पारद का शिवलिंग बनाना


 सितम्बर के माह मे  शिवलींगी कि बेल आपको बहोत प्रमाण मे प्राप्त हो जायेंगी आप शिवलिंगी कि बेल इतनी ज्यादा लेकर आइये कि उसमे से कम से कम चार पाँच liter शिवलिंगी का रस निकल आये आप उस रस को pepsi कि खाली शीशी मे भरकर रखे दो तीन दिन मे उस रस मे मिली हुई हरी पत्ती का चूर्ण नीचे बैठ जाये तब आप ऊपर का सत्व मिला हुआ पानी निकाल कर अलग रख दें जो हल्के कथीया रंग का होंगा यही हमारे काम का है ऐसा ही सत्व युक्त शिवलिंगी का पानी आपने चार से पाँच किलो जमा करना है

‬: इतना करने के उपरांत आपने शुद्ध पारद जो अष्ट संस्कारित हो और बुभुक्षित हो उसे बालुका यंत्र मे चीनी मिट्टी का प्याला रख कर उस प्याले मे शुद्ध पारा रख कर पारे को बहोत धीमी धीमी आँच पर गरम करना है जब पारा गरम हो जाये तब उस पारे मे बहोत थोड़ा थोड़ा शिवलिंगी का सत्व युक्त जल डालते रहना है इस तरह उस पारे मे वह जल सूक्ते जायेंगा उसमे का सत्व पारे के साथ मिलते जायेंगा तो पारा मक्खन कि तरह होता जायेंगा उसमे और भी रस डालते रहे तो पारा ठोस होता जायेंगा तब आप उस शिवलिंग को जैसा चाहे आकर दे दें हो सक्ता है यह शिवलिंग भी स्वर्ण को खा कर पचा ले॥

 किसी लोहे के पात्र मे बालू(रेती) भरकर उस बालू मे चीनी मिट्टी का प्याला रख दें और उस बालू रखे हुये पात्र को चूल्हे पर रख दें और नीचे से इतनी ही आँच दें कि बालू गरम हो जाये उस गरम बालू से वह चीनी मिट्टी का प्याला गरम होँगा और पारा भी गरम होँग यही बालुका यंत्र है॥

No comments:

Post a Comment