गुरू पूजन विधि





गुरू पूजन देव पूजन से  भी उत्तम है जो शिष्य नित्य गुरू पूजन करते है
उनकी सभी साधना निर्विध्न पूर्ण होती है और पूरी सफलता प्राप्त होती है
देव कृपा से अधिक गुरू कृपा की महत्ता है  इसलिये हमे गुरू पूजन अनिवार्य
रूप से नित्य करना चाहिये


जिन साधको ने गुरू से दीक्षा ली है वो गुरू द्वारा दिये गये गुरू मंत्र से पूजन करे

जिनके पास गुरू मंत्र नही है वो मेरे दिये इस मंत्र द्वारा पूजन करे


ओम ह्रीम गुरो प्रसीद प्रसीद नमस्तुभ्यम्

गुरू की तस्वीर सामने स्थापित करे

गुरू पूजन का संकल्प ले
गुरूजी का आवाहन करे

पूजन के लिये आप घी का दीपक लगाये   ,अगर बत्ती जलाये  , सेन्ट  ,चन्दन , पुष्प ,चावल ,वस्त्र ,फल ,  मिठाई , जल  आदि से पूजन करे गुरू स्त्रोतो का पाठ करे  यथा शक्ति गुरू मंत्र  का पाठ करे

 गुरूजी से कृपा प्राप्ति का आर्शिवाद ले
पूजन का विसर्जन  करे

गुुरू स्त्रोत    ------
गुरू ब्रह्मा गुरू विष्णु
गुरूदेवो महेश्वर
 गुरू साक्षात परम ब्रह्म
तस्मै श्री गुरवै नमः

ध्यानम् मूलं गुरू मूर्ति
पूजा मूलं गुरो पदमं
मंत्र मूलं गुरू वाक्यम्
मोक्ष मूलं गुरू कृपा

त्वमेव माता च पिता त्वमेव
त्वमेव बंधु च सखा त्वमेव
त्वमेव विधा द्रवणम् त्वमेव
त्वमेव सर्वम्  मम् देव देव  

गुरू गंगा गुरू गोमती
गुरू देवां रा देव
गुरू सू चेला आगला
करे गुरॉ री सेव

गुरू गोविन्द दोऊ खडे
काकै लागूं पाय
बलिहारी गुरू आपने
गोविन्द दियो बताय

 सब धरती कागज करूं
 लेखनि सब वनराय
सात समुद्र की मसि करूं
गुरू गुन लिखा न जाय

मात पिता तो फेर मिले
लख चौरासी माय
गुरू सेवा चरण बन्दगी
फेर मिलन की नाय

गुरू बिन भव निधि तरय न कोई
जो विरंचि शंकर सम होई

यह तन विष की बेलरी
गुरू अमृत की खान
 शीश दिये जो गुरू मिलैं तौ भी सस्ता जान

श्री गुरू चरन है चन्द्रमा  सेवक
 नयन चकोर
अष्ट प्रहर निरखत रहूं
श्री गुरू चरनो की ओर



हरेश तंत्र शक्ति साधना केन्द्र द्वारा जन हित मे जारी 9690988493

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