गुरू शिष्य संवाद पार्ट 2

हरेश तंत्र शक्ति साधना केन्द्र

गुरू शिष्य संवाद  2


 Q.  गुरू जी सम्प्रदायै से दीक्षित होने पर ही साधना सफल होती है

Ans. हॉ आपको सम्प्रदाय का नाम नही देने के पीछे मेरा यही उद्देश है

तंत्र किसी की बापौती नही है

वेसे नाथ अघोर रामानंदी वैष्णव गिरि पुरी भारती ये सभी साधुओ के सम्प्रदाय है
ये उनके लिये है जिन्होने ग्रहस्थ छोड दिया है

लेकिन आज सब गलत हो रहा है
हर सम्प्रदाय अपने आप को बढाने के लिये ग्रहस्थी को दीक्षा दे रहे है ये गलत है
तुम ग्रहस्थी हो तो केसे नाथ केसे अघोरी
दीक्षा के समय पिंडदान करवाते थे मुंडन होता है नाम बदला जाता है क्यो क्योकि तुम ग्रहस्थी नही रहे अब मर चुके हो
दीक्षा के बाद का जीवन दूसरा होता है
नया होता

तुमे ग्रहस्थी रहना है तो मे तुमे सम्प्रदाय के नाम का ढोंग नही करवाना चाहता
तंत्र को कोई भी सीख सकता है
तुम साधक बन जाते हो बस तुम्हारा मुंडन नही होता
तुम्हारी पहचान नही छीनना चाहता मे
तुम जो हो जहॉ हो जैसे हो वही पर अपने इष्ट को  समर्पित हो जाओ  बस तुम साधक हो


इसलिये स्वतंत्र रहो क्योकि तंत्र किसी सम्प्रदाय ने खरीद नही रखा है

किसी सम्प्रदायै मे दीक्षित होकर तंत्र साधना करना बढे सौभाग्य की बात है

ग्रहस्थी होकर गलत बात है
जब सौप दिया तो सौप दिया

नही तो नही

इसल्ये
मस्त रहो अपने परिवार के साथ हसते खिलखिलाते जीवन गुजारो क्योकि यदि परिवार नही तो इस दुनिया मे कुछ नही


Q. गुरु जी नमन...जय हो गुरुदेव....पर गुरु जी ...अगर...यह सब गृहस्त को नहीं..दी जाती तो..जो आज गृहस्त के नाम पर...अघोरी या गिरी..या नाथ..लगा के बैठे है उन्हें यह विद्या फलीभूत कैसे होती है?


Ans.  मेने कहा है ना कि तंत्र किसी की बापौती नही है
जो समर्पित हो जाता है उनका घडा भर जाता है
भरने के लिये घडे को नीचे पानी मे डूबना पडता है
यानि जो जहॉ झुक जाता है प्रकृति उसे वही भर देती है

Q.  ji...samjha..ache se samjha.

Ans.  ये समझना बिना प्रेम के खतरनाक होता है ज्ञान के साथ साथ मनुष्य को  प्रेम भी आना चाहिये
जितना ज्ञान हो उतना ही प्रेम से भरो
नही तो बिनाप्रेम के ज्ञान तुमे अंहकार से भर देगा
जो गलत है

यानि बिना प्रेम का ज्ञान तुमे अंहकार से भर देता है

जितना भरो उतना झुकते चलेजाओ तो समझो कि ज्ञान आ रहा है
झुके बिना जो ज्ञान है वो बहुत खतरनाक होता है
वो एक दिन तुमे ले डूबेगा

जिस डाली पर फल होते है वो बिना फल वाली डाली से झुकी रहती है
झुके ना तो समझ लो कुछ गलत हो रहा है
झुकना कमजोरी नही प्रेम की निशानी होती है


Q. guru ji...navraatre mein nav deviyon ka pujan kiya jaata hai
aur hum 10 mahavidaayon ki bhi upasana aur sadhna karte hein
To devi k 9 swarup hai yaa 10


Ans.  देवी और दसमहा विधा अलगअलग है

Q.  parbrahm aur trimurti ka kya koi relation hai guru ji....

Ans.  नही केवल उतना जितना तुम्हारा है

Q.  AUR agar trimurti bhi dev hein toe anya dev aur trimurti mein kya bus itna he farq hai ki trimurti head hai

Ans.  हॉ सही है

Q.  गुरु जी आपने 1 बार कहा था कि देव भी इंसान से डरते हैं...तोए क्या इंसान भी अपने कर्मों से देव बन सकता है ?

Ans.  भाई आप लोग समझते ही नही हो
इंसान ही देव बनता है
गधे घोडे बनता है भूत प्रेत बनता है
और वापस इंसान बनता है
जैसे हम किसी दूसरे लोक मे स्वर्ग मे भोग भोगने जाते है
प्रेत लोक मे प्रेत बनकर
यक्ष लोक मे यक्ष बनकर
येसे ही अभी भी हम केवल कर्मो को ही भोगने मुनष्य बने है
पृ्थ्वी लोक मे आये है कुछ दिन यहॉ रहेगे फिर किसी अन्य लोक मे अन्य रूप आकार मे रहेगे
ये सब येसे ही चलता रहता है अनंत काल सेचल रहा है

Q.  गुरुदेव आवाहन का अर्थ-किसी देवता को बुलाना होता है.क्या

Ans.   हॉ देवता को बुलाना ही आवाहन कहलाता है

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