हवन की विधि



हरेश तंत्र शक्ति साधना केन्द्र

हवन विधि

हम लोग जब कभी कोई मंत्र जाप करते है तो उसका दशांश हवन किया जाता है
इससे मंत्र के देव को यज्ञ आहुति द्वारा सन्तुष्ट किया जाता है
कुछ विषेश साधनाओ में जाप पूर्ण करके हवन करने का विधान होता है

हवन की शास्त्रीय विधि बहुत  जटिल है प्रत्येक के लिये वो करना सम्भव नही होता
इसलिये में अपने तरीके को यहॉ दे रहा हू में हमेशा येसे ही हवन करता आ रहा हू कोई परेशानी नही होती
और हवन का पूरा फल प्राप्त होता है

बाजार से जाकर हवन की सामग्री ले आये कोशिश करें शुद्ध और अच्छी लाये
उसमें गेहू जौ चावल तिल बूरा या चीनी कपूर घी पंचमेवा  यथा शक्ति मिला लें

कुछ विशेश साधना में सामग्री में कुछ विशेष मिलाया जाता है जैसे धन के लिये कमल गट्टा  , बच ,कूट , इन्द्र जौ , आदि

शहद ,दूध , आदि मिलाकर भी हवन होता है

केवल कमल गट्टे और घी से लक्ष्मी प्राप्ति के लिये हवन किया जाता है
इसमें हवन सामग्री का प्रयोग नही होता
केवल कमल गट्टे और घी से ही किया जाता है


राई , नमक ,तेल ,लाल मिर्च आदि से भी हवन होता है उग्र कर्मो के लिये

सारी सामग्री अच्छे से मिला ले

फिर हो सके तो हवन कुंड तैयार कर लें
नही हों तो येसे ही जमीन पर चौका लगाकर या किसी परात में आम की लकडी जिने समिधा बोलते है को आडी तिरछी रखकर
बैठे
बैठते समय दिशा वही रखे जो जाप के समय रखी है
समिधा जितना हो सके पतली हो तो जलने में ठीक रहती है
बीच में कपूर रखे
पास मैं दीपक जला दें धूप अगर बत्ती जो जलानी है जला दें
हाथ में पानी चावल लेकर संकल्प लें
एक कटोरी में घी पिघला कर रखे
घी डालने के लिये आप चम्मच का इस्तेमाल कर सकते है

कपूर  जला कर अग्नि प्रज्वलित करें
हाथ में चावल लेकर अग्नि देव का आवाहन करें और चावल कुंड मे डालदें

दायेंं हाथ की मध्यमा और अनामिका अगुली को जोडकर अगूठें से आहुति दी जाती है


फिर सबसै पहले गुरू मंत्र की तीन आहुति दें

फिर नीचे लिखे क्रम से सभी की तीन तीन  आहुति दें
ॐ रिद्धि सिद्धि सहिताय श्रीमन महा गणाधिपतये नमः स्वाहा

ॐ श्री इष्ट दैवतायै नमः स्वाहा
ॐ श्री  कुल दैवतायै नमः स्वाहा
ॐ सर्वभ्यो पित्रभ्यो नमः स्वाहा
ॐ ग्राम देवतभ्यो नमः स्वाहा
ॐ स्थान देवतभ्यो नमः स्वाहा
ॐ सर्वभ्यो लोकपालभ्योनमः स्वाहा

ॐ सर्वभ्यो दिक्पालभ्यो नमः स्वाहा

ॐ नव ग्रहाये नमः स्वाहा
ॐ _श्री शची पुरन्धरभ्यो नमः स्वाहा
ॐ श्री  लक्ष्मी नारायणभ्यो नमः स्वाहा
ॐ श्री उमा महेश्वरभ्यो नमः स्वाहा
ॐ श्री वाणी हिरण्यगर्भभ्यो  नम स्वाहा
ॐ श्री मातृपितृचरण कमलभ्यो नमः स्वाहा
ॐ सर्वभ्यो देवतभ्यो नमः स्वाहा
ॐ सर्वभ्यो ब्राह्मणभ्यो नमः स्वाहा
ॐ रिद्धि सिद्धि सहिताय श्री मन महा गण पतये नमः स्वाहा


इनके बाद मूल मंत्र का जिसका हवन करना है उसके जाप करते हुये आहुति दें

जाप की गिनती करने के लिये माला बायें हाथ मे  लेकर घुमाये

बीच बीच में घी की आहुति देते रहें
अग्नि बुझ जाये तो उसे जलाकर ही आहुति दें बुझी अग्नि मे आहुति ना दें
आग जलाने के लिये कपूर का प्रयोग करें


 एक सूखे गोले  मे घी लगाकर थोडा काटकर फिर उसके अन्दर हवन सामग्री भर दें
और उसे वापस कलावे से लपेट कर रखे

हवन पूरा होने पर उस गोले को ॐ पूर्ण वेद पूर्ण आहुति पूर्ण आगम अलख सुख श्रीं ह्रीम स्वाहा
बोलकर कुंड में डाल दें

सारी बची सामग्री उसी मे होम कर देनी चाहिये और घी भी


खडे होकर परिक्रमा लगा लो  प्रार्थना कर लो
बस हो गया हवन


वेसे ये प्रैक्टीकली चीज है गुरू के साथ रह कर पहले एक दो बार देख लो तो ज्यादा बेहतर समझ में आता है

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