साधक चाहे तो इन नियमो को ठीक करके सफलता पा सकता है
अब येसे कारण बताता हू जिनका कभी किसी को पता नही चलता
१. घर के किसी पितर ने साधना की शक्ति को रोक दिया हो
जिसके कारण वो प्रत्यक्ष नही हो पा रही है
२. घर के कुल देव ने शक्ति को रोक रखा हो
जिसके कारण भी असफलता का मुह देखना पडता है
३. स्थान देव ने रोक रखा हो
इसके कारण भी असफलता मिलती है
४. कभी कभी किसी का इस्ट ही नही चाहता कि उसे सिद्धी प्राप्त हो
जैसे किसी के इष्ट शिवजी है
और वो उनका अच्छा भक्त है
और यदि वो प्रेत साधना करना चाहता है तो मर कर उस साधक को भी प्रेत बनना पडेगा
तो कई बार इष्ट यदि तुमे प्रेत नही बनने देना चाहता तो भी वो साधना मे सहयोग नही करते जिस कारण भी साधना असफल हो जाती है
५. जिस लोक के प्राणी की हम साधना करना चाहे वो हमें स्वीकार नही करें
तो भी साधना निष्फल हो जाती है
जैसे प्रेत साधना करने केसमय यदि प्रेतराज हमें स्वीकार नही कर रहा है तो भी हमें प्रेत सिद्ध नही होगा
ये से ही सभी योनियो का समझ लें
६. कभी कभी किसी बाहरी शक्ति के हस्तक्षेप से भी साधना सफल नही होती
जैसे किसी ने घर पर कुछ करवा रखा है तो भी सफलता नही मिलती
७. कभी कभी भूत या प्रेत निम्न जाति का हो और साधक उच्च जाति का हो तो पितर उसे स्वीकार नही करते
जैसे साधक ब्राह्मण हो और किसी निम्न जाति का प्रेत सिध्द करें तो नही होगा
८. साधक के पास गुरू बल , इस्ट बल , मनोबल का कमजोर होना भी साधना मे असफलता दिलाता है
९. किसी बडी शक्ति को सिद्ध करने पर वो शक्ति वहॉ बैठे बैठे ही सारा पूजन खा जाती है और हमारा मंत्र बल कमज़ोर होने के कारण वो सिद्ध नही होती
जैसे किसी नये साधक द्वारा बैताल सिद्ध करने का प्रयास करने पर असफलता का कारन यही होता है
१०. येसे ही किसी नये साधक द्वारा दस महाविद्या को प्रत्यक्ष सिद्ध करने का प्रयास भी व्यर्थ चला जाता है
११. देव योनि की साधना करनेपर साधक को यदि दर सन नही हुये तो कम से कम उनकी कृपा तो मिल ही जाती है
जिससे साधक के कार्य बनने लगते है
जैसे चालीस दिन हनुमान जी की प्रत्यक्ष दरसनो के लिये यदि साधक मेहनत करता है तो दरसन ना होने पर उनकी कृपा मिल जाती है
१२. लेकिन निम्न योनि भूत, प्रेत, जिन्न ,बेताल ,अप्सरा , परी की साधना करने पर ये सा नही होता
ये अनुष्ठान पूरा ही बेकार चला जाता है
इने आप ये से भी समझ सकते है कि देव साधना दस नम्बर का प्रश्न है जिसमे कुछ सही होने पर कुछ ना कुछ नम्बर मिल जाते है
और निम्न योनि की साधना एक नम्बर का पेपर है जिसमे मिला तो पूरा एक मिलता है नही तो जीरो
मिलता है
ये से बहुत से कारण होते है जिनके कारण साधक की साधना पूर्ण रूप से सफल नही हो पाती
और साधक तंत्र को दोष देने लग जाता है
जबकि सच्चाई कुछ और होती है
इसलिये साधना करें
लेकिन असफलता मिलने पर निराश नही हों
दुबारा तिबारा पूरे तन मन से साधना का प्रयास करते रहें
जब तक कि सफलता मिल ना जाये
बहुत लोगो ने तंत्र से सफलता पायी है
तुमको भी मिलेगी
तुम करके देखो तो सही
विश्वास से तो भगवान भी मिल जाते
अधिक जानकारी के लिये सम्पर्क करें
*हरेश तंत्र शक्ति साधना केंद्र*
ये मेरे लिंक है
Website :- http://www.hareshtantra.in
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हरेश तंत्र शक्ति साधना केन्द्र
9690988493
8384844021
साधना मे असफलता के कारण
आज में आपको ये बताता हू कि साधक साधना करता है
पूरे तन मन से फिर भी कई बार साधना निष्फल हो जाती है
जिसका कोई प्रत्यक्ष कारण दिखाई नही देता
तो आज मैं उनी कारणो को आप लोगो को बता रहा हू
आप सभी ध्यान से पढें और समझे
१. साधक ने जिस मंत्र का अनुष्ठान किया है वो गुरू से प्राप्त ना होकर किताब वगैरह से होता है
तो साधना निष्फल चली जाती है
जबकि सफलता के लिये साधक के पास गुरू से मंत्र लेना प्रथम शर्त है
२. जिस मंत्र का जाप कर रहें है उस मंत्र पर पूरा विश्वास ना होना
या उस देव पर पूरा विश्वास ना होना
या अपने गुरू पर पूरा विश्वास ना होना
३. साधना करते समय सही सामग्री का अभाव होना
४. मंत्र का जाप करके समय ध्यान ना लगना प्रमुख कारण होता है
५. सही विधि विधान का पालन ना करना
६. अपने मन से ही पूजा पाठ करना
७. बिना संकल्प जाप करना
ये वो कारण है जो असफल साधक मे पाये जाते है
जिने यदि साधक चाहे तो इन नियमो को ठीक करके सफलता पा सकता है
अब येसे कारण बताता हू जिनका कभी किसी को पता नही चलता
१. घर के किसी पितर ने साधना की शक्ति को रोक दिया हो
जिसके कारण वो प्रत्यक्ष नही हो पा रही है
२. घर के कुल देव ने शक्ति को रोक रखा हो
जिसके कारण भी असफलता का मुह देखना पडता है
३. स्थान देव ने रोक रखा हो
इसके कारण भी असफलता मिलती है
४. कभी कभी किसी का इस्ट ही नही चाहता कि उसे सिद्धी प्राप्त हो
जैसे किसी के इष्ट शिवजी है
और वो उनका अच्छा भक्त है
और यदि वो प्रेत साधना करना चाहता है तो मर कर उस साधक को भी प्रेत बनना पडेगा
तो कई बार इष्ट यदि तुमे प्रेत नही बनने देना चाहता तो भी वो साधना मे सहयोग नही करते जिस कारण भी साधना असफल हो जाती है
५. जिस लोक के प्राणी की हम साधना करना चाहे वो हमें स्वीकार नही करें
तो भी साधना निष्फल हो जाती है
जैसे प्रेत साधना करने केसमय यदि प्रेतराज हमें स्वीकार नही कर रहा है तो भी हमें प्रेत सिद्ध नही होगा
ये से ही सभी योनियो का समझ लें
६. कभी कभी किसी बाहरी शक्ति के हस्तक्षेप से भी साधना सफल नही होती
जैसे किसी ने घर पर कुछ करवा रखा है तो भी सफलता नही मिलती
७. कभी कभी भूत या प्रेत निम्न जाति का हो और साधक उच्च जाति का हो तो पितर उसे स्वीकार नही करते
जैसे साधक ब्राह्मण हो और किसी निम्न जाति का प्रेत सिध्द करें तो नही होगा
८. साधक के पास गुरू बल , इस्ट बल , मनोबल का कमजोर होना भी साधना मे असफलता दिलाता है
९. किसी बडी शक्ति को सिद्ध करने पर वो शक्ति वहॉ बैठे बैठे ही सारा पूजन खा जाती है और हमारा मंत्र बल कमज़ोर होने के कारण वो सिद्ध नही होती
जैसे किसी नये साधक द्वारा बैताल सिद्ध करने का प्रयास करने पर असफलता का कारन यही होता है
१०. येसे ही किसी नये साधक द्वारा दस महाविद्या को प्रत्यक्ष सिद्ध करने का प्रयास भी व्यर्थ चला जाता है
११. देव योनि की साधना करनेपर साधक को यदि दर सन नही हुये तो कम से कम उनकी कृपा तो मिल ही जाती है
जिससे साधक के कार्य बनने लगते है
जैसे चालीस दिन हनुमान जी की प्रत्यक्ष दरसनो के लिये यदि साधक मेहनत करता है तो दरसन ना होने पर उनकी कृपा मिल जाती है
१२. लेकिन निम्न योनि भूत, प्रेत, जिन्न ,बेताल ,अप्सरा , परी की साधना करने पर ये सा नही होता
ये अनुष्ठान पूरा ही बेकार चला जाता है
इने आप ये से भी समझ सकते है कि देव साधना दस नम्बर का प्रश्न है जिसमे कुछ सही होने पर कुछ ना कुछ नम्बर मिल जाते है
और निम्न योनि की साधना एक नम्बर का पेपर है जिसमे मिला तो पूरा एक मिलता है नही तो जीरो
मिलता है
ये से बहुत से कारण होते है जिनके कारण साधक की साधना पूर्ण रूप से सफल नही हो पाती
और साधक तंत्र को दोष देने लग जाता है
जबकि सच्चाई कुछ और होती है
इसलिये साधना करें
लेकिन असफलता मिलने पर निराश नही हों
दुबारा तिबारा पूरे तन मन से साधना का प्रयास करते रहें
जब तक कि सफलता मिल ना जाये
बहुत लोगो ने तंत्र से सफलता पायी है
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