प्राण प्रतिष्ठा
हमारे जीवन मे धर्म का महत्व है
और धर्म मे अपने अपने धर्मो के हिसाब से देवी देवता है
जिनकी पूजा की जाती है
पूजा के लिये मूर्ति माला यंत्रो आदि की जरूरत होती है
और इन सबको मूर्ति माला यंत्रो मे प्राण प्रतिष्ठा की जाती है
इस दुनिया मे सारी चीजे बेजान ,निर्जीव और मृत है
यहॉ तक की हमारा शरीर भी मृत है
लेकिन ये कार्य कर रहा है क्योकि इसमें प्राण ऊर्जा है जो चैतन्य ऊर्जा है
केवल यही जाग्रत ,चैतन्य और जीवित है
बाकी सब इसके कारण ही जिन्दा है चैतन है
इसे हम प्राण ऊर्जा ,चैतन्य ऊर्जा ,चित शक्ति
आदि नामो से जानते है
जब हम प्राण प्रतिष्ठा करते है तो इसी ऊर्जा को हम उस वस्तु मे ट्रान्सफर करते है या डालते है
और वो वस्तु मे चेतना आती है
ये हमारे प्राण ऊर्जा के कारन होता है
और वो वस्तु चैतन कहलाती है
मूर्ति मे भी यही प्राण प्रतिष्ठा की जाती है और उसके पूजन पाठ से हमारी मनोकामना शीघ्र पूरी होती है
यदि येसी प्राण प्रतिष्ठित माला से जाप किया जाता है तो फल कई गुना बढ जाता है
येसे ही यंत्रो को यदि प्राण प्रतिष्ठित कर लिया जाता है तो उनका प्रभाव भी बहुत बढ जाता है
प्राण प्रतिष्ठित करने की विधि दे रहा हू
इसके द्वारा आप किसी भी माला यंत्र मूर्ति आदि को चैतन्य कर सकते है
यंत्र को , या माला को , या मूर्ति को जिसकी प्रतिष्ठा करनी हो उसे
पहले दूध गंगाजल सादे पानी से अच्छी तरह धो लेना चाहिये
आप चाहे तो पंचगव्य से भी धो सकते है
उसके बाद उसे पोछकर साफ करके माला को दोनो हाथो मे पकडे ,
यंत्र कर रहे है तो यंत्र के मध्य भाग पर अगूंठा रखे
और
मूर्ती कर रहे है तो मूर्ति के सीने पर अपने दाये हाथ के अगूठे से टच करे
और निम्न मंत्र का जाप करें
मंत्र
ॐ सुहंसाय विद्यमये प्राण प्राणाय धीमहि।
तन्नो ज्योति निरंजनि प्रचोदयात ।।
ज्योति निरंजनि के स्थान पर उस देवता का नाम लेना है
जिसकी स्थापना कर रहे है
जैसे
*ॐ सुहंसाय विद्यमये प्राण प्राणाये धीमहि तन्नो शिव प्रचोदयात*
जितना अधिक चैतन्य करना हो उतने मंत्र का जाप करते रहिये
इसमे कोई संख्या निश्चित नही है
आप 108 , 1008 , 10008 जितना चाहे उतना जाप कर सकते है
पूरे जाप मे अगूठा वही टच रहेगा
और भावना करनी है कि हमारे शरीर की प्राण ऊर्जा इस अगूठे द्वारा इस मे प्रवेश कर रही है
तंत्र भाव प्रधान है ये याद रखे
श्रदा विश्वास से ही ये फलता फूलता है
हमारे शास्त्रो मे भी इसके मंत्र दे रखे है आप उसके द्वारा भी प्राण प्रतिष्ठा कर सकते है
मंत्र
ॐ मनोजुस्तिजुस्तमयजस्य बृहस्पति यज्ञ समिमं दधातु विस्वे देवा इहा माद्यंत्यामो प्रतिस्ठितः
अस्यै प्राणः प्रतिष्ठन्तु अस्यै प्राणाक्षरन्तु च
अस्यै वैषत्वमर्चायै मामहेति च कश्चन
इसी प्रकार मंत्र जाप कै समय मंत्र में ध्यान देकर मंत्र मे भी प्राण ऊर्जा डाली जाये तो मंत्र भी चैतन्य हो जाता है*
इस प्रकार से चैतन्य माला द्वारा जाप करने से चैतन्य मूर्ति का , चैतन्य यंत्र का पूजन करने पर चमत्कार बहुत जल्द होते है
और मंत्र जल्दी फलित होता है
ये मंत्र , मूर्ति , यंत्र , माला को प्राण प्रतिष्ठित करने की विधि दी गयी है
ठीक से पढें और समझें और एक तात्रिक विधि भी होती है
जिसमे गौ मूत्र से , रक्त से माला को संस्कार किया जाता है*
जन सामान्य को वो विधि देना उचित नही है
किसी भाई को यदि माला संस्कार गौ मूत्र से करवाना हो तो पर्सनल सम्पर्क करें आपको माला संस्कारित करके दे दी जायेगी
गो मूत्र से संस्कार करने की दक्षिणा 1100/
रक्त से संस्कार करने की दक्षिणा 2100/
जिस किसी भाई को करवाना हो पर्सनल बता दें
हरेश तंत्र शक्ति साधना केन्द्र
Sar Mujhe Sindhi karna hai
ReplyDeleteSar Mujhe Sindhi karna hai
ReplyDeleteSar Mujhe Sindhi karna hai
ReplyDeleteGuru ji mujhe mantra sidh karna h.
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