वशीकरण कर्म के नियम

हरेश तंत्र शक्ति साधना केन्द्र

वशीकरण कर्म


षट् कर्मो मे दूसरे नम्बर पर आता है वशीकरण
यानि किसी को भी अपने वश मे करना
आज मे वशीकरण के नियम बता रहा हू जिनके पालन करने से वशीकरण के प्रयोग सफल होते है और ना करने पर असफल

वशीकरण की देवी सरस्वती है

वशीकरण पूर्व या उत्तर मुख होकर किया जाता है

वशीकरण के लिये वसन्त रितु उत्तम मानी जाती है

वशीकरण दशमी एकादशी , प्रतिपदा ,अमावस्या को शुभ होता है

वशीकरण शुक्रवार शनिवार को किया जाता है

ज्येष्ठा , उत्ताषाढ ,अनुराधा , रोहिणी ये माहेन्द्र मण्डल के नक्षत्र है इनमे वशीकरण करना चाहिये

मीन मेष कन्या धनु लग्न मे वशीकरण करना चाहिये

वशीकरण अग्नि तत्व के उदय मे करने चाहिये

वशीकरण आकर्षण के लिये देवता को लोहित वर्ण मे ध्यान करना चाहिये

वशीकरण भद्रासन मे करना चाहिये

मेढा के आसन पर बैठकर वशीकरण करे या लाल कम्बल पर


वशीकरण मे पाश मुद्रा का प्रयोग किया जाता है

वशीकरण मे देवता को सुन्दर रूप का ध्यान किया जाता है

वशीकरण मे पीतल का कलश रखा जाता है

वशीकरण रूद्राक्ष या स्फटिक माला प्रयोग करनी चाहिये

आकर्षण मे घोडे के पूछ के बालो से माला तैयार करनी चाहिये

वशीकरण के लिये योनि जैसी आकृति वाले कुण्ड मे वायव्य कोण की तरफ मुह करके हवन करना चाहिये

चमेली के फूलो से , वशीकरण कर्म मे हवन करना चाहिये

आकर्षण कर्म मे ईशान कोण मे स्थित अग्नि की स्वर्ण वर्णा  हिरण्या नामक जिह्वा की जरूरत होती है


वशीकरण मे पूर्ण आहुति के समय अग्नि के कामद नाम का उच्चारण करना चाहिये


वशीकरण मे मंत्र के अंत मे स्वाहा लगाकर होम किया जाता है


अगली पोस्ट विद्वेषण पर  होगी

इनमे दी गयी सारी जानकारी प्रयोग करते समय पालन करने से प्रयोग निष्फल नही होता

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