सुरक्षा चक्र


हरेश तंत्र शक्ति साधना केन्द्र


सुरक्षा चक्र


हमने साधना क्षेत्र में सुरक्षा चक्र के बारे मे पढा और सुना होगा आज में सुरक्षा चक्र के बारे में जानकारी दे रहा हू कि ये क्या है क्यो आवश्यक है कैसे लगाया जाता है

तंत्र साधना में  कुछ उग्र
साधना है कुछ सोम्य साधना है इनमें से सौम्य साधना बिना किसी बाधा के सिद्ध हो जाती है
उग्र साधना में कुछ भूल चूक होने पर हमें कई बार बहुत मुश्किलो का सामना करना पडता है
साधना के दौरान किसी विघ्न के कारण शक्ति के कोप का शिकार होना पडता है
कुछ साधनायो मे चूक होने पर पागल या जान जाने का डर भी रहता है
कुछ मे परिवार के सदस्यो को हानि हो सकती है

तंत्र की क्रिया उलट होकर हमें नुकसान पहुचाती है

तो इन सारी परेशानी से बचाव के लिये हम साधना करते समय एक सुरक्षा घेरा खींच कर साधना में बैठतै है
यही घेरा सुरक्षा चक्र कहलाता है
इसे कार लगाना भी कहते हैं
जो कुछ चूक होने पर हमारी रक्षा करता है


कैसे लगाये सुरक्षा चक्र

जब हम साधना करने बैठतै है तो सबसे पहले हमें अपने आसन के चारो ओर
एक गोल घेरा चाकू की मदद से खीच लेना चाहिये घैरा खीचते समय अपने किसी रक्षा मंत्र का जाप करना चाहिये जो पहले से ही सिद्ध कर रखा हों
आप किसी रक्षा स्त्रोत का पाठ भी कर सकते है
किसी कवच को पढतै हुये भी घेरा बना सकते है
कुछ ना हो तो अपने गुरूमंत्र का जाप करते हुये भी घेरा बना सकते है
अपने इष्ट मंत्र से भी कार खीच सकते है

घेरा चाकू से , किसी लोहे की कील से भी खीच सकते हैं
अपने चारो ओर पानी से भी घेरा बना सकते हैं
मंत्र पढते हुये भस्म से भी घेरा खीचा जा सकता है
कुछ साधनायो में सिन्दूर या शिगंरफ से भी घेरा बनाया जाता है

चाहे कुछ हो साधना के दौरान हमेशा कार लगाकर ही बैठे फिर पूजन आदि शुरू करें

कई साधनायो में कुछ बहुत ही डरावने अनुभव होते है
तो वो सब कार से बाहर ही होगे कोई भी उपद्रव घेरे के अंदर प्रवेश नही कर सकता है
शमसान में साधना करते समय हमेशा कार लगाकर बैठे
भूत प्रेत बहुत उपद्रवी होते है ये साधक का साधना करते समय ही सामान उठा कर ले जाते है और बहुत परेशान करते है
इसलिये इनकी साधना चाहे घर में करो या बाहर हमेशा सुरक्षा घेरा खीच कर बैठे
कुछ साधनायो में मल मूत्र की बरसात होती है
कुछ में आग के शोले बरसते है
कुछ में कटे हुये मानव अगो की बरसात होती है

तो यदि साधक ने कार नही लगायी है तो वो नुकसान उठा बैठता है
इसलिये हमेशा घेरा लगाकर ही साधना करें

और हॉ सबसे जरूरी बात आपने चाहे जो साधना सिद्ध कर रखी हो चाहे आपके इष्ट कोई हो हमेशा घेरे के अंदर ही रह कर साधना करनी चाहिये

और चाहे जो हो जाये बीच में कभी भी आसन से खडे नही होना चाहिये
साधना पूरी किये बिना भूलकर भी घेरे से बाहर नही जाना चाहिये
साधक यदि येसा करता है तो उसे हानि उठानी पडेगी

साधना के दौरान जो घेरा आपने खीचा है उसके अंदर ही आपको सत्य दिखाई देखा
घेरे से बाहर की दुनिया आपके लिये असत्य है
घेरे से बाहर चाहे आपके परिवार वालो को कोई जान से मारता हुया दिखाई दें
चाहे ऑधी से पेड उखड कर अपने ऊपर गिरते दिखाई दें
अपने आसन पर जम कर बैठे रहना आपका कुछ नही बिगडेगा
यहीं गुरू और शिष्य का विश्वास काम आता है गुरू ने कहा कि घेरे में कुछ नही होगा तो विश्वास करके बैठे रहो कुछ नही होगा
यदि गुरू के वचन का विश्वास नही किया गिरते पेड को देख कर भागनै लगे घेरे से बाहर गये तो वो आखिरी दौड हो सकती है

चाहें भय से मल आये या मूत्र वही आसन पर ही बैठे बैठे करो आपकी साधना खण्डित नहीं होगी पर गलती से भी साधना रोक कर घेरे से  बाहर नही जाना चाहिये

इसलिये कहा है कि जो डर गया सो मर गया
इसलिये कभी भी साहस कम होने पर ज्यादा उग्र साधना नही करनी चाहिये

 शमसान साधना , वैताल साधना , मरी साधना , ऐसी ही उग्र साधना है ये साधना गुरू के सानिध्य में उनके साथ रहने पर ही करनी चाहिये

तो आप लोग ये समझ गये होगे कि सुरक्षा चक्र हमारे लिये कितना आवश्यक है

बाकी विस्तार से आप लोग अपने सदगुरूदेव जी से पूछ सकते है



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