हरेश तंत्र शक्ति साधना केन्द्र
गुरू शिष्य संवाद
प्र. गुरूजी हमारे अन्दर आत्मा कब आती है जब हम जन्म लेते है
उ. नही मनुष्य के वीर्य मे जो शुक्राणु होता है वही आत्मा होती है
जो स्त्री के अन्डे मे प्रवेश करके जीवन धारण करती है
अन्डा मृत होता है
लेकिन शुक्राणु के मिलन से वो जीवित हो जाता है
अन्डा प्रकृति और शुक्राणु ईश्वर कहलाता है
यही ईश्वर का प्रकृति के साथ मिलन कहलाता है
जिससे नयी सृष्टि का जन्म होता है
प्र. गुरूजि तो मनुष्य की जो ऊर्जा होती है तो वो उसके वीर्य से ही आती है
उ. हॉ शरीर मे अन्तिम रूप से वीर्य ही बनता है
प्र. मतलब हम जितना वीर्य बचाएंगे तो उतना ऊर्जा बढेगा🙏
उ. हॉ साधना मे ब्रह्मचर्य इसीलिये रखा जाता है
प्र. गुरूजि तो हमे अगर कोई साधना शुरू करनी है तो अगर हम उसके 2 दिन पहले
से ब्रह्मचर्य रहेंगे तो साधना सफल होगी कि नही क्यों कि अगर 2 दिन पहले कोई साधक संबंद बनाता है अपनी पत्नी के साथ तो उसकी ऊर्जा तो बोहोत कम होजाती होगी ना तो उसे सफलता मिलेगी की नही🙏
उ. तंत्र मे सफलता कई चीजों पर निर्भर करती है
अकेले ब्रह्मचर्य पर नही
प्र. गुरूजि अगर हम गुरुमंत्र का 21 माला 21 दिन प्रेत सिद्धि के लिए संकल्प लेके करेंगे तो क्या प्रेत आएगा🙏
उ. हॉ हो जायेगा
गुरू मंत्र से हर सिद्धी मिल सकती है
बस क्रिया बदलनी होगी
प्र. गुरूजि जो योगी ओर ऋषि मुनि होते है उन्हें हिमालय की बर्फ से ठंड क्यों नही लगती
उ. शरीर मे कोशिका पायी जाती है उसके अन्दर एक माइट्रो कान्ड्रिया पाया जाता है
जो विद्युत का पावर हाउस होता है
नार्मल वो बिजली या कहो कि शरीर को जरूरत होती है उतनी ही गरमी पैदा करता है जिससे शरीर का तापक्रम ठीक रहे
कभी कभी किसी कारन से वो खराब बो जाता है तो ज्यादा मात्रा मे गरमी पैदा करता है
जिसे बुखार आना कहते है
तो योगी लोग इस शक्ति पर नियंत्रण कर लेते है
और बर्फ मे रहते हुये उतनी गरमी पैदा करते है जितने की उने जरूरत होती है
कई योगी इस क्रिया को ज्यादा करते है तो बरफ के ऊपर बैठे रहने पर भी उनका शरीर गरमी से पसीने से तर बतर हो जाता है
प्र. मैं खुद साइंस स्टूडेंट हु पर येसी बात नही जानता था🙏🙏☺
उ. जिस दिन तंत्र का साइंस अपनी ऑखो से देख लोगे
ये साइंस भूल जाओगे
प्र. गुरूजि हम साइंस में पड़ते है कि सबसे पहले जीवन पानी से जन्मा ओर सबसे पहले हम बंदर थे और करोर ओ साल बाद हम इंसान बने पर मैं इसे नही मानता हु,गुरूजि ये दुनिया मे तो सबसे पहले देवी देवता आये तो इसका सच क्या है🙏
उ. साइंस की विकास वाद की थ्योरी गलत है
डार्विन ने इसे जोड तोड कर पेश किया है
इस धरती पर इतने जीव है कि उने आपस मे जोडा जा सकता है
लेकिन केवल शारीरिक संरचना को
जबकि मनुष्य का आचार विचार स्वभाव रहन सहन
किसी भी तरह से मेल नही खाता
बन्दर तो छोडो
नेपाल चीन के मनुष्य कभी भी लम्बे कद के नही हो सकते चाहे कितना विकास हो जाये
जैसे अन्य जीव है वेसे ही हम भी केवल एक जीव ही है
और कुछ नही
बस हमने भाषा सीख ली और उने जानवर कहने लगे
हम हमेशा से ही पृथ्वी पर रहे थे
हॉ विकास हुया है
हमारी रहन सहन का
खान पान का
व्यवहार का
सामाजिकता का
समाज का
लेकिन हम केवल मनुष्य से ही पैदा हो सकते है
बन्दरो से नही
इस दुनिया मे ये सा कभी नही होगा कि गधा विकास करते करते घोडा बन जाये
पहले तो साइंस ने कहा कि एक अमीबा व्हेल मछली जितना विशाल हो गया
फिर कहा कि अब वो घटने लगा है
हाथी की ऊचाई घट रही है
मनुष्य की घट रही है
हम सायद फिर कुछ सालो मे अमीबा बन जायेंगे
लेकिन क्या जो अन्य जीव है वो क्यो नही बन रहे
पिछले हजारो साल के इतिहास मे एसी कोई योनि नही जो मनुष्य के देखते देखते किसी और मे बदल गयी है
और तो और बन्दर मनुष्य नही बने
बन्दर ही रह गये
डार्विन की ये विकास वाद की थ्योरी का मे सख्त विरोध करता हू
प्र. गुरूदेव जो यानी देवी देवता ने सबसे पहले इंसान बनाया है जिसे हम आज है मैं भी हमेशा से यही सोच त था कि हम सब अलग अलग बने है ना कि बंदर थे पहले🙏☺
उ. नही हमें देवताओ ने नही बनाया
देवताओ को भी किसी ने बनाया है
हमे उसी ने बनाया है
देवता भी एक योनि है केवल
हमारी तरह ही
प्र. तो हमारा धर्म तो कहता है कि आदि शक्ति ने दुनिया बनाई है ना
उ. गलत है
दुनिया मे तीन सौ धर्म है और सबके देव है
और सब ये कहते है कि ये दुनिया उसके देव ने बनायी है
सब कल्पना करते है
और अपने देव को बडा चडा कर लिखा है सबने
प्र. तो तभी साई बाबा कहते है कि सबका मालिक एक है ना
वो मालिक कौन है फिर
उ. इस दुनिया मे जितने भी बल्ब है पंखे है कूलर है वो सब किससे चलते है
बिना बिजली चल सकते है क्या
नही
क्या बिजली दिखती है
नही
यदि मेरे घर कोई पंखा चालू है तो वो बिजली घर से सीधा जुडा रहता है या नही
हॉ रहता है
और यदि मेरे गॉव के पंखे कूलर चल रहे है तो वो सब आपस मे जुडे रहते है या नही
हॉ जुडे रहते है
ये से ही हम सबके अन्दर जो बिजली है जिससे हम चल रहे है
हिन्दू मुस्लिम सिख सभी
वो बिजली का नाम ईश्वर है
कोई उसे खुदा कहता है
कोई कुछ और
लेकिन हम सब उस एक बिजली से ही चल रहे है
जिसे शास्त्रो मे चेतना कहा गया है
वो चेतना तुम मे है मुझ मे है राम मे है कृष्ण मे है
चीटी मे है हाथी मे है
सब मे बराबर होती है
वो कम ज्यादा नही होती
उस चेतना को ही ईश्वर कहा जाता है
सब उसी से जुडे है
सब उसी से पैदा है
सब उसी से स्थित है
सब उसी मे लीन हो जायेंगे
वही है सबका मालिक एक
जैसे सभी इलेक्ट्रॉनिक उत्पादों का भगवान बिजली होती है
ट्रान्सफार्मर तो केवल उसे नियत्रित करते है
अब कोई उस ट्रान्सफार्मर को ही भगवान मान ले तो क्या करें
ये से ही चेतना ही ईश्वर है
देवता तो केवल इसे नियंत्रित करते है
लेकिन लोगो ने देवताओ को ईश्वर मान लिया है
प्र. देवता कौन है
उ. देवता एक योनि है बस
जैसे गधे घोडे मनुष्य चीटी हाथी
सब अलग अलग योनि है
येसे ही जिन्न भूत प्रेत यक्ष गन्धर्व देवता राक्षस पिशाच
ये सब भी अलग अलग योनि है
सबकी दुनिया अलग ह
खानपान अलग है
रहन सहन अलग है
सब कुछ अलग है
येसे ही रहस्यो को जानने के लिये सम्पर्क करें
*ये हमारे नए लिंक हैं सभी साधक इसे सेव करें*
ये मेरे लिंक है
YouTube:- https://www.youtube.com/channel/UCuNo9u5y9rqMq1T_CrPilDg
ब्लॉग:- https://hareshtantrakendra.blogspot.in
*निशुल्क तंत्र मंत्र साधना के लिये सम्पर्क करें*
हरेश तंत्र शक्ति साधना केन्द्र
9690988493
8384844021
गुरू शिष्य संवाद
प्र. गुरूजी हमारे अन्दर आत्मा कब आती है जब हम जन्म लेते है
उ. नही मनुष्य के वीर्य मे जो शुक्राणु होता है वही आत्मा होती है
जो स्त्री के अन्डे मे प्रवेश करके जीवन धारण करती है
अन्डा मृत होता है
लेकिन शुक्राणु के मिलन से वो जीवित हो जाता है
अन्डा प्रकृति और शुक्राणु ईश्वर कहलाता है
यही ईश्वर का प्रकृति के साथ मिलन कहलाता है
जिससे नयी सृष्टि का जन्म होता है
प्र. गुरूजि तो मनुष्य की जो ऊर्जा होती है तो वो उसके वीर्य से ही आती है
उ. हॉ शरीर मे अन्तिम रूप से वीर्य ही बनता है
प्र. मतलब हम जितना वीर्य बचाएंगे तो उतना ऊर्जा बढेगा🙏
उ. हॉ साधना मे ब्रह्मचर्य इसीलिये रखा जाता है
प्र. गुरूजि तो हमे अगर कोई साधना शुरू करनी है तो अगर हम उसके 2 दिन पहले
से ब्रह्मचर्य रहेंगे तो साधना सफल होगी कि नही क्यों कि अगर 2 दिन पहले कोई साधक संबंद बनाता है अपनी पत्नी के साथ तो उसकी ऊर्जा तो बोहोत कम होजाती होगी ना तो उसे सफलता मिलेगी की नही🙏
उ. तंत्र मे सफलता कई चीजों पर निर्भर करती है
अकेले ब्रह्मचर्य पर नही
प्र. गुरूजि अगर हम गुरुमंत्र का 21 माला 21 दिन प्रेत सिद्धि के लिए संकल्प लेके करेंगे तो क्या प्रेत आएगा🙏
उ. हॉ हो जायेगा
गुरू मंत्र से हर सिद्धी मिल सकती है
बस क्रिया बदलनी होगी
प्र. गुरूजि जो योगी ओर ऋषि मुनि होते है उन्हें हिमालय की बर्फ से ठंड क्यों नही लगती
उ. शरीर मे कोशिका पायी जाती है उसके अन्दर एक माइट्रो कान्ड्रिया पाया जाता है
जो विद्युत का पावर हाउस होता है
नार्मल वो बिजली या कहो कि शरीर को जरूरत होती है उतनी ही गरमी पैदा करता है जिससे शरीर का तापक्रम ठीक रहे
कभी कभी किसी कारन से वो खराब बो जाता है तो ज्यादा मात्रा मे गरमी पैदा करता है
जिसे बुखार आना कहते है
तो योगी लोग इस शक्ति पर नियंत्रण कर लेते है
और बर्फ मे रहते हुये उतनी गरमी पैदा करते है जितने की उने जरूरत होती है
कई योगी इस क्रिया को ज्यादा करते है तो बरफ के ऊपर बैठे रहने पर भी उनका शरीर गरमी से पसीने से तर बतर हो जाता है
प्र. मैं खुद साइंस स्टूडेंट हु पर येसी बात नही जानता था🙏🙏☺
उ. जिस दिन तंत्र का साइंस अपनी ऑखो से देख लोगे
ये साइंस भूल जाओगे
प्र. गुरूजि हम साइंस में पड़ते है कि सबसे पहले जीवन पानी से जन्मा ओर सबसे पहले हम बंदर थे और करोर ओ साल बाद हम इंसान बने पर मैं इसे नही मानता हु,गुरूजि ये दुनिया मे तो सबसे पहले देवी देवता आये तो इसका सच क्या है🙏
उ. साइंस की विकास वाद की थ्योरी गलत है
डार्विन ने इसे जोड तोड कर पेश किया है
इस धरती पर इतने जीव है कि उने आपस मे जोडा जा सकता है
लेकिन केवल शारीरिक संरचना को
जबकि मनुष्य का आचार विचार स्वभाव रहन सहन
किसी भी तरह से मेल नही खाता
बन्दर तो छोडो
नेपाल चीन के मनुष्य कभी भी लम्बे कद के नही हो सकते चाहे कितना विकास हो जाये
जैसे अन्य जीव है वेसे ही हम भी केवल एक जीव ही है
और कुछ नही
बस हमने भाषा सीख ली और उने जानवर कहने लगे
हम हमेशा से ही पृथ्वी पर रहे थे
हॉ विकास हुया है
हमारी रहन सहन का
खान पान का
व्यवहार का
सामाजिकता का
समाज का
लेकिन हम केवल मनुष्य से ही पैदा हो सकते है
बन्दरो से नही
इस दुनिया मे ये सा कभी नही होगा कि गधा विकास करते करते घोडा बन जाये
पहले तो साइंस ने कहा कि एक अमीबा व्हेल मछली जितना विशाल हो गया
फिर कहा कि अब वो घटने लगा है
हाथी की ऊचाई घट रही है
मनुष्य की घट रही है
हम सायद फिर कुछ सालो मे अमीबा बन जायेंगे
लेकिन क्या जो अन्य जीव है वो क्यो नही बन रहे
पिछले हजारो साल के इतिहास मे एसी कोई योनि नही जो मनुष्य के देखते देखते किसी और मे बदल गयी है
और तो और बन्दर मनुष्य नही बने
बन्दर ही रह गये
डार्विन की ये विकास वाद की थ्योरी का मे सख्त विरोध करता हू
प्र. गुरूदेव जो यानी देवी देवता ने सबसे पहले इंसान बनाया है जिसे हम आज है मैं भी हमेशा से यही सोच त था कि हम सब अलग अलग बने है ना कि बंदर थे पहले🙏☺
उ. नही हमें देवताओ ने नही बनाया
देवताओ को भी किसी ने बनाया है
हमे उसी ने बनाया है
देवता भी एक योनि है केवल
हमारी तरह ही
प्र. तो हमारा धर्म तो कहता है कि आदि शक्ति ने दुनिया बनाई है ना
उ. गलत है
दुनिया मे तीन सौ धर्म है और सबके देव है
और सब ये कहते है कि ये दुनिया उसके देव ने बनायी है
सब कल्पना करते है
और अपने देव को बडा चडा कर लिखा है सबने
प्र. तो तभी साई बाबा कहते है कि सबका मालिक एक है ना
वो मालिक कौन है फिर
उ. इस दुनिया मे जितने भी बल्ब है पंखे है कूलर है वो सब किससे चलते है
बिना बिजली चल सकते है क्या
नही
क्या बिजली दिखती है
नही
यदि मेरे घर कोई पंखा चालू है तो वो बिजली घर से सीधा जुडा रहता है या नही
हॉ रहता है
और यदि मेरे गॉव के पंखे कूलर चल रहे है तो वो सब आपस मे जुडे रहते है या नही
हॉ जुडे रहते है
ये से ही हम सबके अन्दर जो बिजली है जिससे हम चल रहे है
हिन्दू मुस्लिम सिख सभी
वो बिजली का नाम ईश्वर है
कोई उसे खुदा कहता है
कोई कुछ और
लेकिन हम सब उस एक बिजली से ही चल रहे है
जिसे शास्त्रो मे चेतना कहा गया है
वो चेतना तुम मे है मुझ मे है राम मे है कृष्ण मे है
चीटी मे है हाथी मे है
सब मे बराबर होती है
वो कम ज्यादा नही होती
उस चेतना को ही ईश्वर कहा जाता है
सब उसी से जुडे है
सब उसी से पैदा है
सब उसी से स्थित है
सब उसी मे लीन हो जायेंगे
वही है सबका मालिक एक
जैसे सभी इलेक्ट्रॉनिक उत्पादों का भगवान बिजली होती है
ट्रान्सफार्मर तो केवल उसे नियत्रित करते है
अब कोई उस ट्रान्सफार्मर को ही भगवान मान ले तो क्या करें
ये से ही चेतना ही ईश्वर है
देवता तो केवल इसे नियंत्रित करते है
लेकिन लोगो ने देवताओ को ईश्वर मान लिया है
प्र. देवता कौन है
उ. देवता एक योनि है बस
जैसे गधे घोडे मनुष्य चीटी हाथी
सब अलग अलग योनि है
येसे ही जिन्न भूत प्रेत यक्ष गन्धर्व देवता राक्षस पिशाच
ये सब भी अलग अलग योनि है
सबकी दुनिया अलग ह
खानपान अलग है
रहन सहन अलग है
सब कुछ अलग है
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हरेश तंत्र शक्ति साधना केन्द्र
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Kitni badi baat samja di apne aaj
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